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Lok Sabha Election 2019: सरकारी का आंकड़ा नहीं, निजी कंपनियों में मिला 10,500 को रोजगार

शिक्षा के क्षेत्र में बोकारो के युवक पूरे देश में अपनी धाक जमा रहे हैं। बावजूद यहां के युवा रोजगार की तलाश में देश व दुनिया की खाक छान रहे हैं।

By mritunjayEdited By: Published: Sun, 14 Apr 2019 07:32 PM (IST)Updated: Sun, 14 Apr 2019 07:32 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: सरकारी का आंकड़ा नहीं, निजी कंपनियों में मिला 10,500 को रोजगार
Lok Sabha Election 2019: सरकारी का आंकड़ा नहीं, निजी कंपनियों में मिला 10,500 को रोजगार

बोकारो, राममूर्ति प्रसाद। नगर में चुनावी गर्माहट बढ़ रही है। शहर से लेकर गांव तक इसकी ही चर्चा है। कहीं विकास मुद्दा तो कहीं भ्रष्टाचार की बातें। इनके बीच रोजगार का मुद्दा कुछ गौण हो गया है। बोकारो जिले में युवाओं का यह अहम मुद्दा है।     

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शिक्षा के क्षेत्र में बोकारो के युवक पूरे देश में अपनी धमक दिखा रहे हैं। वहीं स्टील सिटी के रूप में भी यह विख्यात है। बावजूद यहां के  युवा रोजगार की तलाश में देश व दुनिया की खाक छान रहे हैं। कुछ ही युवक सिविल सर्विसेज, बैंक, रेलवे, सेना, पुलिस व अन्य सरकारी व निजी प्रतिष्ठान में नौकरी हासिल कर पाते हैं। अधिकतर युवाओं को आज भी नियोजन की तलाश है। अवर प्रादेशिक नियोजनालय में एक लाख 13 हजार 362 युवाओं ने पंजीयन कराया है। 10,500 युवाओं को ही निजी संस्थानों में नियोजन मिल सका है।

दम तोड़ रहे कल-कारखाने : बोकारो के बियाडा में लगभग 400 छोटे-बड़े कारखाने हैं। अधिकतर दम तोड़ रहे हैं। बोकारो स्टील प्लांट के अलावा जो कारखाने हैं वे जिले के युवाओं को आशा के अनुरूप रोजगार नहीं दे सके हैं।

लंबी हो रही बेरोजगारों की फौज : बोकारो में बेरोजगार युवाओं की फौज बढ़ती जा रही है। दिसंबर 2014 तक अवर प्रादेशिक नियोजनालय में 940130 युवाओं ने पंजीकरण कराया था, जो दिसंबर 2015 में बढ़कर 99,329 हो गया। दिसंबर 2016 तक 1,09,618, दिसंबर 2017 तक 1,12,507 एवं दिसंबर 2018 तक 1,13,677 युवाओं ने रोजगार के लिए यहां पंजीयन कराया। यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है।

प्रतिभा के अनुरूप नहीं मिल रहा काम : बेरोजगारी का आलम यह है कि कई उच्च डिग्रीधारी युवक डिलेवरी ब्वाय तक की नौकरी कर रहे हैं। निजी कंपनियों के लिए काफी कम मानदेय पर काम करते हैं। खाने के पैकेट लेकर ये अपने वाहन से लोगों तक पहुंचाते हैं। इसके एवज में कुछ राशि मिल जाती है। कई युवा निजी गार्ड बने हैं। वहीं ठेका मजदूर हैं। ठेका मजदूरी करने वाले एक युवक विकास ने बताया कि आखिर करें भी क्या पेट तो पालना ही है। जो भी सरकार आए युवाओं के रोजगार की दिशा में बड़ी पहल कर राजधर्म निभाए। सोच समझकर मतदान करेंगे।


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