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Jharkhand Election Results 2019: दुमका की गूंज दिल्ली तक, मंत्रालय पर दस्तक

Jharkhand Election Results 2019. इस बार भाजपा के सुनील सोरेन ने आठ बार के सांसद और झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन को शिकस्त दी है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 23 May 2019 10:09 PM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 11:46 AM (IST)
Jharkhand Election Results 2019: दुमका की गूंज दिल्ली तक, मंत्रालय पर दस्तक
Jharkhand Election Results 2019: दुमका की गूंज दिल्ली तक, मंत्रालय पर दस्तक

रांची, [आशीष झा]। Jharkhand Election Results 2019 - जीत के पीछे MODI MAGIC और रघुवर के मैनेजमेंट का जादूझारखंड मुक्ति मोर्चा के गढ़ दुमका में एक बार फिर कमल खिला है। इस बार भाजपा के सुनील सोरेन ने आठ बार के सांसद और झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन को शिकस्त दी है। दुमका से दिल्ली तक का सफर भाजपा के लिए जितना मुश्किल था, जीत के बाद यहां से तोहफा मिलने का रिवाज भी रहा है। शिबू सोरेन को परास्त कर लोकसभा पहुंचे बाबूलाल मरांडी को वाजपेयी मंत्रिमंडल में जगह मिली थी। इसके अलावा शिबू सोरेन भी यूपीए शासनकाल में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। यही कारण है कि लोग अभी से अनुमान लगा रहे हैं कि दुमका की मांग दिल्ली में जरूर सुनी जाएगी।

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  • शिबू सोरेन जैसे कद्दावर नेता को हराकर बाबूलाल को मिला था वाजपेयी मंत्रिमंडल में जगह
  • 1999 में आखिरी बार यहां से जीती थी भाजपा, 20 वर्ष बाद सुनील सोरेन ने खिलाया कमल
  • भाजपा की टीम में दो आदिवासी चेहरे, जयंत के साथ-साथ मंत्रालय के लिए सुनील की मजबूत दावेदारी

भाजपा के लिए इसके पूर्व दुमका से बाबूलाल मरांडी ने जीत दर्ज की थी और इस घटना के लगभग 20 वर्ष हो गए हैं। अब दुमका से लोग उम्मीद लगा रहे हैं कि सुनील सोरेन को भी बाबूलाल की तरह मोदी कैबिनेट में जगह मिलेगी। हालांकि यहां से जयंत सिन्हा और सुदर्शन भगत केंद्र में मंत्री हैं और दोनों का प्रदर्शन भी बेहतर रहा है। इसके बावजूद कोई गुंजाइश बनी तो सुनील के लिए सुनहरा अवसर है।

सुनील सोरेन लगातार दो बार शिबू सोरेन से कम-कम अंतर से हारे थे और तीसरी बार में उन्होंने गुरुजी को पटकनी दे दी। इसी तरह लगातार दो बार हारने के बाद मरांडी भी चुनाव जीतने में सफल रहे थे। संताल परगना में कमल खिलाने का श्रेय भी सुनील को जाता है। सुनील ने लगातार मेहनत कर एक बेहतर छवि बनाई है और पार्टी को भी मजबूत स्थिति में पहुंचाया है।

कभी शिबू सोरेन के चेले रहे सुनील सोरेन हर उन तरीकों से वाकिफ हैं जिससे गुरुजी को जीत मिलती रही थी। सुनील ने गुरुजी का पुत्र मोह और परिवार मोह देखकर पार्टी छोड़ी तो अपनी पहचान बनाकर ही दम लिया। इस संघर्ष को पुरस्कार दिलाने में पूरा संगठन का सहयोग मिला और दो लगातार हार के बावजूद पार्टी ने सुनील पर विश्वास जताया।

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