Move to Jagran APP

Lok sabha Election 2019: मजबूरीवश माढा में पीछे हटे शरद पवार

Lok sabha Election 2019 शरद पवार ने यह घोषणा की कि पार्टी की तरफ से उन पर माढा से चुनाव लड़ने का दबाव डाला जा रहा है। लेकिन एक परिवार से अधिक लोगों को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए।

By BabitaEdited By: Published: Tue, 12 Mar 2019 08:51 AM (IST)Updated: Tue, 12 Mar 2019 08:51 AM (IST)
Lok sabha Election 2019: मजबूरीवश माढा में पीछे हटे शरद पवार
Lok sabha Election 2019: मजबूरीवश माढा में पीछे हटे शरद पवार

मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। महाराष्ट्र के लोकसभा क्षेत्र माढा से चुनाव लड़ने का मन बना रहे मराठा छत्रप शरद पवार ने अपने पांव पीछे खींच लिए हैं। उनका कहना है कि वह इस सीट से युवा पीढ़ी को मौका देना चाहते हैं। शरद पवार ने साेमवार को पुणे में यह घोषणा की कि पार्टी की तरफ से उन पर माढा से चुनाव लड़ने का दबाव डाला जा रहा है। लेकिन पारिवारिक बातचीत में यह निर्णय लिया गया कि एक परिवार से अधिक लोगों को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। इसलिए मैंने माढा से चुनाव न लड़ने का फैसला किया है।

prime article banner

बता दें कि पवार परिवार की पारंपरिक बारामती सीट से उनकी पुत्री सुप्रिया सुले सांसद हैं। जबकि पुणे जनपद की एक सीट मावल से पवार के भतीजे अजीत पवार के पुत्र पार्थ को लोकसभा चुनाव लड़ाए जाने की भूमिका तैयार हो चुकी है। यदि पवार माढा से लड़ते तो एक-दूसरे से सटे तीन लोकसभा क्षेत्र एक ही परिवार की रियासत नजर आने लगते। विरोधी दल इसे पारिवारिक राजनीति के दुष्प्रचार का हथियार बना सकते थे। इसलिए पवार ने माढा में अपने कदम पीछे खींच लिए। 

लेकिन यह तो एक कारण है। पीछे हटने का दूसरा, और इससे ठोस कारण भी है। माढा से वर्तमान सांसद विजयसिंह मोहिते पाटिल हैं। यह उनका पैतृक क्षेत्र माना जाता है। उनके पिता शंकरराव मोहिते पाटिल महाराष्ट्र में सहकारिता आंदोलन के संस्थापकों में से एक रहे हैं। वह वसंतदादा पाटिल के कट्टर समर्थकों में से एक और कई बार विधायक भी रहे हैं। सहकारी चीनी मिलों एवं सहकारिता से जुड़े दूसरे व्यवसायों के जरिए यह परिवार न सिर्फ माढा, बल्कि सोलापुर एवं बारामती तक के किसान परिवारों में गहरी पैठ रखता है। विजयसिंह मोहिते पाटिल स्वयं 1981 से विधानसभा के सदस्य एवं 1983 से राज्य सरकार में मंत्री रहते आए हैं। वह एक बार उपमुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। पवार की नापसंदगी के बावजूद मोहिते पाटिल परिवार क्षेत्र में अपनी जड़ें जमाए हुए है। 

यदि पवार माढा से चुनाव लड़ते, तो पार्टी अध्यक्ष के लिए मोहिते पाटिल को सीट छोड़नी पड़ती। इसका असर पवार की जीत पर नहीं पड़ता। क्योंकि उनका कद ऊंचा है। लेकिन मोहिते परिवार की निष्क्रियता आसपास की कई सीटें प्रभावित कर सकती है। यह ध्यान में रखना होगा कि 2014 की प्रबल मोदी लहर में भी जो चार सीटें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को हासिल हुई थीं, उनमें एक सीट पर विजयसिंह मोहिते पाटिल की जीत भी शामिल रही है। विजयसिंह इस बार खुद नहीं लड़ना चाहते। वह एक बार राज्य सभा एवं एक बार विधान परिषद सदस्य रहे अपने पुत्र रंजीतसिंह मोहिते पाटिल को इस सीट से उतारना चाहते हैं। जबकि पवार के मन में कुछ और नाम भी चल रहे हैं। लेकिन पवार जानते हैं कि माढा से मोहिते पाटिल परिवार के अलावा किसी को उतारने का नुकसान माढा के अगल-बगल की कुछ और सीटों पर भी हो सकता है। उनमें एक सीट सुप्रिया सुले की बारामती भी शामिल है।   


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.