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Lok Sabha Election 2019: गठबंधन की नजर 272 के आंकड़े पर, सरकार बनाने की रणनीति में जुटी सोनिया

राहुल गांधी को कांग्रेस की कमान सौंपने के बाद सोनिया गांधी एक तरह से शांत होकर बैठ गई थी। अब सरकार के गठन को लेकर सक्रिय हो गई हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Thu, 16 May 2019 09:45 PM (IST)Updated: Fri, 17 May 2019 12:32 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: गठबंधन की नजर 272 के आंकड़े पर, सरकार बनाने की रणनीति में जुटी सोनिया
Lok Sabha Election 2019: गठबंधन की नजर 272 के आंकड़े पर, सरकार बनाने की रणनीति में जुटी सोनिया

नई दिल्ली, आइएएनएस । लोकसभा चुनाव अब अपने आखिरी पड़ाव की तरफ बढ़ गया है। अब सबकी निगाहें 23 मई पर टिकी हैं। हर कोई अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहा है। 272 के आंकड़े को हकीकत में बदलने की कवायद भी शुरू हो गई है।इसी कड़ी में कांग्रेस नेता और यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मतगणना के दिन सहयोगी दलों की बैठक बुलाई है। प्रमुख विपक्षी दलों को भी न्योता भेजा गया है।

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सोनिया गांधी ने अखिलेश यादव और मायावती समेत विपक्ष के सभी प्रमुख नेताओं को 23 मई की बैठक में शामिल होने के लिए पत्र लिखा है। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को भी बैठक में बुलाने की कोशिश हो रही है।

सोनिया के खास अहमद पटेल को इन दोनों नेताओं से संपर्क साधने की जिम्मेदारी दी गई है। द्रमुक, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) जैसे सहयोगी दलों को भी बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। इन दोनों दलों के नेताओं एमके स्टालिन और शरद पवार ने बैठक में शामिल होने की पुष्टि भी कर दी है।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू भी बैठक का हिस्सा होंगे। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पाले में करने की कोशिशें भी हो रही हैं। वाईएसाआरसीपी के जगनमोहन रेड्डी से भी बैठक में शामिल होने के लिए संपर्क किया जा रहा है।

इस बैठक का मुख्य मकसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजग के बहुमत के आंकड़े से पीछे रह जाने की स्थिति के बाद के हालात पर विचार करना है।

राहुल गांधी को कांग्रेस की कमान सौंपने के बाद सोनिया गांधी एक तरह से शांत होकर बैठ गई थी। अब सरकार के गठन को लेकर सक्रिय हो गई हैं। संभावना जताई जा रही है कि अगर उत्तर प्रदेश में जातिगत समीकरण सफल रहा तो अखिलेश और मायावती को बड़ी जीत मिल सकती है, लिहाजा यूपीए की नजर अखिलेश और माया पर प्रमुखता से टिकी है।

हालांकि, चुनाव से पहले कांग्रेस उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के गठबंधन में शामिल नहीं हो सकी थी, लेकिन इनके बीच लड़ाई दोस्ताना ही नजर आई। भाजपा का वोट काटने के लिए कांग्रेस ने ज्यादातर सीटों पर ऊंची जाति के प्रत्याशी खड़े किए। इसके बदले में सपा-बसपा गठबंधन ने गांधी परिवार की पारंपरिक सीटों अमेठी और रायबरेली में अपने प्रत्याशी नहीं उतारे। इन दलों के नेता भी लगातार संपर्क में बने रहे।

अब जब सोनिया गांधी ने अखिलेश और मायावती को पत्र लिखा है, इससे भी साफ होने लगा है कि गठबंधन के नेता भी यूपीए में शामिल होने में दिलचस्पी रखते हैं।

सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आइपी सिंह उत्तर प्रदेश में गठबंधन को 60 सीटों पर जीत मिलने का दावा कर रहे हैं। हालांकि, यूपी में पीएम मोदी की रैलियों को देखते हुए उनके इस दावे में बहुत दम नजर नहीं आता। उनका यह भी कहना है कि 23 मई के बाद सरकार के गठन में गठबंधन की अहम भूमिका होगी।

नतीजों का इंतजार करेंगे टीआरएस और वाईएसआरसीपी
वहीं तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और जगनमोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के 23 मई को सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल होने की संभावना नहीं है।

दोनों ही दलों ने आधिकारिक रूप से बैठक के लिए निमंत्रण मिलने से ही इन्कार किया है। दोनों दलों की मंशा चुनाव की तस्वीर साफ होने तक इंतजार करने की है। वहीं, वाईएसआरसीपी के कुछ नेताओं ने इस पर हैरानी जताई कि जब मतगणना चल ही रही होगी तब कोई नेता कैसे बैठक में शामिल होने जा सकता है। 

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