Muzaffarpur, Bihar Lok Sabha Election 2019: यहां मोदी फैक्टर का एसिड टेस्ट, जातीय समीकरण भी तय करेंगे सांसद
Muzaffarpur Bihar Lok Sabha Election 2019 मुजफ्फरपुर में भाजपा के अजय निषाद और वीआइपी के डॉ. राजभूषण चौधरी में सीधी टक्कर है। यहां मोदी फैक्टर भी महत्वपूर्ण है।
By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 04 May 2019 10:32 PM (IST)Updated: Mon, 06 May 2019 04:53 PM (IST)
मुजफ्फरपुर [प्रेम शंकर मिश्र]। पिछली बार की तुलना में इस बार का लोकसभा चुनाव कई मायनों में अलग है। जो कभी विरोधी थे, अब साथ हैं। साथ वाले विरोधी खेमे में जा पहुंचे। यह तस्वीर दोनों ओर की है। मुजफ्फरपुर में दोनों प्रमुख गठबंधनों ने धुआंधार चुनाव प्रचार किया। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चुनाव प्रधार करने पहुंचे। यहां के चुनाव में जातीय समीकरण तो महत्वपूर्ण हैं हीं, मोदी फैक्टर के प्रभाव की भी परीक्षा होगी।
छह विधानसभा क्षेत्रों व वाले मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र से इस बार 22 उम्मीदवार मैदान में हैं। पिछले दो
चुनावों में यहां त्रिकोणीय मुकाबला रहा है। 2009 में लोजपा के भगवान लाल सहनी के मुकाबले जदयू के कैप्टन जयनारायण निषाद ने 48 हजार वोटों से जीत दर्ज कराई थी। कांग्रेस की उम्मीदवार विनीता विजय को एक लाख से अधिक वोट मिले थे। 2014 में भाजपा के अजय निषाद और कांग्रेस के अखिलेश प्रसाद सिंह में हार-जीत का अंतर दो लाख से अधिक वोटों का रहा था। जदयू उम्मीदवार विजेंद्र चौधरी को 85 हजार वोट मिले थे।
दलीय और जातीय समीकरण
इस बार के चुनाव में कोई तीसरा कोण नहीं। लड़ाई सीधी है। सांसद अजय निषाद भाजपा से फिर मैदान में हैं। उन्हें विकासशील इनसान पार्टी (वीआइपी) के डॉ. राजभूषण चौधरी चुनौती दे रहे। दलीय और जातीय समीकरण के कारण ही वे मुकाबले में हैं। दोनों उम्मीदवारों के एक ही जाति के होने से मुकाबला रोचक है। अजय निषाद के सामने पिता समेत खुद की साख बचाने की चुनौती है।
मोदी फैक्टर की परीक्षा तय
मुजफ्फरपुर में सभी बड़े नेताओं की यहां सभाएं हुईं। अजय निषाद के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, गिरिराज सिंह, रामविलास पासवान आदि के दौरे व रोड शो हुए हैं। डॉ. राजभूषण के लिए तेजस्वी यादव, शरद यादव और मुकेश सहनी ने सभाएं की हैं। मुजफ्फरपुर में प्रधानमंत्री खुद वोट मांग चुके हैं। इसलिए यहां सीधे तौर पर मोदी मैजिक का एसिड टेस्ट है।
बड़ी मुश्किल से टूटती है खामोशी
शशि भूषण पताही में प्रधानमंत्री का भाषण सुन चुके हैं। कहते हैं कि अखनी कुच्छो ना हए, चुनावे के दिन सब पता चल जतई। कलमबाग चौक के सौरभ स्थानीय में राष्ट्रीय मुद्दे तलाश रहे। कहते हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में पांच वर्षो में कुछ विशेष काम नहीं हुए। चचरी पुल अब भी बड़ा मुद्दा है, लेकिन इन सबसे ऊपर हमें देश भी देखना है। मतदाताओं में उत्साह नहीं है। चर्चा कीजिए तो बड़ी मुश्किल से खामोशी टूटती है। भारत वैगन फैक्ट्री बंद हो गई। इसकी जगह कुछ तो मिलना चाहिए था। आइडीपीएल पहले से बंद है। स्मार्ट सिटी का हश्र देख ही रहे हैं। फिर बरसात आएगी तो शहर पानी-पानी होगा। कटरा के किशुन मंडल की इस बात के कुछ निहितार्थ हैं।
बनते-बिगड़ते रहे समीकरण
यहां जातीय समीकरण भी बनते-बिगड़ते रहे। सबने अपनी बातें रखीं। मुजफ्फरपुर में करीब पौने दो लाख यादव और लगभग ढाई लाख मुस्लिम मतदाता हैं। वीआइपी पहली बार चुनाव में उतरी है, ऐसे में राजद और महागठबंधन के अन्य घटक दलों के समीकरण के सहारे उसके उम्मीदवार की लड़ाई टिकी है। वहीं, लगभग चार लाख सवर्ण और ढाई लाख वैश्य मतदाताओं पर भाजपा उम्मीदवार की नजर है।
इसमें महागठबंधन भी सेंधमारी की कोशिश कर रहा। नेताओं के दौरे और सभाओं से सेंधमारी की खूब कोशिश हुई है। अनुसूचित जाति और अन्य जातियों के करीब पौने छह लाख मतदाता इस लड़ाई में निर्णायक हो सकते हैं।
कुल मतदाता - 1730553
कुल मतदान केंद्र -1748
कुल प्रत्याशी- 22
छह विधानसभा क्षेत्रों व वाले मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र से इस बार 22 उम्मीदवार मैदान में हैं। पिछले दो
चुनावों में यहां त्रिकोणीय मुकाबला रहा है। 2009 में लोजपा के भगवान लाल सहनी के मुकाबले जदयू के कैप्टन जयनारायण निषाद ने 48 हजार वोटों से जीत दर्ज कराई थी। कांग्रेस की उम्मीदवार विनीता विजय को एक लाख से अधिक वोट मिले थे। 2014 में भाजपा के अजय निषाद और कांग्रेस के अखिलेश प्रसाद सिंह में हार-जीत का अंतर दो लाख से अधिक वोटों का रहा था। जदयू उम्मीदवार विजेंद्र चौधरी को 85 हजार वोट मिले थे।
दलीय और जातीय समीकरण
इस बार के चुनाव में कोई तीसरा कोण नहीं। लड़ाई सीधी है। सांसद अजय निषाद भाजपा से फिर मैदान में हैं। उन्हें विकासशील इनसान पार्टी (वीआइपी) के डॉ. राजभूषण चौधरी चुनौती दे रहे। दलीय और जातीय समीकरण के कारण ही वे मुकाबले में हैं। दोनों उम्मीदवारों के एक ही जाति के होने से मुकाबला रोचक है। अजय निषाद के सामने पिता समेत खुद की साख बचाने की चुनौती है।
मोदी फैक्टर की परीक्षा तय
मुजफ्फरपुर में सभी बड़े नेताओं की यहां सभाएं हुईं। अजय निषाद के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, गिरिराज सिंह, रामविलास पासवान आदि के दौरे व रोड शो हुए हैं। डॉ. राजभूषण के लिए तेजस्वी यादव, शरद यादव और मुकेश सहनी ने सभाएं की हैं। मुजफ्फरपुर में प्रधानमंत्री खुद वोट मांग चुके हैं। इसलिए यहां सीधे तौर पर मोदी मैजिक का एसिड टेस्ट है।
बड़ी मुश्किल से टूटती है खामोशी
शशि भूषण पताही में प्रधानमंत्री का भाषण सुन चुके हैं। कहते हैं कि अखनी कुच्छो ना हए, चुनावे के दिन सब पता चल जतई। कलमबाग चौक के सौरभ स्थानीय में राष्ट्रीय मुद्दे तलाश रहे। कहते हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में पांच वर्षो में कुछ विशेष काम नहीं हुए। चचरी पुल अब भी बड़ा मुद्दा है, लेकिन इन सबसे ऊपर हमें देश भी देखना है। मतदाताओं में उत्साह नहीं है। चर्चा कीजिए तो बड़ी मुश्किल से खामोशी टूटती है। भारत वैगन फैक्ट्री बंद हो गई। इसकी जगह कुछ तो मिलना चाहिए था। आइडीपीएल पहले से बंद है। स्मार्ट सिटी का हश्र देख ही रहे हैं। फिर बरसात आएगी तो शहर पानी-पानी होगा। कटरा के किशुन मंडल की इस बात के कुछ निहितार्थ हैं।
बनते-बिगड़ते रहे समीकरण
यहां जातीय समीकरण भी बनते-बिगड़ते रहे। सबने अपनी बातें रखीं। मुजफ्फरपुर में करीब पौने दो लाख यादव और लगभग ढाई लाख मुस्लिम मतदाता हैं। वीआइपी पहली बार चुनाव में उतरी है, ऐसे में राजद और महागठबंधन के अन्य घटक दलों के समीकरण के सहारे उसके उम्मीदवार की लड़ाई टिकी है। वहीं, लगभग चार लाख सवर्ण और ढाई लाख वैश्य मतदाताओं पर भाजपा उम्मीदवार की नजर है।
इसमें महागठबंधन भी सेंधमारी की कोशिश कर रहा। नेताओं के दौरे और सभाओं से सेंधमारी की खूब कोशिश हुई है। अनुसूचित जाति और अन्य जातियों के करीब पौने छह लाख मतदाता इस लड़ाई में निर्णायक हो सकते हैं।
कुल मतदाता - 1730553
कुल मतदान केंद्र -1748
कुल प्रत्याशी- 22
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