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सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी भ्रष्‍टाचार में लिप्त वोटर्स के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए EC को निर्देश देने की मांग ठुकराई

सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनाव के दौरान चुनावी भ्रष्‍टाचार में लिप्त मतदाताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए निर्वाचन आयोग को निर्देश देने की मांग ठुकरा दी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 12:40 PM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 12:54 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी भ्रष्‍टाचार में लिप्त वोटर्स के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए EC को निर्देश देने की मांग ठुकराई
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी भ्रष्‍टाचार में लिप्त वोटर्स के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए EC को निर्देश देने की मांग ठुकराई

नई दिल्‍ली, एजेंसी। Lok Sabha Election-2019 सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने लोकसभा चुनाव के दौरान चुनावी भ्रष्‍टाचार में लिप्त मतदाताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए निर्वाचन आयोग (Election Commission) को निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। मुख्‍य न्‍यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस अर्जी पर कहा कि याचिकाकर्ता अपनी याचिका के साथ हाईकोर्ट का रुख कर सकता है। 

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बता दें कि इससे पहले सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने नफरत फैलाने वाले भाषणों पर नेताओं के खिलाफ त्वरित कार्रवाई नहीं करने पर चुनाव आयोग को फटकार लगाई थी। आयोग ने कोर्ट में कहा था कि ऐसे मामलों में कार्रवाई करने की उसके पास सीमित शक्तियां हैं। इसके बाद अदालत ने आयोग की शक्तियों का परीक्षण करने के मुद्दे पर सुनवाई करने का फैसला किया था। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आयोग की ओर से जब आयोग की ओर से की गई कार्रवाई का ब्योरा दिया गया तब संतुष्‍ट होकर कोर्ट ने कहा था कि 'लगता है कि चुनाव आयोग की शक्तियां अब वापस आ गई हैं।'

इससे इतर, सुप्रीम कोर्ट में एक अन्‍य जनहित याचिका दाखिल हुई है जिसमें चुनावी लाभ के लिए 'अदालत के आदेश को गलत ढंग पेश करने' को 'चुनाव का भ्रष्‍ट तरीका' करार देने की मांग की गई है। याचिका में शीर्ष अदालत से मांग की गई है कि चुनाव आयोग को यह अधिकार दिया जाए कि वह जाति, धर्म, भाषा या समुदाय के आधार पर वोट मांगने वाले उम्मीदवार का नामांकन रद कर सके और संबंधित पोलिटिकल पार्टी की मान्यता समाप्त कर सके। फ‍िलहाल, शीर्ष अदालत को इस मामले में सुनवाई करनी है।


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