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मर्जी के मालिक बने लालू के ये 'जिन्‍न', लोकसभा चुनाव में हाे गया कमाल ...जानिए मामला

कभी लालू यादव के लिए सत्‍ता की कुंजी रहे अति पिछड़े अब अपनी मर्जी के मालिक हो गए हैं। लोकसभा चुनाव में उन्‍होंने सात सीटें हासिल की हैं। पूरी जानकारी के लिए पढ़ें यह खबर।

By Amit AlokEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 10:18 PM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 11:06 AM (IST)
मर्जी के मालिक बने लालू के ये 'जिन्‍न', लोकसभा चुनाव में हाे गया कमाल ...जानिए मामला
मर्जी के मालिक बने लालू के ये 'जिन्‍न', लोकसभा चुनाव में हाे गया कमाल ...जानिए मामला

पटना [अरुण अशेष]। एक दौर में लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के 'जिन्न' रहे राज्य के अति पिछड़े अब खुद मर्जी के मालिक हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने इन्हें सत्ता में भागीदारी क्या दिलाई, लोकसभा चुनाव में कमाल हो हो गया। 40 में से सात सांसद अति पिछड़ी बिरादरी के चुने गए हैं। यह संख्या राजपूत सांसदों के बराबर है। राजपूत जाति के भी सात सांसद चुने गए हैं। सबके सब राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के हैं।

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बिहार से लोकसभा में अति पिछड़ों की भागीदारी का यह रिकार्ड है। 16वीं लोकसभा में इनकी संख्या तीन थी। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वीरेंद्र चौधरी, अजय निषाद और राजद के बुलो मंडल थे। निषाद इसबार भी चुनाव जीते। चौधरी बेटिकट हुए और मंडल चुनाव हार गए।

गैर-परम्परागत सीटों पर भी अति पिछड़ों की जीत

अति पिछड़ों की जीत गैर-परम्परागत सीटों पर भी हुई। जहानाबाद से चंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी जीते। यह भूमिहार और यादव जातियों की परम्परागत सीट मानी जाती है। कटिहार में दुलाल चंद्र गोस्वामी की सीट को इसी श्रेणी में रखा जा सकता है। भागलुपर से अजय कुमार मंडल, झंझारपुर से रामप्रीत मंडल, सुपौल से दिलेश्वर कामत, मुजफ्फरपुर से अजय निषाद और अररिया से प्रदीप सिंह की जीत हुई है। इन सीटों पर पहले भी अति पिछड़ों की जीत हुई है। मुजफ्फरपुर और झंझारपुर तो इस बिरादरी की परम्परागत सीट मान ली गई है।

ये हैं राजपूत बिरादरी के निर्वाचित सांसद

पूर्वी चंपारण से राधामोहन सिंह, वैशाली से वीणा देवी, सारण से राजीव प्रताप रूडी, महाराजगंज से जर्नादन सिंह सीग्रीवाल, सिवान से कविता सिंह, आरा से आरके सिंह और औरंगाबाद से सुशील कुमार सिंह की जीत हुई है। ये सब राजपूत बिरादरी के हैं।

यादवों से थोड़ा ही पीछे पिछड़ी बिरादरी के सांसद

कुशवाहा और कुर्मी को जोड़ दें तो पिछड़ी बिरादरी के सांसदों में ये यादवों से थोड़ा ही पीछे  हैं। नालंदा से कौशलेंद्र कुमार, बाल्मीकिनगर से वैद्यनाथ प्रसाद महतो, पूर्णिया से संतोष कुशवाहा और काराकाट से महाबली सिंह की जीत हुई है। यादवों में मधुबनी से अशोक यादव, मधेपुरा से दिनेश चंद्र यादव, उजियारपुर से नित्यानंद राय, बांका से गिरिधारी यादव और पाटलिपुत्र से रामकृपाल यादव की जीत हुई है।

वैश्य सांसदों की संख्या भी हुई दो से तीन

पिछड़ों में वैश्य सांसदों की संख्या भी दो से तीन हुई है। सीतामढ़ी से सुनील कुमार पिंटू, शिवहर से रमा देवी और पश्चिमी चंपारण से संजय जायसवाल की जीत हुई थी।

पांच ब्राह्मण व भूमिहार सांसद भी निर्वाचित

ब्राह्मण और भूमिहार सांसदों की संख्या पांच है। दरभंगा से गोपालजी ठाकुर, बक्सर से अश्विनी चौबे, मुंगेर से राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह, बेगूसराय से गिरिराज सिंह और नवादा से चंदन कुमार की जीत हुई है। कायस्थ बिरादरी के एक सांसद थे शत्रुघ्न सिन्हा। इस बार उन्हीं के क्षेत्र पटना साहिब से रविशंकर प्रसाद जीते हैं।

छह सुरक्षित सीटों में चार पर पासवान की जीत

छह सुरक्षित सीटों में चार पर पासवान जीते हैं। इनमें हैं हाजीपुर से पशुपति कुमार पारस, समस्तीपुर से रामचंद्र पासवान, जमुई से चिराग पासवान और सासाराम से छेदी पासवान शामिल हैं।

दो मांझी व दो मुस्लिम भी जीते

गोपालगंज से डॉ. आलोक कुमार सुमन और गया से विजय कुमार मांझी सांसद बने हैं। दोनों क्रमश: रविदास और मांझी बिरादरी के हैं। दो मुस्लिम भी जीते हैं। इनमें कांग्रेस के डॉ. जावेद, किशनगंज और खगडिय़ा से चौधरी महबूब अली कैसर शामिल हैं।

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