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इस लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड का सर्वाधिक ऊंचाई वाला मतदान केंद्र भी है गंगोत्री धाम

समुद्रतल से 3140 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गंगोत्री धाम में निर्वाचन आयोग ने पहली बार पोलिंग बूथ बनाया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 15 Mar 2019 09:54 AM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2019 09:54 AM (IST)
इस लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड का सर्वाधिक ऊंचाई वाला मतदान केंद्र भी है गंगोत्री धाम
इस लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड का सर्वाधिक ऊंचाई वाला मतदान केंद्र भी है गंगोत्री धाम

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। इतिहास में यह पहला मौका है, जब लोकतंत्र के महापर्व पर हिमालय के प्रसिद्ध गंगोत्री धाम में मतदाता स्वच्छ एवं स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अपने मतों की आहुतियां देंगे। समुद्रतल से 3140 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गंगोत्री धाम में निर्वाचन आयोग ने पहली बार पोलिंग बूथ बनाया है। यहां लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची में 45 मतदाताओं के नाम दर्ज है। इस बूथ की दूसरी रोचक बात यह भी है कि यह उत्तराखंड का सर्वाधिक ऊंचाई वाला पोलिंग बूथ है।

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टिहरी संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री धाम को नगर पंचायत का दर्जा हासिल है। लेकिन, मतदाताओं की संख्या कम होने के कारण इस नगर पंचायत में कभी निकाय चुनाव नहीं हुए। इसके अलावा आज तक हुए लोकसभा, विधानसभा व पंचायत चुनाव में भी यहां कभी मतदान स्थल नहीं बनाया गया। यहां के मतदाताओं को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए 29 किमी दूर मां गंगा के शीतकालीन पड़ाव मुखवा आना पड़ता था। कपाटबंदी के दौरान चुनाव होने पर भी यहां के साधु-संन्यासी मतदाता बर्फ के बीच पैदल चलकर गंगोत्री से मुखवा पहुंचते रहे हैं।

बर्फबारी के चलते शीतकाल में हर्षिल और गंगोत्री के बीच लोगों की आवाजाही शून्य रहती है। साथ ही वाहनों की आवाजाही भी नहीं हो पाती। बावजूद इसके, इस बार निर्वाचन आयोग ने गंगोत्री धाम को एक अलग पोलिंग बूथ बनाया है। जिला निर्वाचन अधिकारी एवं जिलाधिकारी उत्तरकाशी डॉ. आशीष चौहान कहते हैं कि कोई भी मतदाता मतदान से वंचित न रहे और मतदान करने के लिए उसे किसी तरह की परेशानी न हो, इसी को ध्यान में रख गंगोत्री धाम में पोलिंग बूथ बनाने का प्रस्ताव भेजा गया था। जिसे निर्वाचन आयोग ने मंजूर कर लिया।

30 वर्षों से गंगोत्री में तप कर रहे साधु-संन्यासी

आस्था, अध्यात्म व वैदिक संस्कृति के प्रतीक एवं जीवनदायिनी गंगा के उद्गम स्थल गंगोत्री में इन दिनों 45 साधु-संन्यासी योग साधना में रत हैं। इनकी साधना यहां पूरे वर्ष चलती है। पिछले 30 वर्षों से गंगोत्री धाम में तप कर इन साधुओं ने यहां कुटिया और आश्रम बनाए हुए हैं। धाम में लंबे अर्से से साधनारत राजा रामदास बताते हैं कि गंगोत्री में पोलिंग बूथ बनाने का निर्णय बिल्कुल सही है। अन्यथा साधु-संतों को मतदान के लिए 29 किमी दूर मुखवा जाना पड़ता।

तीनों धाम में नहीं किसी का स्थायी ठौर

उत्तराखंड में स्थित बदरीनाथ, केदारनाथ व यमुनोत्री धाम में आज तक कोई मतदान केंद्र नहीं बनाया गया। यमुनोत्री में शीतकाल के दौरान कोई साधु-संत नहीं रखते। केदारनाथ में भी किसी का स्थायी ठिकाना नहीं है। वहां जो लोग पुनर्निर्माण कार्य में जुटे हैं, उनके नाम निचले इलाकों की मतदाता सूची में दर्ज हैं। इसके अलावा बदरीनाथ धाम में भी कोई स्थायी रूप से नहीं रहता। इन दिनों बदरीनाथ में रहने वाले साधु-संतों के नाम भी किसी दूसरी जगह हो सकते हैं। इसलिए बदरीनाथ धाम या माणा गांव में कोई मतदान केंद्र नहीं है।


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