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Lok Sabha Election 2019 : घातक न हो जाए भाजपा का अति आत्मविश्वास

Lok Sabha Election 2019. लक्ष्मण गिलुवा और गीता कोड़ा के बीच सीधी टक्कर के इस रोचक हो चले मुकाबले में कुनबा सहेजे रखने की चुनौती प्रमुख तौर पर सामने आई है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 11:27 AM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 11:27 AM (IST)
Lok  Sabha Election 2019 : घातक न हो जाए भाजपा का अति आत्मविश्वास
Lok Sabha Election 2019 : घातक न हो जाए भाजपा का अति आत्मविश्वास

चाईबासा,विश्वजीत भट्ट। सिंहभूम संसदीय क्षेत्र में लोकसभा चुनाव को लेकर बिसात बिछ चुकी है। इस चुनावी बिसात पर सिर्फ स्याह-सफेद मोहरे ही नहीं, रंग बदलने में माहिर कुछ शातिर भी हैं। भाजपा के लक्ष्मण गिलुवा और महागठबंधन की ओर से कांग्रेस प्रत्याशी गीता कोड़ा के बीच सीधी टक्कर के इस रोचक हो चले मुकाबले में कुनबा सहेजे रखने की चुनौती प्रमुख तौर पर उभर कर सामने आई है। भाजपा की बात करें तो यहां एनडीए में शामिल आजसू के प्रमुख नेता साथ देते दिख रहे हैं। लेकिन, भाजपा में व्यक्तिगत महात्वाकांक्षा से प्रेरित होकर भितरघात करने वालों की कमी नहीं है।

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जानकार इसे वर्ष 2009 की प्रतिक्रिया करार देते हैं। जानकारों के अनुसार 2009 के चुनावों में भाजपा प्रत्याशी रहे बड़कुंवर गागराई को अपने ही साथियों के भितरघात का सामना करना पड़ा था। कुछ जानकार लक्ष्मण गिलुवा के बढ़े कद का हवाला देते हुए अपनी पार्टी के प्रतिद्वंद्वियों द्वारा ही खुंदक पालने का हवाला भी दे रहे हैं। हालांकि भाजपाई थिंक टैंक इन सभी सवालों को सिरे से खारिज करते हुए पार्टी के कैडर आधारित होने व वोटरों पर मोदी फैक्टर हावी होने का तर्क दे रहे हैं।

गीता की दुश्वारियां भी कम नहीं

इधर, कांग्रेस प्रत्याशी व पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी जगन्नाथपुर विधायक गीता कोड़ा की दुश्वारियां भी कुछ कम नहीं हैं। कांग्रेस के पाले में सिंहभूम सीट के जाने के बाद झामुमो विधायकों द्वारा व्यक्त की जा रही आपत्तियों का स्वर तो अब मंद हो गया है, किंतु अब भी जमीनी स्तर पर प्रचार कार्य में झामुमो साथ खड़ा नहीं दिख रहा। हालांकि पूरे संसदीय क्षेत्र की बात करें, तो झामुमो में तीन तरह के स्वर सुनाई दे रहे हैं। पहला स्वर तो स्वयं झामुमो के टिकट से चुनाव लडऩे को आतुर दिख रहे पूर्व विधायक सुखराम उरांव व झामुमो जिलाध्यक्ष भुवनेश्वर महतो का है। जो गीता कोड़ा के साथ खड़े दिख रहे हैं।

विधायकों के अलग सुर

दूसरा स्वर चाईबासा के विधायक दीपक बिरूवा व चक्रधरपुर के विधायक शशिभूषण सामड का है। जिनकी कथनी और करनी में नाराजगी की स्पष्ट झलक देखी जा सकती है। तीसरा स्वर मझगांव के विधायक निरल पूर्ति व मनोहरपुर की विधायक जोबा माझी का है, जो पूरी तरह शांत दिख रहे हैं। इधर, पूरे हालात पर पैनी निगाह रखने वालों की मानें तो उनका साफ तौर पर मानना यह है कि यहां सिर्फ और सिर्फ विटामिन एम अर्थात मनी का मसला है। कुछ शातिरों की जमात इस लोकतांत्रिक महोत्सव को कमाई का जरिया बनाना चाहते हैं।

सामड जता चुके मंशा

कुछ दिनों पूर्व चक्रधरपुर के विधायक शशिभूषण सामड ने तो मीडिया व कैमरे के समक्ष इस बाबत स्पष्ट तौर पर अपनी मंशा भी जाहिर कर दी थी। इन सबके बीच गीता कोड़ा बड़ ही ठंडे दिमाग से झामुमो के पांचों विधायकों के साथ ही कांग्रेस और झामुमो के कार्यकर्ताओं को भी साध रही हैं तो भाजपा सिर्फ और सिर्फ मोदी लहर पर सवार होकर अति आत्मविश्वास में है। ऐसे में जानकार यह आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि सिंहभूम संसदीय क्षेत्र में कई गुटों में बंटी भाजपा के लिए कहीं यह अति आत्मविश्वास घातक न साबित हो। अभी तो लक्ष्मण गिलुवा को पार्टी के तमाम विक्षुब्धों को साधना बाकी है। गिलुवा के लिए परेशानी का सबब यह भी है कि वे 'फिलहालÓ सर्वसुलभ भी नहीं रहे। उनसे मिलना और बात कर पाना भी बहुत 'बड़ीÓ बात है। 


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