मिशन 2019: क्या कोसी क्षेत्र में 'वोटकटवा' की भूमिका निभाएंगे पप्पू यादव? जानिए
राजद यदि मौका देती है तो मधेपुरा सांसद पप्पू यादव इस बार के लोकसभा चुनाव के लिए कोसी क्षेत्र में वोटकटवा की भूमिका निभाएंगे।
पटना [सुनील राज]। लोकसभा चुनाव की नजदीक आती घड़ी के बीच बिहार के दोनों गठबंधनों में हार-जीत की रणनीति बनने लगी है। इस बार का चुनाव दोनों गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण है। एनडीए ने समय रहते सीटों पर आपसी सहमति बना ली है।
दूसरी ओर महागठबंधन में अभी भी सीटों को लेकर तस्वीर बहुत साफ नहीं हो पाई है। राजद यदि पप्पू यादव को महागठबंधन के साथ चलने का मौका नहीं देता है तो ऐसे में पप्पू कोसी और सीमांचल के इलाके में महागठबंधन के वोटकटवा साबित हो सकते हैं।
सीटों के मसले पर हम प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम की नाराजगी जग जाहिर हो चुकी है। दूसरी ओर मधेपुरा सांसद और जाप संरक्षक सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को लेकर अब तक संशय की स्थिति बनी हुई है।
कांग्रेस का आलाकमान सीमांचल क्षेत्र में एनडीए के गढ़ में सेंध लगाने के लिए पप्पू को अपने साथ लेने का मन बना चुका है। पर महागठबंधन के सबसे बड़े दल राजद की रजामंदी के बगैर कांग्रेस अपना फैसला सार्वजनिक करने से फिलहाल बचती नजर आ रही है। अगर महागठबंधन में राजद की चली तो ऐसे में सांसद पप्पू यादव के लिए महागठबंधन की राह आसान नहीं होगी।
भले ही पप्पू को लेकर राजद कोई भी समझौता करने के मूड में नहीं दिखता, लेकिन हकीकत यह है कि पप्पू यादव को कोसी अंचल और सीमांचल क्षेत्र में नकारा नहीं जा सकता है।
राजद यदि पप्पू यादव को महागठबंधन के साथ चलने का मौका नहीं देता है तो ऐसे में पप्पू कोसी और सीमांचल के इलाके में महागठबंधन के वोटकटवा साबित हो सकते हैं। भले ही वे ज्यादा सीटें न जीत पाएं, लेकिन महागठबंधन के अच्छे वोट प्रतिशत को नुकसान जरूर पहुंचा सकते हैं।
जाहिर है ऐसी स्थिति में एनडीए गठबंधन को थोड़ा फायदा हो सकता है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि कोसी और सीमांचल के अंचल में किसी के लिए भी सियासत की राह आसान नहीं है। दोनों की गठबंधनों की यहां अग्निपरीक्षा होगी।
दूसरी ओर कांग्रेस का आकलन है कि कोसी और सीमांचल हमेशा से कांग्रेस का मजबूत गढ़ रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बाद भी सीमांचल के लोगों ने लहर के विपरीत महागठबंधन को जिताया था। कांग्रेस अपने आकलन को पुख्ता रूप देने के लिए पप्पू यादव से समझौते की पक्षधर है, हालांकि वह अपना अंतिम निर्णय राजद की सहमति के साथ लेना चाहती है।
फिलहाल यह फैसला राजनीति के गर्भ में है कि पप्पू यादव महागठबंधन के साथ चलते हैं या फिर इसके वोटकटवा के रूप में कोसी-सीमांचल इलाके में चुनाव मैदान में अपने प्रत्याशियों के साथ उतरते हैं।