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Lok Sabha Election 2019 : मेमू ट्रेन में दिखा मोदी का मोल, राहुल के वादों को युवाओं ने किया गोल, Election express; झाडग़्राम-धनबाद मेमू ट्रेन

Lok Sabha Election 2019. मोदी सरकार के कई फैसलों से युवा सहमत नहीं हैं बावजूद इसके राहुल के मुकाबले मोदी को ज्यादा पसंद करने की बात चर्चा के दौरान कही।

By Deepak PandeyEdited By: Published: Fri, 05 Apr 2019 10:35 AM (IST)Updated: Fri, 05 Apr 2019 11:38 AM (IST)
Lok  Sabha Election 2019 : मेमू ट्रेन में दिखा मोदी का मोल, राहुल के वादों को युवाओं ने किया गोल, Election express; झाडग़्राम-धनबाद मेमू ट्रेन
Lok Sabha Election 2019 : मेमू ट्रेन में दिखा मोदी का मोल, राहुल के वादों को युवाओं ने किया गोल, Election express; झाडग़्राम-धनबाद मेमू ट्रेन

झाडग़्राम-धनबाद मेमू ट्रेन से राजेश पांडेय। Lok  Sabha Election 20194 अप्रैल, सुबह 8:10, टाटानगर स्टेशन का प्लेटफार्म नंबर-3 : यात्रीगण कृपया ध्यान दें, गाड़ी संख्या 68019 झाडग़्राम-धनबाद मेमू थोड़ी देर में प्लेटफार्म नंबर-3 पर आ रही है। 8:11 बजे ट्रेन तेजी से प्लेटफार्म में प्रवेश करती है। उसके दरवाजे पर नजर आने वाली भीड़ को देखकर ऐसा लगता है कि अंदर घुसना मुश्किल हो जाएगा। छोटी ट्रेन और लंबा प्लेटफार्म। ट्रेन आगे की ओर बढ़ जाती है। प्लेटफार्म के पीछे के हिस्से वाले यात्री उसके साथ दौड़ते हैं।

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ट्रेन के खड़े होते उतरने और चढऩे वालों के बीच धक्का-मुक्की शुरू हो जाती है। हो-हल्ला के बाद चढऩे वाले यात्री गेट के बगल में खड़ा होने के लिए मजबूर हो जाते हैं। जब मुसाफिर उतर जाते हैं तो ट्रेन 80 से 90 फीसद खाली हो जाती है। इधर, ट्रेन की खिड़की से कुछ लोग बैग, रूमाल और डायरी सीट छेंकने के लिए फेंक देते हैं। अंदर प्रवेश करने पर एक सीट पर जहाना खातून अपनी ओढऩी पसारने लगी। इसी बीच एक भाई साहब बोल पड़े- बैग आपको दिखाई नहीं दे रहा है क्या? जहाना फौरन अपनी ओढऩी को बगल की सीट पर रख देती है। पूछने पर उसने बताया कि भुज (गुजरात) में मेरी ससुराल है। 7:10 बजे भुज शालीमार एक्सप्रेस से हम लोग टाटानगर स्टेशन पर उतरे हैं। उस ट्रेन में आधे लोग खड़ा होकर यहां तक आए। पुरुलिया जाना है। 

7:55 बजे पहुंचने वाली झाडग़्राम-धनबादमेमू ट्रेन अपने समय से 16 मिनट लेट 8:11 पर टाटानगर पहुंची और 10 मिनट के बजाय 18 मिनट तक ठहरकर 8:29 बजे रवाना हुई। ट्रेन की रफ्तार पकडऩे के साथ ही बगल वाली सीट पर बैठे 55 वर्षीय निम्न मध्यमवर्गीय परिवार के लग रहे व्यक्ति से पूछने पर उन्होंने अपना नाम शकदिल मोहम्मद बताया। हमने पूछा- कहां से आ और कहां जा रहे हैं? तो उन्होंने कहा- भुज से आ रहे हैं और पुरुलिया जिले के बलरामपुर इलाके में स्थित रसूलपुर अपने गांव जा रहे हैं। हमने पूछा- क्या जहाना खातून आपके साथ हैं? तो जवाब मिला- नहीं। इसके बाद  जिसके लिए सफर कर रहा था, उस ओर  उनको मोडऩा चाहा और कहा- आपकी यात्रा टाटानगर तक तो परेशानी से पूरी हुई। बताइए चुनावी माहौल के बारे में? इतना सुनते ही शकदिल अपना मुंह सिल लिए। कुछ देर बाद दोबारा कुरेदने पर कहा- साहब आजकल हर जगह उसूल टके सेर बिकते हैं। राजनीति करने वालों से कुछ भी उम्मीद करना बेवकूफी है। हताशा में डूबे हुए कहा- जिधर सब लोग जाएंगे उधर ही हम भी वोट देंगे। मेरे रसूलपुर गांव में लगभग 800 वोटर हैं। इसमें 250 मुसलमान हैं। सब लोग मोदी को वोट देने की बात कर रहे हैं। हम भी मोदी को ही देंगे। मोदी को वोट क्यों देंगे, पूछने पर जवाब मिला- जिधर सब जाएंगे, उधर हम भी जाएंगे। 100 में से 80 लोग गांव के मोदी को ही वोट देने की बात कह रहे हैं।

इसके बाद मैं अपनी सीट से उठकर अगले कंपार्टमेंट में दाखिल हो गया। वहां आमने-सामने की सीट पर 18 वर्ष के आसपास के दर्जनभर युवा बैठे थे। सभी चांडिल पॉलिटेक्निक में परीक्षा देने जा रहे थे। अंकित शर्मा को छोड़कर सबकी उम्र 18 से अधिक थी। पूछने पर सबने कहा, वोटर लिस्ट में नाम नहीं है। क्यों नहीं है? पर सब टुकुर-टुकुर मुंह ताकने लगे। सब के सब मौन और गंभीर हो गए। जब उनसे कहा कि राहुल गांधी हर बेरोजगारों को साल में 72 हजार रुपये देंगे। जब उनकी सरकार बनेगी तो...। इस पर अंकित कुमार ने कहा कि यह सब ड्रामा है। 62 साल राज किए तो कुछ नहीं दिए और अब चले हैं 72 हजार सालाना देने। कांग्रेस की सरकार बनी तो देशद्रोही वाली धारा हटा दी जाएगी? यह घोषणा राहुल गांधी ने की है। इस पर अंकित ने कहा-क्या राहुल गांधी देशद्रोहियों को पालना और बढ़ाना चाह रहे हैं। इस बार अमेठी भी नहीं बचेगी। आखिर मोदी की सरकार क्यों चाहते हो? जवाब मिला, चार-पांच साल पहले तक सिर्फ घोटाला होता था। परिवारवाद था। फिलहाल पारदर्शी सरकार है। आज इंडिया अलग स्थान पर पहुंच गया है। मोदी की कमी बताओ? इस पर रमन कुमार में थोड़ी गर्माहट आ गई। कहा- आरक्षण को लेकर मोदी ने बहुत गलत काम किया है। यह आरक्षण पूरी तरह से खत्म होना चाहिए। रेलवे के ग्रुप डी की भर्ती में जहां जनरल का कटऑफ 76 फीसद था वहीं एससी और एसटी का 36 से 40 फीसद था। आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाना चाहिए। मोबाइल फोन से ब्लूटूथ स्पीकर पर गाना सुन रहे इन युवाओं ने बताया कि परीक्षा चल रही है। कक्षाएं सप्ताह में 5 दिन चलती हैं। हमलोग तीन-चार दिन जाते हैं। अंत में सबने एक स्वर से कहा- हमलोग ऑनलाइन अप्लाई करके वोटर बनेंगे।

9:07 बजे ट्रेन कांड्रा जंक्शन पहुंची और यात्री चढऩे-उतरने लगे। इसी बीच मैं भी आगे बढ़ा और कुछ नौजवानों के बीच बैठ गया। जैसे ही ट्रेन खुली मैंने चुनावी 'राग अलाप' दिया। फिर क्या था- उन नौजवानों को जहरीला सांप सूंघ गया। वे सभी मुझे अनदेखा करने लगे और सिटपिटा गए। मैंने पूछा- आप लोग चुप क्यों हो गए भाई? काफी कुरेदने पर एक ने चुप्पी तोड़ी और कहा- हम लोगों को चुनावी चर्चा नहीं करनी है। कारण पूछने पर जवाब मिला- हमलोग सरकारी आदमी हैं। पॉलिटिक्स पर हम लोग नहीं बोलते हैं। हमने पूछा- आप लोग करते क्या हैं? इस पर जवाब मिला- बंगाल पुलिस में सबलोग खडग़पुर में अलग-अलग स्थानों पर तैनात हैं। सब का घर पुरुलिया है और हम लोग घर जा रहे हैं।

दोबारा 'छेडऩे' पर पुंडा गांव निवासी सिपाही रमेश कुमार ने कहा- पहले से केंद्र की सरकार अच्छी है। देशद्रोह की धारा को हटाना गलत है। हां, इस धारा में किसी को बंद करने से पहले ठीक से छानबीन होनी चाहिए। धारा को हटाना नहीं चाहिए। 22 लाख नौकरी देने के सवाल पर जवाब मिला कि सभी पार्टियां अपनी-अपनी गोटियां बिछाती रहती हैं। यह सब होने वाला नहीं है। पुरुलिया के झालदा टाउन में रहने वाले सिपाही दिलीप कुमार भी आखिरकार दोस्तों के साथ खुल ही गए। कहा-बेरोजगारों को 72 हजार सालाना देने जैसी बात केवल चुनाव के पहले की जाती है। बाद में नहीं। इसी तरह पुरुलिया शहर के कटिन मोहल्ला में रहने वाले सिपाही मोहम्मद इस्लाम ने कहा कि सरकार को हर पांच साल में बदल देना चाहिए। केंद्र की इस सरकार को भी बदलना चाहिए। चांडिल जंक्शन पहुंचने से मात्र पांच मिनट पहले पुरुलिया के रायरंगटाड़ गांव निवासी कार्तिक सिंह से बातचीत के दौरान पता चला कि उनका परिवार कई पुस्तों से पश्चिम बंगाल में रह रहा है। उन्होंने कहा-'बिजली, जल-तल दिए मोदी सरकार चलचे।Ó उनका दावा है कि पुरुलिया में भी भाजपा की लहर है। पश्चिम बंगाल में इस बार भाजपा अच्छा करेगी। इसके साथ ही 9:35 बजे ट्रेन चांडिल में खड़ी हो गई और मेरा सफर पूरा हो गया। 


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