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UP Lok Sabha Election Result 2019 : सपा की हार में प्रसपा को जीत का मजा

शिवपाल खेमे के नेताओं को सपा की हार में ही जीत का मजा आ रहा है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 10:51 PM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 08:34 AM (IST)
UP Lok Sabha Election Result 2019 : सपा की हार में प्रसपा को जीत का मजा
UP Lok Sabha Election Result 2019 : सपा की हार में प्रसपा को जीत का मजा

लखनऊ, जेएनएन। लोकसभा चुनाव 2019 से पहले चाचा (शिवपाल सिंह यादव) और भतीजे (अखिलेश यादव) के बीच टकराव के बाद सपा से टूट कर बनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) भले ही इस लोकसभा चुनाव में कोई सीट न जीत पाई हो लेकिन, शिवपाल यादव के खेमे के नेताओं को सपा की हार में ही जीत का मजा आ रहा है। वास्तव में प्रसपा को अपने किसी प्रत्याशी के न जीत पाने का अफसोस नहीं है। प्रसपा नेता इसी में खुश और संतुष्ट हैैं कि जिसने उनके नेता का अपमान किया, उसे उसके किए का फल मिल गया।

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17वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में समाजवादी पार्टी के परंपरागत मतदाताओं के बीच यही एक बात गहराई से तैर रही थी कि शिवपाल सिंह यादव तो हर कदम पर पार्टी और मुलायम के लिए समर्पित रहे लेकिन, नेताजी (मुलायम) और अखिलेश ने शिवपाल के साथ ठीक नहीं किया। यहां लोग यह मान रहे थे कि अपमानजनक परिस्थितियों के कारण ही शिवपाल को अलग पार्टी बनाने का कठिन फैसला लेना पड़ा। लोगों की इस सहानुभूति ने जहां शिवपाल को हौसला दिया, वहीं सपा के गढ़ में भी सेंध लगा दी। 

शिवपाल ने भी हर वह दांव आजमाया, जिससे सपा के लिए मुश्किलें कम न होने पाएं। अपनी पुरानी पैठ की बदौलत जहां उन्होंने सपा के जमीनी कार्यकर्ताओं में दोफाड़ की नौबत ला दी, वहीं परिवार को भी वह अखिलेश के खिलाफ ले आए। फीरोजाबाद में अपने समर्थन के लिए वह बदायूं से निवर्तमान सांसद धर्मेंद्र यादव के पिता और मुलायम के बड़े भाई अभयराम यादव को ले आए। फीरोजाबाद के मतदाता इससे दुविधा में आ गए, जिसके नतीजे में सपा हार गई।

फीरोजाबाद में बड़ा असर

प्रसपा ने लोकसभा चुनाव में कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश के 12 राज्यों में करीब 120 उम्मीदवार उतारे थे। इसमें 50 प्रत्याशी यहां प्रदेश में थे। वैसे तो ज्यादातर सीटों पर प्रसपा कुछ खास मौजूदगी दर्ज नहीं करा सकी लेकिन, फीरोजाबाद में सपा को हराने में प्रसपा की बड़ी भूमिका रही। फीरोजाबाद में समाजवादी पार्टी जितने वोट से हारी, उसके तीन गुना वोट प्रसपा के खाते में गए जबकि सुल्तानपुर में भी बसपा प्रत्याशी की हार और प्रसपा को मिले वोटों की संख्या में ज्यादा अंतर नहीं है। प्रसपा नेता आश्वस्त हैैं कि तीन महीने पुरानी उनकी पार्टी ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है।

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