Move to Jagran APP

UP Lok Sabha Election Result 2019 : कांग्रेस पर भारी रहा सपा-बसपा गठबंधन

सपा-बसपा गठबंधन ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के पैर पसारने की उम्मीद को ध्वस्त कर दिया। कांग्रेस को बचाने के लिए लायी गयीं प्रियंका गांधी वाड्रा बेअसर सिद्ध हुईं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 09:03 PM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 11:50 AM (IST)
UP Lok Sabha Election Result 2019 : कांग्रेस पर भारी रहा सपा-बसपा गठबंधन
UP Lok Sabha Election Result 2019 : कांग्रेस पर भारी रहा सपा-बसपा गठबंधन

लखनऊ [अवनीश त्यागी]। सपा और बसपा गठबंधन ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के पैर पसारने की उम्मीद को ध्वस्त कर दिया। तुरुप के इक्के की तरह कांग्रेस को बचाने के लिए लायी गयीं प्रियंका गांधी वाड्रा बेअसर सिद्ध हुई। उनकी निगरानी में कांग्रेस का न केवल वोट बैंक घटा वरन पुश्तैनी गढ़ अमेठी भी बचाया नहीं जा सका। राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को पहली बार पराजय का सामना करना पड़ा। वहीं रायबरेली में सोनिया गांधी जीती जरूर परंतु 2014 की तुलना में जीत का अंतर घट गया। अन्य दलों से आए नेताओं को टिकट देने का फार्मूला भी कारगर सिद्ध न हो सका। 

loksabha election banner

गत लोकसभा चुनाव में 7.5 प्रतिशत वोट बटोरने में कामयाब रहे कांग्रेस को इस बार महज 6.31 फीसद मत मिल सके। यानि एक सीट घट गई और मत प्रतिशत भी न बढ़ सका। पार्टी के अन्य प्रमुख नेता भी अपना पुराना प्रदर्शन न दोहरा सकें।

गठबंधन के निशाने पर रही कांग्रेस

गठबंधन नेताओं खासकर बसपा प्रमुख मायावती ने कांग्रेस को भाजपा के साथ अपने निशाना पर रखा। जिसका जवाब देने में कांग्रेस नाकाम रही। इस ढुलमुल नीति के कारण गैर भाजपाई मतदाताओं की पहली पसंद कांग्रेस नहीं बन सकी। मुस्लिम व दलित वोटरों ने गठबंधन के पक्ष में जमकर मतदान किया। इसके चलते कांग्रेस में दिग्गज मुस्लिम नेता भी पिट गए। सहारनपुर सीट पर पूर्व विधायक इमरान मसूद को छोड़ कर एंटी भाजपा वोटरों का बसपा की ओर खिसक जाना कांग्रेस को नुकसानदेह साबित हुआ। इसी फेर में बिजनौर में पूर्व मंत्री व स्टार प्रचारक नसीमुद्दीन सिद्दीकी, मुरादाबाद में शायर इमरान प्रतापगढ़ी का भी बुरा हाल हुआ। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सलमान खुर्शीद भी इसी उपेक्षा का शिकार हुए।

दिग्गज भी हाशिए पर

संगठन की कमजोरी को दूर करने में भी प्रियंका सफल न हो सकी। कमजोर संगठन के चलते दिग्गज नेताओं में से अधिकतर अपना पुराना प्रदर्शन भी न दोहरा सके। प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर सीट बदलकर फतेहपुर सीकरी से चुनाव लड़े परंतु 157056 वोट पा सके जो गत चुनाव में मिले वोटों से कम है। कानपुर में श्रीप्रकाश जायसवाल के लिए भी लचर संगठन व गुटबाजी ही बाधक बनी।

कुशीनगर से आरपीएन सिंह, लखीमपुर खीरी में जफर अली नकवी, उन्नाव में अन्नू टंडन और फैजाबाद में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री को पिछले चुनाव से कम वोट ही मिल पाए। कांग्रेस के दलित चेहरे के तौर पर तैयार किए जा रहे पीएल पुनिया बाराबंकी से अपने पुत्र तनुज पुनिया को अपने बराबर वोट भी नहीं दिला सके। सुलतानपुर में पूर्व सांसद संजय सिंह का भी बुरा हाल हुआ और 50 हजार वोटों की गिनती भी नहीं छू सके।

बाहरी भी न बनें तारणहार

अन्य दलों से आए नेताओं को टिकट देकर चुनाव लड़ाने का फार्मूला भी सफल नहीं हो सका। रालोद से आए पूर्व विधायक त्रिलोकी राम दिवाकर हाथरस सीट पर, फूलपुर में अपना दल से आए पंकज निरंजन, आंवला सीट पर पूर्व सांसद सर्वराज सिंह और बस्ती में सपा के बागी पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह भी बुरी तरह पिछड़ गए।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.