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Bihar Lok Sabha Election Phase 6: इन तीन सीटों पर विरासत बचाने की जद्दोजहद में पत्नी-बेटे, जानिए

Bihar Lok Sabha Election Phase 6 बिहार में लोकसभा चुनाव के छठे चरण में तीन सीटों पर विरासत बचाने की जंग हो रही है। इन सीटों पर पूर्व सांसदों के सगे-संबंधी ताल ठोक रहे हैं।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Fri, 10 May 2019 10:28 PM (IST)Updated: Sun, 12 May 2019 07:49 PM (IST)
Bihar Lok Sabha Election Phase 6: इन तीन सीटों पर विरासत बचाने की जद्दोजहद में पत्नी-बेटे, जानिए
Bihar Lok Sabha Election Phase 6: इन तीन सीटों पर विरासत बचाने की जद्दोजहद में पत्नी-बेटे, जानिए

पटना [राजेश ठाकुर]। बिहार में लोकसभा चुनाव के छठे चरण का मतदान रविवार को हुआ। इस चरण में बिहार की तीन सीटों (पूर्वी चंपारण, सीवान और महाराजगंज) पर विरासत बचाने की जंग हो रही है। इन सीटों पर पूर्व सांसदों के सगे-संबंधी ताल ठोक रहे हैं।
पूर्वी चंपारण से पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश सिंह सांसद रह चुके हैं। इस बार  उनके पुत्र आकाश कुमार सिंह महागठबंधन (रालोसपा) के प्रत्याशी हैं। सिवान से वहां के पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब महागठबंधन (राजद) से मैदान में हैं। इसी तरह, महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के पुत्र रणधीर सिंह महागठबंधन के राजद प्रत्‍याशी हैं। 

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सिवान: पति शहाबुद्दीन के लिए लड़ाई लड़ रहीं हिना शहाब
छठे चरण में सिवान बिहार का सबसे चर्चित लोकसभा क्षेत्र है। खासकर शहाबुद्दीन  के चुनाव जीतने और अचानक कई संगीन अपराधों में उनके नाम आने के बाद यह क्षेत्र काफी चर्चा में आ गया। कालांतर में कानून का शिकंजा कसा और शहाबुद्दीन को जेल की सजा हो गई। अभी भी वे दिल्ली  की तिहाड़ जेल में सजा काट रहे हैं। उनकी जगह एक बार फिर उनकी पत्नी हिना शहाब को राजद ने अपना उम्मीदवार बनाया है। वे अपने पति की राजनीतिक विरासत को बचाने की जुगत में हैं। 

 

1996 में पहली बार सांसद बने थे शहाबुद्दीन 
शहाबुद्दीन की पहचान बाहुबली की है। वे पहली बार राजद के टिकट पर 1996 में लोकसभा का चुनाव जीते थे। इसके बाद 1998 के मध्‍याविधि चुनाव तथा 1999 व 2004 के लोकसभा चुनाव में भी वे राजद सांसद बने। इसके बाद वे आपराधिक मामलों में फंसते चले गए। शहाबुद्दीन के सजा होने पर राजद ने 2009 में उनकी पत्नी हिना शहाब को उम्‍मीदवार बनाया, लेकिन वे निर्दलीय ओमप्रकाश यादव से हार गयीं। 2014 में ओमप्रकाश यादव को भाजपा ने टिकट दिया और वे मोदी लहर में जीत गए। इस बार सिवान है। सीट जदयू कोटे में चले जाने के कारण गई। जदयू ने बाहुबली अजय सिंह की पत्नी कविता सिंह को टिकट दिया है, लेकिन राजद ने हिना शहाब पर ही फिर भरोसा किया है। 

 

पूर्वी चंपारण: विरासत बचाने में जुटे आकाश सिंह 
पूर्वी चंपारण में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश प्रसाद सिंह की राजनीतिक विरासत को बचाने की जुगत में लगे हुए हैं उनके बेटे आकाश कुमार सिंह। वे पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। यह सीट महागठबंधन के तहत राष्ट्रीय लोकतांत्रिक समता पार्टी (रालोसपा) के खाते में गयी है। रालोसपा ने आकाश सिंह को अपना उम्मीरदवार बनाया है। पहले इस लोकसभा क्षेत्र का नाम मोतिहारी था, बाद में 2008 में हुए नए परिसीमन में इसका नाम पूर्वी चंपारण हो गया। 1952 से 1971 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा। 1984 में जाकर कांग्रेस फिर से इस सीट पर कब्जा जमाया। इसके बाद कभी सीपीआइ, कभी राजद, कभी ळााजपा इस पर कब्जा जमाती रही। 


अखिलेश सिंह 2004 में जीते थे यहां से
अखिलेश सिंह 2004 में राजद के टिकट पर इस सीट से चुनाव जीते थे, लेकिन 2009 में भाजपा के राधामोहन सिंह ने उन्हें हरा दिया। आगे 2014 में भी राधामोहन सिंह की ही जीत हुई। पूर्वी चंपारण में राधामोहन सिंह अपनी छठी जीत के लिए मैदान में हैं तो अखिलेश सिंह के बेटे आकाश सिंह वहां पिता की विरासत की लड़ाई लड़ रहे हैं। महागठबंधन कोटे में रालोसपा से प्रत्‍याशी आकाश के लिए पिता अखिलेश सिंह क्षेत्र में खूब पसीना बहाते दिखे हैं। 

 

महाराजगंज: प्रभुनाथ सिंह की विरासत लौटाने उतरे हैं रंधीर सिंह 
महाराजगंज में 'महाराज' बनने की लड़ाई चल रही है। यहां से प्रभुनाथ सिंह चार बार सांसद बने हैं। लेकिन मोदी लहर में वे 2014 की लड़ाई हार गए थे। इसी बीच उन्‍हें हत्‍या के एक मामले में जेल की सजा हो गई। तब अपनी पिता की विरासत को बचाने उनके बेटे रंधीर सिंह खुद मैदान में आ गए हैं। राजद ने उन्‍हें अपना उम्मीदवार बनाया है। उनकी सीधी लड़ाई भाजपा के जर्नादन सिंह सिग्रीवाल से होने की बात कही जा रही है। हालांकि बसपा से साधु यादव इसे त्रिकोणीय रूप देने की कोशिश में लगे हैं।

हजारीबाग जेल में सजा काट रहे हैं प्रभुनाथ सिंह
फिलहाल प्रभुनाथ सिंह झारखंड के हजारीबाग जेल में सजा काट रहे हैं और पहली बार उनकी अनुपस्थिति में उनके बेटे रंधीर सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। इसके पहले वे छपरा के विधायक रह चुके हैं। प्रभुनाथ प्रभुनाथ पहली बार 1998 में सपा के टिकट पर चुनाव जीते थे। 1999 और 2004 में जदयू के टिकट पर सांसद बने। इसके बाद 2009 में वे चुनाव हार गए। राजद के उमाशंकर सिंह ने हराया था। सांसद रहते उमाशंकर सिंह का निधन हो गया, तब 2013 में हुए उपचुनाव में वे राजद के टिकट पर लड़े और जीत गए। लेकिन 2014 के मोदी लहर में वे भाजपा उम्‍मीदवार जर्नादन सिंह सिग्रीवाल के हाथों हार गए।  

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