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नैनीताल सीट पर भाजपा-कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला, बसपा मुकाबले को बनाएगी त्रिकोणीय

नैनीताल का चुनावी मुकाबला रोमांचक है। एक तरफ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चुनावी संग्राम में मोर्चा संभाले हुए हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व सीएम हरीश रावत हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 28 Mar 2019 11:30 AM (IST)Updated: Thu, 28 Mar 2019 11:30 AM (IST)
नैनीताल सीट पर भाजपा-कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला, बसपा मुकाबले को बनाएगी त्रिकोणीय
नैनीताल सीट पर भाजपा-कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला, बसपा मुकाबले को बनाएगी त्रिकोणीय

हल्द्वानी, जेएनएन : राज्य की वीआइपी सीट नैनीताल का चुनावी मुकाबला बेहद रोमांचक है। एक तरफ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चुनावी संग्राम में मोर्चा संभाले हुए हैं, तो दूसरी ओर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व सीएम हरीश रावत हैं। दोनों ही राज्य की राजनीति में खास मुकाम रखते हैं। ऐसे में इस सीट पर सीधा मुकाबला भी भाजपा व कांग्रेस के इन दोनों प्रत्याशियों के बीच है। सपा समर्थित बसपा के प्रत्याशी मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकते थे, लेकिन पार्टी की तैयारी व प्रत्याशी को लेकर मैदान में ऐसा नहीं नजर आ रहा है।

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इन क्षेत्रों में जातीय आधार पर ये है स्थिति

लोकसभा क्षेत्र में 25 लाख की आबादी है। इसमें 15 फीसद मुस्लिम हैं। 17-18 फीसद ओबीसी और 15 से 18 फीसद ब्राह्मण और क्षत्रिय हैं। इसके अलावा अन्य जातियों के लोग हैं।

राष्ट्रीय के साथ स्थानीय मुद्दे भी हावी

नैनीताल लोकसभा सीट पर भाजपा पीएम नरेंद्र मोदी के प्रभाव को भुना रही है। इसके साथ ही राष्ट्रीय मुद्दों के अलावा राज्य सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति समेत कुछ स्थानीय मुद्दों को उछाल रही है। जबकि, कांग्रेस ने न्यूनतम आय योजना के अलावा स्थानीय मुद्दों पर अधिक फोकस किया है।

मजबूत पक्ष

भाजपा

मजबूत सांगठनिक ढांचा

पीएम मोदी का प्रभाव 

प्रदेश अध्यक्ष का अपना कद 

केंद्र व राज्य सरकार की योजनाएं

सोशल मीडिया में पार्टी की सक्रियता

कांग्रेस

  • प्रत्याशी की व्यक्तिगत छवि
  • क्षेत्र में लगातार सक्रियता
  • लोकपर्व व उत्पादों से जुड़े रहना
  • नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मंत्री का समर्थन
  • व्यक्तिगत रूप से सोशल मीडिया में सक्रिय

कमजोर पक्ष

भाजपा

  • पहली बार इस क्षेत्र में चुनाव लडऩा
  • क्षेत्रीय मुद्दों को अधिक प्रभावी तरीके से न उठाना
  • प्रत्याशी का सीधे आम जन से संवाद न होना

कांग्रेस

  • कमजोर सांगठनिक ढांचा
  • पार्टी नेताओं के बीच अंतर्कलह 
  • टिकट न मिलने से नाराज नेताओं को मनाना

कांग्रेस का गढ़ रही है नैनीताल सीट

तराई-भाबर व पर्वतीय क्षेत्र की इस सीट पर 77 वर्षों में 17 सांसद चुने जा चुके हैं। इसमें से 12 सांसद कांग्रेस से जीते हैं। ऐसे में यह सीट हमेशा से ही कांग्रेस का गढ़ रहा। इतने वर्षों में यहां से भाजपा के केवल तीन सांसद ही जीत सकी है। भारतीय लोक दल व जनता दल से भी एक-एक सांसद जीते हैं।

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