अलवर, राजस्थान प्रान्त का एक शहर है और 25 महत्वपूर्ण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में से एक है। इसके 11 विधानसभा क्षेत्र हैं। 1952 में यहां पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ था। अलवर, जयपुर से करीब 150 किलोमीटर की दूरी पर है। अलवर अरावली की पहाड़ियों के मध्य में बसा है। अलवर का प्राचीन नाम 'शाल्वपुर' था। अलवर को राजस्थान का सिंह द्वार भी कहते हैं। फतहगंज गुम्बद, सिटी पैलेस, बाला किला अलवर की ऐतिहासिक इमारते हैं। इनके अलावा यहां की विजय मंदिर झील, कम्पनी बाग, पुर्जन विहारजय समन्द झील, सिलीसेढ झील भी घूमने के लिए काफी अच्छी जगह हैं। अलवर का मिल्क केक भी बहुत प्रसिद्ध है। स्थानीय लोग इसे कलाकंद के नाम से पुकारते हैं। दिल्ली से अलवर की दूरी 166.2 किलोमीटर है।
श्री बालक नाथ
बीजेपी2019
जितेंद्र सिंह
कांग्रेस2009
डॉ करण सिंह यादव
कांग्रेस2004
डॉ जसवंत सिंह यादव
बीजेपी1999
घासी राम यादव
कांग्रेस1998
नवल किशोर
कांग्रेस1996
महेंद्र कुमारी
बीजेपी1991
रामजी लाल यादव
जेडी1989
राम सिंह यादव
कांग्रेस1984
राम सिंह यादव
कांग्रेस1980
रामजी लाल यादव
बीएलडी1977
हरि प्रसाद
कांग्रेस1971
बी नाथ
कांग्रेस1967
काशी राम
निर्दलीय1962
शोभा राम
कांग्रेस1957
सोभा राम
कांग्रेस1952
“प्रधानमंत्री की जाति कैसे प्रासंगिक है? उन्होंने कभी जाति की राजनीति नहीं की। उन्होंने केवल विकासात्मक राजनीति की है। वह राष्ट्रवाद से प्रेरित हैं। जो लोग जाति के नाम पर गरीबों को धोखा दे रहे हैं वे सफल नहीं होंगे। ऐसे लोग जाति की राजनीति के नाम पर केवल दौलत बटोरना चाहते हैं। बीएसपी या आरजेडी के प्रमुख परिवारों की तुलना में प्रधानमंत्री की संपत्ति 0.01 फीसद भी नहीं है।„
अन्य बयान“मैं सदैव देशहित, राष्ट्रीय एकता और अखंडता की बात करने वालों के साथ रहा हूं। मैं धार्मिक उन्माद फैलाने वालों के हमेशा खिलाफ रहा हूं। मुझे गर्व है कि मुख्यमंत्री रहते हुए मुझ में सिमी और बजरंग दल दोनों को बैन करने की सिफारिश करने का साहस था। मेरे लिए देश सर्वोपरि है, ओछी राजनीति नहीं।„
अन्य बयान“हमारे किसान हमारी शक्ति और हमारा गौरव हैं। पिछले पांच साल में मोदी जी और भाजपा ने उन्हें बोझ की तरह समझा और व्यवहार किया। भारत का किसान अब जाग रहा है और वह न्याय चाहता है„
अन्य बयान“आज भारत दुनिया में तेजी से अपनी जगह बना रहा है, लेकिन कांग्रेस, डीएमके और उनके महामिलावटी दोस्त इसे स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए वे मुझसे नाराज हैं„
अन्य बयान“जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर लालू जी से मिलने उनके और तेजस्वी यादव के आवास पर पांच बार आए थे। नीतीश कुमार ने वापस आने की इच्छा जताई थी और साथ ही कहा था कि तेजस्वी को वो 2020 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं और इसके लिए 2019 के लोकसभा चुनाव में लालू उन्हें पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दें।„
अन्य बयान