Lok Sabha Election 2019: झारखंड में भाजपा-आजसू गठबंधन का साइड इफेक्ट; बगावत के मूड में रविंद्र पांडेय
झामुमो के एक वरीय नेता के मुताबिक रवींद्र पांडेय संगठन के संपर्क में भी हैं। ऐसे में कयास लगाया जा सकता है कि वे झामुमो का दामन थाम सकते हैं।
रांची, जेएनएन। राज्य में भाजपा और आजसू के बीच गठबंधन के तहत गिरिडीह सीट पर भाजपा की दावेदारी नहीं रही। भाजपा ने इस सीट को अपने सहयोगी दल आजसू पार्टी के लिए छोड़ दिया है। इससे गिरिडीह के सांसद रविंद्र कुमार पांडेय खासे नाराज हैं। आमलोगों के बीच गहरी पैठ रखने वाले सांसद की शिकायत यह है कि इतना बड़ा फैसला लेने के पहले उन्हें विश्वास में लेने तक की कोशिश नहीं की गई। इस एकतरफा फैसले से आहत रविंद्र कुमार पांडेय भाजपा को जोर का झटका देने के मूड में हैं।
बताया जाता है कि वे दल भी बदल सकते हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा के एक वरीय नेता के मुताबिक वे संगठन के संपर्क में भी हैं। ऐसे में कयास लगाया जा सकता है कि रविंद्र कुमार पांडेय झामुमो का दामन थाम सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो इसका असर लोकसभा चुनाव के दौरान गिरिडीह सीट पर पड़ेगा। एनडीए गठबंधन को यह सीट निकालने में ज्यादा मशक्कत करनी पड़ेगी। विपक्षी महागठबंधन के तहत झारखंड मुक्ति मोर्चा को यह सीट मिली है। अगर रविंद्र कुमार पांडेय ने भाजपा छोड़ी तो इससे झामुमो का मनोबल बढ़ना स्वाभाविक है।
रवींद्र राय ने दी अनुशासन की दुहाई : उधर कोडरमा के भाजपा सांसद रवींद्र कुमार राय ने गिरिडीह के संदर्भ में पूर्व में दिए गए बयान से पल्ला झाड़ लिया है। अपने निजी सचिव के हवाले से जारी बयान में उन्होंने अनुशासन की दुहाई दी है। कहा है कि गिरिडीह के संदर्भ में वे भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के निर्णय के साथ हैं। पार्टी के आदेश का वे पालन करते रहेंगे। पार्टी के अंदर किसी प्रकार का विरोध पैदा करने के प्रचार की वे निंदा करते हैं। केंद्रीय नेतृत्व किसी भी सीट के बारे में निर्णय लेने में सक्षम है। अलग-अलग क्षेत्र की जो राजनीतिक परिस्थिति है उसकी चर्चा स्वाभाविक है। उन्होंने इस बाबत उनके स्तर से दी गई जानकारी को गलत बताया। कहा कि झारखंड में पूर्व में भी झारखंड में भाजपा की तरफ से गठबंधन धर्म का पालन होता रहा है। भाजपा को आजसू की भावना की कद्र है और आजसू भी परिस्थितियों और भाजपा के कार्यकर्ताओं की भावनाओं का ख्याल रखेगी।