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Lok Sabha Election 2019 : इलेक्शन ट्रैवल : कभी दिखता, कभी ओझल रहता है विकास

इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र के यमुनापार इलाके में विकास का दो रूप दिखाई पड़ता है। कहीं विकास दिखता है तो कहीं विकास से इलाके अछूते भी हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 11 May 2019 02:17 PM (IST)Updated: Sat, 11 May 2019 02:17 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019 : इलेक्शन ट्रैवल : कभी दिखता, कभी ओझल रहता है विकास

प्रयागराज [मदन मोहन सिंह] । चुनाव प्रचार थम जाने से कुछ घंटे पहले एक सफर इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र का। नैनी में आइटीआइ, बीपीसीएल, टीएसएल, एचसीएल, स्वदेशी कॉटन मिल, टीईडब्ल्यू सहित सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कई बंद फैक्ट्रियों को बदरंग और सरकंडों में घिरी चारदीवारी देखते हुए रामपुर के रास्ते करछना पहुंच जाते हैं। दुपहरिया की झुलसाती धूप से बचने के लिए लबे सड़क आम के पेड़ नीचे शरण लिए शोभनाथ मौर्य से कुछ देर के लिए चुनावी चर्चा कर लिए। इधर किसकी हवा है? इस सवाल के जवाब में वह मोदी और केशव मौर्य का नाम लेकर खामोश हो जाते हैं और हम आगे बढ़ जाते हैं। कुछ किलोमीटर बाद उभरता है पथरीला इलाका। सड़क की दायीं ओर स्टोन क्रशर प्लांटों का सिलसिला। करोड़ों की कमाई कराने वाले दर्जनों प्लांट की श्रृंखला। बायीं ओर कोल बिरादरी के लोगों के पत्थरों से बने-बिगड़े घर, जो विकास की बातों को जेहन से काफूर करने के लिए काफी हैं। 

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 तरेवरा में कुट्टी मशीन पर चारा काट रहे धर्मराज कुशवाहा कहते हैं कि मोदी का जोर तो है, लेकिन पूर्व विधायक की बदौलत कांग्रेस भी यहां अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटी है। धर्मराज एक दिन पहले हुई एक सभा का भी जिक्र करते हैं। सड़क किनारे कुछेक दुकानों वाली चट्टी भोगन में राजमणि निषाद कांग्रेस का नारा बुलंद करते-करते मोदी-मोदी करने लगते हैं। लोग बताते हैं, राजमणि की मानसिक हालत दुरुस्त नहीं है। चाय की दुकान पर मौजूद लोग 'एक की ही हवा है' कहते हुए बताते हैं-यह क्षेत्र आज तक असिंचित है। कुछ किलोमीटर पर नहर है, लेकिन यहां नहीं। इसके लिए किसी ने अभी तक गंभीरता से प्रयास नहीं किया। भीमसेन केसरी छह बेटियों के पिता हैं, छोटी सी दुकान चलाकर गुजर बसर करते हैं। रुआंसे अंदाज में कहते है-कालोनियां बंटी, लेकिन अपने-अपनों में। मुझ जैसे वाजिब हकदार वंचित रह गए। 

  इस तरह चुनावी हवा भांपते, लोगों से बहस मुबाहिसों के साथ हम पहुंचे मानपुर होते हुए हंडिया। इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र का अंतिम मतदान केंद्र। कोरांव तहसील के इस मतदान केंद्र से कुछ मीटर के फासले पर शुरू हो जाती है मध्य प्रदेश की सीमा। नजर आने लगते हैं पहाड़। चमचमाती सड़क के किनारे जिस प्राइमरी स्कूल में मतदान केंद्र बनाया गया है, उसके रंग-रोगन और व्यवस्था तबीयत खुश करने वाली होती है। शौचालय, वॉश बेसिन, रसोईघर, बिजली व्यवस्था के लिए  सोलर पैनल। मिड डे मील में किस दिन क्या खाना दिया जाएगा, इसकी फेहरिस्त।

  विकास नजर आता है। लेकिन यहां से लौटते वक्त रास्ते में अधिकांश घर कच्चे, खपरैल के नजर आते हैं। शौचालय इक्का-दुक्का ही दिखते हैं। चुनावी बयार से एक तरह से अछूता यह इलाका अपने घरेलू काम-धंधे में व्यस्त नजर आता है। वापसी में जारी कस्बा पूरी तरह भगवा झंडे से पटा नजर आता है। लेकिन यह भगवा झंडे किसी पार्टी के नहीं, लोगों ने आस्था स्वरूप अपने घरों पर लगा रखे हैं। शाम के आंचल में गुम होते सूरज के साथ पुलिस की चौकसी बढ़ गई है। बेरिकेडिंग के साथ वाहनों की जांच शुरू हो गई है, क्योंकि चुनाव प्रचार थम गया है। पुलिस-प्रशासन मतदान शांतिपूर्ण कराने के लिए कमर कसकर मैदान में आ चुका है। 

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