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इलेक्टोरल बॉन्ड्स पर SC का फैसला: 30 मई तक चुनाव आयोग को चंदे की जानकारी दें राजनीतिक दल

राजनीतिक दलों के इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा कि क्या बॉन्ड पर रोक लगाई जाए या नहीं?

By Atyagi.jimmcEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 08:54 AM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2019 08:20 PM (IST)
इलेक्टोरल बॉन्ड्स पर SC का फैसला: 30 मई तक चुनाव आयोग को चंदे की जानकारी दें राजनीतिक दल
इलेक्टोरल बॉन्ड्स पर SC का फैसला: 30 मई तक चुनाव आयोग को चंदे की जानकारी दें राजनीतिक दल

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राजनैतिक दलों को आदेश दिया है कि वे चुनाव बांड के जरिये मिले चंदे का और दानकर्ता का पूरा ब्योरा सील बंद लिफाफे में चुनाव आयोग को दें। कोर्ट ने आदेश दिया है कि अभी तक मिले चंदे का पूरा ब्योरा तत्काल आयोग को दे किया जाए।

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इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि राजनैतिक दल वित्त मंत्रालय द्वारा तय तारीख के मुताबिक चुनाव बांड से जो चंदा प्राप्त करने वाले हैं उसका भी पूरा ब्योरा 30 मई तक चुनाव आयोग को दें। कोर्ट ने चुनाव बांड के जरिये चंदे में पारदर्शिता लाने की मांग पर शुक्रवार को ये अंतरिम आदेश दिये। हालांकि कोर्ट ने चुनाव बांड पर अंतरिम रोक नहीं लगाई है।

ये अंतरिम आदेश मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, दीपक गुप्ता और संजीव खन्ना की पीठ ने चुनाव बांड योजना पर रोक लगाने की गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म की अर्जी पर दिया है। संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनाव बांड योजना पर सवाल उठाया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस योजना से राजनैतिक दलों को चंदे के मामले में पारदर्शिता को झटका लगेगा। उससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। याचिकाकर्ता ने अर्जी दाखिल कर मामले में सुनवाई होने तक चुनाव बांड योजना पर अंतरिम रोक लगाने की भी मांग की थी।

कोर्ट ने शुक्रवार को अंतरिम आदेश देते हुए कहा कि चुनाव बांड योजना की वैधानिककता का मुद्दा एक बड़ा मुद्दा है जिस पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों की ओर से विरोधाभासी दावों और दलीलों के बीच इस अंतरिम आदेश में यह सुनिश्चित करना है कि दोनों को बीच संतुलन कायम रहे और किसी भी एक पक्ष की ओर झुकाव न हो क्योंकि मामला अभी तय होना है।

कोर्ट ने अंतरिम आदेश में कहा है कि सभी दल चुनाव आयोग को सील बंद लिफाफे में चुनाव बांड के जरिए चंदा देने वाले प्रत्येक दानकर्ता और बांड की रकम के साथ उससे खाते में प्राप्त की गई रकम का पूरा ब्योरा देंगे। साथ ही यह भी बताएंगे कि किस खाते में किस तारीख को रकम प्राप्त की गई। कोर्ट ने आदेश दिया है कि अभी तक प्राप्त किये जा चुके चंदे का ब्योरा तत्काल प्रभाव से चुनाव आयोग को दे दिया जाए।

इसके अलावा वित्त मंत्रालय द्वारा तय तिथियों के मुताबिक राजनैतिक दलों को जो चुनाव बांड अभी प्राप्त होने हैं उनके बारे में सारा ब्योरा 30 मई तक चुनाव आयोग को दे दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि जानकारी वाले सील बंद लिफाफे चुनाव आयोग के पास रहेंगे और कोर्ट द्वारा पारित किये जाने वाले आदेशों का पालन करेगा।

कोर्ट ने आदेश में कहा है कि चुनाव बांड योजना के मुताबिक कुल 50 दिन चुनाव बांड जारी हो सकते हैं जबकि वित्त मंत्रालय ने जो शिड्यूल तय किया है उसमे 55 दिन रखे गये हैं। कोर्ट ने वित्त मंत्रालय को आदेश दिया है कि वह तय शिड्यूल के 5 दिन घटाए।

सरकार फाइनेंस एक्ट 2016 व फाइनेंस एक्ट 2017 के जरिए चुनाव बांड योजना लाई थी। इसके जरिए आयकर कानून, जनप्रतिनिधित्व कानून, कंपनी एक्ट, आदि मे संशोधन किया गया। इस मामले में याचिकाकर्ता ने पूरी योजना को भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली और राजनैतिक चंदे में गोपनीयता बढ़ाने वाली बताते हुए रद करने की मांग की है।

याचिकाकर्ता का कहना है कि राजनैतिक दलों को चंदे के मामले में पारदर्शिता होनी चाहिए सरकार ने कानून में संशोधन कर दिया जिससे कि चुनाव बांड के जरिए मिले चंदे का खुलासा करने से छूट दे दी गई है। इसमें राजनैतिक दलों को दिये गए चंदे की सीमा हट गई है।

चुनाव आयोग ने कोर्ट मे कहा था कि वह चुनाव बांड योजना के खिलाफ नहीं है लेकिन योजना मे जो गोपनीयता है वह समाप्त होनी चाहिए। जबकि केन्द्र सरकार ने योजना का बचाव करते हुए दलील दी थी कि यह योजना राजनैतिक चंदे मे कालाधन का इस्तेमाल खतम करने के लिए लायी गई है।

सरकार ने चुनाव बांड का खुलासा करने का विरोध किया है। सरकार का कहना है कि बैंक के पास पूरा ब्योरा होता है लेकिन चंदे का ब्योरा सार्वजनिक नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे चंदा देने वाले के हित प्रभावित हो सकते हैं।


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