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Lok Sabha Election 2019: आमगाछी को नहीं जानते तो जान लीजिए... यहां के चूने से चढता पान का रंग

आमगाछी टोला में पान का व्यवसाय करने वाले मोदी परिवार रहते हैं। पान बेच कर जीवन बसर करना इनका पुश्तैनी धंधा है।

By mritunjayEdited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 12:33 PM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 12:33 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: आमगाछी को नहीं जानते तो जान लीजिए... यहां के चूने से चढता पान का रंग
Lok Sabha Election 2019: आमगाछी को नहीं जानते तो जान लीजिए... यहां के चूने से चढता पान का रंग

आमगाछी, राजीव। गोड्डा संसदीय क्षेत्र के देवघर विधानसभा के दायरे में एक गांव है आमगाछी। देवघर- दुमका मुख्य पथ पर स्थित तारगाछ चौक सिगारडीह से बायीं ओर जाने वाली प्रधानमंत्री सड़क योजना से बनी पक्की सड़क सीधे पहुंच जाती है आमगाछी। मलहारा पंचायत का एक बड़ा गांव जहां मोदी (चौरसिया), रवाणी, दलित, ब्राह्मण, राजपूत, मंडल, बढ़ई, वैश्य व भंडारी समुदाय की मिश्रित आबादी है। करीब 1300 मतदाता वाले आमगाछी गांव कई टोला में बंटा है।

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गंगटा चूना के व्यवसाय से जुड़ा मोदी समाजः आमगाछी टोला में पान का व्यवसाय करने वाले मोदी परिवार रहते हैं। पान बेच कर जीवन बसर करना इनका पुश्तैनी धंधा है। गांव के मुहाने पर ही प्राथमिक विद्यालय आमगाछी है और इसके ठीक पास सामने वाला घर निलेश मोदी का है। 13 सदस्यों का भरा-पूरा परिवार। निलेश बैद्यनाथपुर में पान की दुकान चलाते हैं। इनकी पत्नी डोली देवी घरेलू महिला हैं। यहां हमारी मुलाकात यहां रहने वाले निलेश से होती है। वे बताते हैं कि गांव में रहने वाले अधिकांश मोदी परिवार गंगटा चूना बनाते हैं, जो इनके अतिरिक्त आय का जरिया है। महीने में कम से कम डेढ़ से दो हजार रुपए की आमदनी हो जाती है। गंगटा चूना की देवघर में जबरदस्त डिमांड है। यहां के अधिकांश पान की दुकानों में यह चूना उपलब्ध है।

पंडा समुदाय का खास पंसदः देवघर के पंडा समुदाय के लोगों के पसंद में भी यह चूना शामिल है। निलेश बताते हैं कि आमगाछी से तकरीबन 15 से 20 किलोमीटर के दायरे में एक प्रकार का विशेष मिट्टी गंगट मिलता है। बिल्कुल पथरीला होता है यह माटी। इसी माटी से गंगटा चूना तैयार होता है। निलेश बताते हैं कि गंगट माटी से चूना बनाने की प्रक्रिया उसने अपने दादा स्व.मोहन मोदी से सीखी है। यह पुश्त-दर-पुश्त का धंधा है। निलेश ने कहा कि कुरेवा, भगवानपुर, पाड़ेडीह मे पहले गंगट माटी बहुतायत पैमाने पर मिल जाता था लेकिन अब गंगट माटी मिलने में परेशानी होती है। सो, आने वाले दिनों में इस पुश्तैनी धंधे पर भी चोट पडऩा तय है। निलेश के बड़े भाई बिरेंद्र कहते हैं कि गंगटा चूना बनाने में जितनी मेहनत है उसके हिसाब से आमदनी नहीं है। बस मजदूरी निकल जाती है। गांव के बुजुर्ग बसंत मोदी परचून दुकान चलाते हैं। बताते हैं कि पहले तकरीबन दो दर्जन लोग गंगटा चूना बनाते थे, लेकिन अब गिने-चुने लोग ही इसे बना रहे हैं। कहते हैं कि अभी गांव के सकलदीप चौरसिया, गोपाल चौरसिया, शिरोमणि चौरसिया और सुरेश चौरसिया समेत कुछेक और लोग ही गंगटा चूना बनाते हैं।

गांव के मुखिया से नाराजगीः चुनावी माहौल की चर्चा छेड़ते ही बसंत कहते हैं कि 76 साल हो चुका है। किसी भी तरह की सरकार योजना का लाभ नहीं मिला है। वृद्धावस्था पेंशन से भी वंचित हैं। हालांकि इन्हें आयुष्मान भारत योजना के तहत ग्रीन कार्ड मिला है, लेकिन इसका 75 फीसद रुपया एमबीबीएस को ही मिलने वाला है। पंचायत के मुखिया की कार्यशैली से थोड़ी नाराजगी है। कहते हैं कि अबकी बार चुनाव में हुलिया टाइट कर देंगे। वृद्धा सावित्री देवी का मतदाता पहचान पत्र नहीं है और इसकी वजह से पेंशन की स्वीकृति नहीं हो पा रही है। लेकिन पति गोंविद मोदी को वृद्धावस्था पेंशन का लाभ मिल रहा है।

छह साै रुपये में क्या होता हैः सावित्री की पुत्रवधु डोली खुश है। यहां से आगे बढऩे पर बुजुर्ग दुर्गा मोदी मिल जाते हैं। कहते हैं अभी तो मोदी का ही क्रेज है। बस आप लोग उनसे कहिए कि अबकी बार आएं तो बुजुर्गों के पेंशन की राशि में बढ़ोत्तरी कर दें। छह सौ से बढ़ाकर कम से कम एक हजार रुपए करवा दीजिए। इसी बीच युवा विकास कुमार यादव पहुंचते हैं। बताते हैं कि वे कैटरिंग का काम करते हैं। लोन के बारे में उसकी धारणा सही नहीं है। कहता है कि लोन लेने में बहुते लफड़ा है। एक बार डेयरी खोलने के लिए खूब दौड़े थे, लेकिन लोन नहीं मिला। कहा कि जो काम पहले नहीं हुआ था वह मोदी के सरकार में हो रहा है। पहले से स्थिति काफी सुधरी है। गांव में स्वरोजगार के लिए बकरीपालन शेड, गो-पालन शेड समेत कई तरह की योजनाएं गरीबों के लिए काफी उपयोगी है। कहा कि गांव में दो दर्जन से अधिक पीएम आवास बना है। घर-घर में रसोई चूल्हा व गैस कनेक्शन से महिलाओं को काफी राहत मिली है। गांव में रोटी, कपड़ा और मकान मिल जाए तो यही जरुरी है भाई।


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