अंबाला हरियाणा की सबसे पुरानी लोकसभा सीट है। अंबाला लोकसभा सीट का दायरा मौजूदा पंजाब व हिमाचल प्रदेश के काफी बड़े भूभाग तक फैला हुआ था। तब इसे अंबाला- शिमला लोकसभा सीट कहा जाता था। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला तक का इलाका इस सीट के तहत ही आता था। एक खास बात यह भी है कि यह हरियाणा की इकलौती सीट है, जो शुरू से अब तक अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित है। अब अंबाला लोकसभा सीट में पंचकूला, अंबाला और यमुनानगर (रादौर विधानसभा को छोड़कर) आते हैं। इसमें कालका, पंचकूला, नारायणगढ़, अंबाला छावनी, अंबाला शहर, मुलाना, सढौरा, जगाधरी और यमुनानगर विधानसभा क्षेत्र हैं।
अंबाला लोकसभा में राजनीति की बात करें तो अंबाला के दिग्गज केंद्रीय मंत्री ही नहीं बल्कि कई राज्यों के राज्यपाल तक रह चुके हैं। यहां से ही राजनीति की पारी शुरू करने वाली सुषमा स्वराज अब विदेश मंत्री है जबकि स्व. सूरजभान उत्तरप्रदेश, हिमाचल के राज्यपाल रहे। इसके अलावा करीब दो माह बिहार का अतिरिक्त कार्यभार भी उनके पास रहा। राजनैतिक दृष्टि से अगर अंबाला की चारों विधानसभा की बात करें तो शहर विधानसभा से शिवप्रकाश शर्मा ही जनता दल से वर्ष 1977, 1982 व 1987 में चुने गए, जो हैट्रिक लगाने वाले एकमात्र विधायक रहे। अनिल विज अब तक सबसे ज्यादा पांच बार विधायक चुने गए हैं। विज के नाम 2005 में सबसे कम 637 मतों से हारने का रिकार्ड भी है। सबसे ज्यादा चुनाव लड़ने का रिकार्ड फूल चंद मुलाना के नाम है, जो शिक्षा मंत्री भी रहे। वहीं, संसदीय सीट साल 1956 से आरक्षित है। कुमारी सैलजा केंद्रीय मंत्री रही हैं।
अंबाला सीट से ये रहे सांसद
1967 में सूरजभान (जनसंघ), 1971 में डॉ.रामप्रकाश (कांग्रेस), 1977 में सूरजभान (जनता पार्टी), 1980 में सूरजभान (जनता पार्टी), 1984 में डॉ.रामप्रकाश (कांग्रेस), 1989 में डॉ.रामप्रकाश (कांग्रेस), 1991 में डॉ.रामप्रकाश (कांग्रेस), 1996 में सूरजभान, 1998 में अमन कुमार नागरा (बहुजन समाज पार्टी), 1999 में रतनलाल कटारिया (भाजपा), 2004 में कुमारी सैलजा (कांग्रेस), 2009 में कुमारी सैलजा (कांग्रेस), 2014 में रतनलाल कटारिया (भाजपा) चुने गए।
क्षेत्र के स्थानीय मुद्दे
यमुनानगर जिला अंबाला व कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र में आता है। रादौर कुरुक्षेत्र में है, जबकि यमुनानगर, जगाधरी व साढौरा अंबाला लोकसभा क्षेत्र में आते हैं। यमुनानगर से वाया रादौर कुरुक्षेत्र तक रेललाइन नहीं बन सकी। बाढ़ से बचाव के लिए हथनीकुंड बैराज से गुमथला यमुना के किनारे पक्के नहीं हो सके। अंबाला साइंस उपकरणों के निर्माण का बड़ा केंद्र है। यहां हजारों छोटी बड़ी इकाइयां हैं, लेकिन आज तक अंबाला को साइंस सिटी का दर्जा नहीं मिल पाया, जबकि यह स्थानीय कारोबारियों की दशकों पुरानी मांग है। यहां 100 करोड़ से साइंस उपकरणों के नवीनीकरण, शोध के मकसद से साल 2013 -14 में टूल रूम सेंटर बनाने को लेकर केन्द्रीय मंत्री ने उद्घाटन भी किया लेकिन निर्माण नहीं हुआ। अंबाला में यमुनानगर- चंडीगढ़ वाया नारायणगढ़ रेल लाइन बिछाने की मांग बड़ी पुरानी है। जनप्रतिनिधियों के आश्वासन के बावजूद कुछ नहीं हुआ।
अंबाला की खास बातें
अंबाला, हरियाणा का एक प्रमुख और ऐतिहासिक शहर है। यह भारत की राजधानी दिल्ली से दो सौ किलोमीटर दूर उत्तर की तरफ शेरशाह सूरी मार्ग पर स्थित है। अंबाला जिला हरियाणा और पंजाब की सीमा पर स्थित है। भौगोलिक स्थिति के कारण पर्यटन के क्षेत्र में भी अंबाला का महत्वपूर्ण स्थान है। इसे विज्ञान नगरी कहकर भी पुकारा जाता है क्योंकि यहां वैज्ञानिक उपकरण उद्योग केंद्रित है। भारत के वैज्ञानिक उपकरणों का लगभग चालीस प्रतिशत उत्पायदन अंबाला में ही होता है। इसकी स्थापना 14वीं शताब्दी में अम्बा नामक राजपूत ने की थी। यहां आम की पैदावार अधिक होती थी इसलिए इसे ‘अम्बवाला’ कहा जाता था जो अब ‘अंबाला’ बन गया। यहां 1952 में सबसे पहला लोकसभा चुनाव हुआ था।
रतन लाल कटारिया
बीजेपी2019
सेलजा
कांग्रेस2009
सेलजा
कांग्रेस2004
रतनलाल कटारिया
बीजेपी1999
अमन कुमार नागरा
बीएसपी1998
सूरज भान
बीजेपी1996
राम प्रकाश
कांग्रेस1991
राम प्रकाश
कांग्रेस1989
राम प्रकाश
कांग्रेस1984
सूरज भान
जेएनपी1980
सूरज भान
बीएलडी1977
राम प्रकाश
कांग्रेस1971
एस भान
बीजेएस1967
चुनी लाल
कांग्रेस1962
सुभद्रा जोशी
कांग्रेस1957
“प्रधानमंत्री की जाति कैसे प्रासंगिक है? उन्होंने कभी जाति की राजनीति नहीं की। उन्होंने केवल विकासात्मक राजनीति की है। वह राष्ट्रवाद से प्रेरित हैं। जो लोग जाति के नाम पर गरीबों को धोखा दे रहे हैं वे सफल नहीं होंगे। ऐसे लोग जाति की राजनीति के नाम पर केवल दौलत बटोरना चाहते हैं। बीएसपी या आरजेडी के प्रमुख परिवारों की तुलना में प्रधानमंत्री की संपत्ति 0.01 फीसद भी नहीं है।„
अन्य बयान“मैं सदैव देशहित, राष्ट्रीय एकता और अखंडता की बात करने वालों के साथ रहा हूं। मैं धार्मिक उन्माद फैलाने वालों के हमेशा खिलाफ रहा हूं। मुझे गर्व है कि मुख्यमंत्री रहते हुए मुझ में सिमी और बजरंग दल दोनों को बैन करने की सिफारिश करने का साहस था। मेरे लिए देश सर्वोपरि है, ओछी राजनीति नहीं।„
अन्य बयान“हमारे किसान हमारी शक्ति और हमारा गौरव हैं। पिछले पांच साल में मोदी जी और भाजपा ने उन्हें बोझ की तरह समझा और व्यवहार किया। भारत का किसान अब जाग रहा है और वह न्याय चाहता है„
अन्य बयान“आज भारत दुनिया में तेजी से अपनी जगह बना रहा है, लेकिन कांग्रेस, डीएमके और उनके महामिलावटी दोस्त इसे स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए वे मुझसे नाराज हैं„
अन्य बयान“जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर लालू जी से मिलने उनके और तेजस्वी यादव के आवास पर पांच बार आए थे। नीतीश कुमार ने वापस आने की इच्छा जताई थी और साथ ही कहा था कि तेजस्वी को वो 2020 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं और इसके लिए 2019 के लोकसभा चुनाव में लालू उन्हें पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दें।„
अन्य बयान