Sitamarhi, Bihar Lok Sabha Election 2019: यहां JDU-RJD की सीधी लड़ाई में फंसा भितरघात का पेंच
Sitamarhi Bihar Lok Sabha Election 2019 सीतामढी में राजद के अर्जुन राय और जदयू के सुनील कुमार पिंटू के बीच मुकाबला है। यहां के चुनाव में पार्टियों व नेताओं की साख फंसी हुई है।
By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 04 May 2019 10:17 PM (IST)Updated: Mon, 06 May 2019 04:53 PM (IST)
सीतामढ़ी [रविभूषण सिन्हा]। सीतामढ़ी कभी समाजवाद की सरजमीं थी, लेकिन आज यहां समाजवादियों को वजूद बचाने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ रहा है। वजह उनका खेमों में बंट जाना है। इस बंटवारे ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को काफी हद तक राहत दी है। यहां महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अर्जुन राय और राजग में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के सुनील कुमार पिंटू के बीच मुकाबला है। यहां दोनों प्रमुख प्रत्याशी भितरघात की आशंका से परेशान हैं।
डैमेज कंट्रोल में जुटे रहे दोनों गठबंधन
सुनील कुमार पिंटू की उम्मीदवारी आननफानन में तय हुई। वे भाजपा के टिकट पर विधायक हैं और सीतामढ़ी से पहले घोषित जदयू उम्मीदवार डॉ. वरुण कुमार द्वारा टिकट वापस किए जाने के बाद मैदान में उतारे गए। ऐसे में राजग के लिए यहां प्रतिष्ठा की लड़ाई हो गई है। विशेषकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए। वे सीतामढ़ी में लगातार जनसभाएं करते रहे, लेकिन सुनील कुमार पिंटू का भाजपा से जदयू में आकर टिकट लेने और चुनाव मैदान में कूदने के कारण भाजपा में एक धड़ा भितरघात कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो उनकी राह मुश्किल हो जाएगी।
यह महागठबंधन के लिए भी प्रतिष्ठा की सीट है। शरद यादव ने जिन दो सीटों के लिए अनुनय-विनय किया, उनमें मधेपुरा के साथ सीतामढ़ी भी रही है। अर्जुन राय उनके पसंदीदा उम्मीदवार हैं और 2009 में यहां से जदयू के सांसद भी रह चुके हैं। राजद के भीतर विरोध के बावजूद तेजस्वी ने सीताराम यादव का टिकट काट अर्जुन को प्रत्याशी बनाया। ऐसे में इस सीट से शरद और तेजस्वी की प्रतिष्ठा जुड़ गई है।
उम्मीदवारों को लेकर चूंकि दोनों गठबंधनों में असहजता की स्थिति रही है, लिहाजा भितरघात की आशंका से इनकार नहीं कर सकते।
जातिवाद की जकड़न में जननायक की कर्मभूमि
नेपाल का सीमावर्ती सोनबरसा जननायक कर्पूरी ठाकुर की कर्मस्थली रही है। बाद में यह इलाका अपराधियों की शरणस्थली के साथ ही तस्करों के लिए मुफीद हो गया। कहने के लिए मुद्दे जो भी हों, वोट में तो जाति ही अहम भूमिका निभाती है।
राजनेताओं को याद आते रहे कर्पूरी ठाकुर
बहरहाल, चुनाव के इस मौसम में राजनेताओं को जननायक कर्पूरी ठाकुर याद आते रहे। सच्चाई यह कि इलाका जातिवाद की गिरफ्त में हैं। सोनबरसा से भुतही की दूरी 13 किलोमीटर है। दोनों के बीच परसा, बेला, फतहपुर और फरछहिया समेत कई गांव हैं। इनका काफी विकास हुआ है। इन दिनों भूतही में पुराने एनएच के पास स्थित हाईस्कूल मैदान राजनीति का बड़ा केंद्र बना। यहां खूब चुनावी सभाएं हुईं। उन सभाओं में विकास की बातों के साथ जातीय गोलबंदी का ख्याल भी रहा। मतलब साफ है, पार्टी कोई भी हो, नेता जो भी रहे, जाति ध्यान में है।
पुल नहीं बनने से नाराजगी
हाईवे का कुछ इलाका परिहार और कुछ इलाका बथनाहा विधानसभा क्षेत्र में आता है। बथनाहा के दायरे में विकास कार्य नहीं होने से लोगों में नाराजगी है। सुपैना, हरनहिया समेत दर्जनभर घाटों पर पुल नहीं बने। सहियारा को प्रखंड बनाने के लिए कोई पहल नहीं हुई। बथनाहा के अरुण चौधरी, अशोक राय और मोहन झा आदि जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हैं। कहते हैं कि वोट तो देना ही है और इन्हीं में से किसी को देना है। वैसे ये सभी एक जैसे ही हैं।
भीड़ का मतलब वोट नहीं
लोग मतदान से ठीक पहले नेताओं के पाला बदलने को स्वीकार नहीं कर रहे। भूतही के गंगा राउत कहते हैं, सभाओं में भीड़ से वोट के मतलब न लगावल जाए। एमे लोग देखे आ सुने अवइछइ। गोविंद राय कहते हैं कि मुद्दों की कमी नहीं है यहां। वादे भी खूब होते रहे, लेकिन हम किसी के झांसे में नहीं आएंगे। शिक्षक दीपक कुमार की अलग राय है। वे कहते हैं, इस बार स्थानीय स्तर पर कोई मुद्दा नहीं, राष्ट्रवाद सबसे बड़ा मुद्दा है।
डैमेज कंट्रोल में जुटे रहे दोनों गठबंधन
सुनील कुमार पिंटू की उम्मीदवारी आननफानन में तय हुई। वे भाजपा के टिकट पर विधायक हैं और सीतामढ़ी से पहले घोषित जदयू उम्मीदवार डॉ. वरुण कुमार द्वारा टिकट वापस किए जाने के बाद मैदान में उतारे गए। ऐसे में राजग के लिए यहां प्रतिष्ठा की लड़ाई हो गई है। विशेषकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए। वे सीतामढ़ी में लगातार जनसभाएं करते रहे, लेकिन सुनील कुमार पिंटू का भाजपा से जदयू में आकर टिकट लेने और चुनाव मैदान में कूदने के कारण भाजपा में एक धड़ा भितरघात कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो उनकी राह मुश्किल हो जाएगी।
यह महागठबंधन के लिए भी प्रतिष्ठा की सीट है। शरद यादव ने जिन दो सीटों के लिए अनुनय-विनय किया, उनमें मधेपुरा के साथ सीतामढ़ी भी रही है। अर्जुन राय उनके पसंदीदा उम्मीदवार हैं और 2009 में यहां से जदयू के सांसद भी रह चुके हैं। राजद के भीतर विरोध के बावजूद तेजस्वी ने सीताराम यादव का टिकट काट अर्जुन को प्रत्याशी बनाया। ऐसे में इस सीट से शरद और तेजस्वी की प्रतिष्ठा जुड़ गई है।
उम्मीदवारों को लेकर चूंकि दोनों गठबंधनों में असहजता की स्थिति रही है, लिहाजा भितरघात की आशंका से इनकार नहीं कर सकते।
जातिवाद की जकड़न में जननायक की कर्मभूमि
नेपाल का सीमावर्ती सोनबरसा जननायक कर्पूरी ठाकुर की कर्मस्थली रही है। बाद में यह इलाका अपराधियों की शरणस्थली के साथ ही तस्करों के लिए मुफीद हो गया। कहने के लिए मुद्दे जो भी हों, वोट में तो जाति ही अहम भूमिका निभाती है।
राजनेताओं को याद आते रहे कर्पूरी ठाकुर
बहरहाल, चुनाव के इस मौसम में राजनेताओं को जननायक कर्पूरी ठाकुर याद आते रहे। सच्चाई यह कि इलाका जातिवाद की गिरफ्त में हैं। सोनबरसा से भुतही की दूरी 13 किलोमीटर है। दोनों के बीच परसा, बेला, फतहपुर और फरछहिया समेत कई गांव हैं। इनका काफी विकास हुआ है। इन दिनों भूतही में पुराने एनएच के पास स्थित हाईस्कूल मैदान राजनीति का बड़ा केंद्र बना। यहां खूब चुनावी सभाएं हुईं। उन सभाओं में विकास की बातों के साथ जातीय गोलबंदी का ख्याल भी रहा। मतलब साफ है, पार्टी कोई भी हो, नेता जो भी रहे, जाति ध्यान में है।
पुल नहीं बनने से नाराजगी
हाईवे का कुछ इलाका परिहार और कुछ इलाका बथनाहा विधानसभा क्षेत्र में आता है। बथनाहा के दायरे में विकास कार्य नहीं होने से लोगों में नाराजगी है। सुपैना, हरनहिया समेत दर्जनभर घाटों पर पुल नहीं बने। सहियारा को प्रखंड बनाने के लिए कोई पहल नहीं हुई। बथनाहा के अरुण चौधरी, अशोक राय और मोहन झा आदि जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हैं। कहते हैं कि वोट तो देना ही है और इन्हीं में से किसी को देना है। वैसे ये सभी एक जैसे ही हैं।
भीड़ का मतलब वोट नहीं
लोग मतदान से ठीक पहले नेताओं के पाला बदलने को स्वीकार नहीं कर रहे। भूतही के गंगा राउत कहते हैं, सभाओं में भीड़ से वोट के मतलब न लगावल जाए। एमे लोग देखे आ सुने अवइछइ। गोविंद राय कहते हैं कि मुद्दों की कमी नहीं है यहां। वादे भी खूब होते रहे, लेकिन हम किसी के झांसे में नहीं आएंगे। शिक्षक दीपक कुमार की अलग राय है। वे कहते हैं, इस बार स्थानीय स्तर पर कोई मुद्दा नहीं, राष्ट्रवाद सबसे बड़ा मुद्दा है।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें