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Lok Sabha Election 2019: झारखंड में लोकसभा चुनाव में पारा शिक्षक बनेंगे बड़ा फैक्टर

Lok Sabha Election 2019. 67 हजार पारा शिक्षक राजनीतिक दलों के लिए बड़ा वोट बैंक हैं। स्थायी करने को ले घोषणा पत्रों में सभी करेंगे दावे। पारा शिक्षकों को रिझाने के लिए दलों में होड़।

By Alok ShahiEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 02:36 PM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 02:38 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: झारखंड में लोकसभा चुनाव में पारा शिक्षक बनेंगे बड़ा फैक्टर
Lok Sabha Election 2019: झारखंड में लोकसभा चुनाव में पारा शिक्षक बनेंगे बड़ा फैक्टर

रांची, [नीरज अम्बष्ठ] । लोकसभा चुनाव में पारा शिक्षक भी बड़े फैक्टर के रूप में काम करेंगे। सर्व शिक्षा अभियान (अब समग्र शिक्षा अभियान) के तहत कार्यरत 67 हजार पारा शिक्षक हमेशा राजनीतिक दलों के लिए वोट बैंक रहे हैं। इस बार भी विभिन्न राजनीतिक दल अपने घोषणा पत्रों में इनके लिए बड़े-बड़े वादे कर सकते हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री तथा झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने पहले ही घोषणा कर दी है कि उनकी सरकार बनने पर सभी पारा शिक्षकों को स्थायी करेगी।

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वे पार्टी के घोषणापत्र में इसे शामिल कर सकते हैं। इसी तरह, अन्य दलों व उम्मीदवारों में भी पारा शिक्षकों को स्थायी करने तथा उन्हें रिझाने के लिए होड़ लगी है। भारतीय जनता पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में पारा शिक्षकों को नियमित करने की बात अपने घोषणा पत्र में की थी। राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद पारा शिक्षकों की मांगें अभी तक पूरी तो नहीं हो पाई लेकिन राज्य सरकार ने हाल ही में इसके लिए विभागीय मंत्री नीरा यादव की अध्यक्षता में एक और कमेटी बना दी है।  
सांसदों, विधायकों की मांग पर डैमेज कंट्रोल
राज्य भर के पारा शिक्षकों ने पिछले वर्ष नवंबर में नियमितीकरण व मानदेय वृद्धि की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया था। उस समय राज्य सरकार ने इनके आंदोलन को दबाने का प्रयास किया। झारखंड स्थापना दिवस मुख्य कार्यक्रम में विरोध करने पर कई पारा शिक्षकों पर प्राथमिकी भी दर्ज हुई। पारा शिक्षक दो माह तक हड़ताल पर रहे। इस दौरान भारी ठंड में आंदोलन के क्रम में कुछ पारा शिक्षकों की मौत भी हो गई।

बाद में सांसदों, विधायकों के दबाव पर राज्य सरकार ने न केवल इनका मानदेय बढ़ाने से लेकर कई मांगों पर सहमति दी, बल्कि इनके स्थायीकरण की मांग को लेकर विभागीय मंत्री नीरा यादव की अध्यक्षता में एक और कमेटी बना दी। इस कमेटी की लगातार बैठकें हुईं, जिसमें पारा शिक्षकों के कल्याण कोष, टेट की मान्यता पांच साल से बढ़ाकर सात साल करने आदि के निर्णय लिए गए। इस तरह, पारा शिक्षकों की अधिसंख्य मांगों पर कार्रवाई कर डैमेज कंट्रोल का प्रयास किया गया। आंदोलन के दौरान निधन होने वाले पारा शिक्षकों को एक-एक लाख रुपये देने की घोषणा भी हुई, लेकिन ऐन वक्त पर आचार संहिता लागू होने के कारण राशि आश्रितों को नहीं मिल पाई।
पारा शिक्षक नेताओं को दलों के रूख का इंतजार
पारा शिक्षक नेता भी विभिन्न राजनीतिक दलों के रूख का इंतजार कर रहे हैं। राज्य में पारा शिक्षकों के तीन-चार संघ हैं जो संयुक्त मोर्चा बनाकर अपनी मांगों को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं। राजनीतिक दलों के घोषणा पत्रों तथा उनके रूख को देखकर नेता अप्रत्यक्ष रूप से किसी खास दल को समर्थन भी देते हैं।


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