Pratapgarh Lok Sabha Election 2019 : रिकार्ड मत पाकर संगमलाल बने सरताज, इन्हें मिली पराजय
प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी संगमलाल गुप्ता ने बसपा-सपा गठबंधन प्रत्याशी अशोक त्रिपाठी को एक लाख 17 हजार 952 मतों से पराजित किया। यह रिकार्ड जीत रही।
प्रतापगढ़, जेएनएन। प्रतापगढ़ संसदीय सीट पर अब तक हुए चुनाव में सबसे अधिक मत पाकर भाजपा प्रत्याशी संगमलाल गुप्ता ने बसपा-सपा गठबंधन प्रत्याशी अशोक त्रिपाठी को एक लाख 17 हजार 952 मतों से पराजित किया। कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमारी रत्ना सिंह को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के प्रत्याशी अक्षय प्रताप सिंह चौथे स्थान पर रहे।
चार लाख 36 हजार 491 मत पाकर भाजपा प्रत्याशी संगमलाल गुप्ता ने बसपा प्रत्याशी अशोक त्रिपाठी को एक 17 हजार 952 मतों के अंतर से पराजित किया। अशोक त्रिपाठी को तीन लाख 16 हजार 633 मत मिले। तीसरे स्थान पर रहीं कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमारी रत्ना सिंह को 76 हजार 686 मत मिले।
2019 में प्रमुख दलों के प्रत्याशियों को मिले मत
पार्टी प्रत्याशी कुल वोट
भाजपा संगमलाल गुप्ता 4,36,491
गठबंधन अशोक त्रिपाठी 3,18,539
कांग्रेस राजकुमारी रत्ना सिंह 76,686
जनसत्ता दल लोकतांत्रिक अक्षय प्रताप सिंह 46516
2014 में प्रमुख दलों के प्रत्याशियों को मिले मत
पार्टी प्रत्याशी कुल वोट
अद-भाजपा हरिवंश सिंह 375789
बसपा आसिफ सिद्दीकी 207567
कांग्रेस रत्ना सिंह 138620
सपा प्रमोद पटेल 120107
पोस्टल, बैलेट में भी संगमलाल अव्वल
जिले के 5244 मतदाताओं ने पोस्टल, बैलेट से मतदान किया था। संगमलाल ने पोस्टल बैलेट में भी 163 मतों से अशोक त्रिपाठी को हराया। संगमलाल को दो हजार 69 तम और बसपा प्रत्याशी अशोक त्रिपाठी को एक हजार नौ सौ छह मत मिले। कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमारी रत्ना ङ्क्षसह को 410 मत, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक प्रत्याशी अक्षय प्रताप सिंह को 197 मत मिले।
निरस्त हुए 322 मत
पोस्टल बैलेट से पांच हजार दो सौ 44 मतदाताओं ने मतदान किया था। इसमें से 322 मतों को निरस्त कर दिया गया।
12 हजार मतदाताओं ने किसी प्रत्याशी को नहीं किया पसंद
छठें चरण में जिले में पोस्टल बैलेट को लेकर कुल नौ लाख 15 हजार 209 मतदाताओं ने मतदान किया था। इसमें से 12 हजार 126 मतदाताओं ने किसी भी प्रत्याशी को पसंद नहीं किया और नोटा का बटन दिया। सबसे अधिक पट्टी विधानसभा क्षेत्र में दो हजार 655 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया। यह संख्या सबसे कम रानीगंज विधानसभा क्षेत्र में रही। वहां दो हजार 205 लोगों ने किसी प्रत्याशी को पसंद नहीं किया। जबकि सदर में दो हजार 362, रामपुर खास में दो हजार 365, विश्वनाथगंज में दो हजार 494 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया। सरकारी नौकरी करने वाले 32 मतदाताओं ने भी पोस्टल बैलेट में नोटा को ही टिक किया।
कुंडा, बाबागंज से शैलेंद्र ने ली थी 41 हजार की बढ़त
कौशांबी संसदीय क्षेत्र आंशिक के कुंडा और बाबागंज विधानसभा क्षेत्र से जनसत्ता दल लोकतांत्रिक प्रत्याशी शैलेंद्र कुमार ने भाजपा प्रत्याशी विनोद सोनकर से 41 हजार 870 मतों की बढ़त ली। दोनों विधानसभा क्षेत्र में शैलेंद्र कुमार को एक लाख 36 हजार 97 और विनोद सोनकर को 94 हजार 227 मत मिले। बसपा-सपा गठबंधन के प्रत्याशी इंद्रजीत सरोज को 84 हजार 820 मत मिले। यह दोनों विधानसभा क्षेत्र रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया का प्रभाव वाला माना जाता है। कुंडा से राजा भैया छठी बार और बाबागंज से राजा भैया के करीबी विनोद सरोज तीसरी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं। विनोद सरोज से पहले दो बार उनके पिता रामनाथ सरोज इसी विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए थे।
प्रतापगढ़ सीट पर सपा-बसपा मिलकर बढ़ा सके महज 10 हजार वोट
लोकसभा चुनाव में इस बार भाजपा ने प्रतापगढ़ संसदीय सीट पर अपने वोट में इजाफा किया। उसे 2014 के चुनाव के सापेक्ष इस बार 60 हजार वोट अधिक मिले हैं, जबकि सपा और बसपा दोनों की जुगलबंदी से महज 10 हजार वोट बढ़ सकें। 2014 में प्रतापगढ़ सीट पर अपना दल और भाजपा ने मिलकर हरिवंश सिंह को उतारा था। उनको 375789 वोट हासिल हुए थे। इस बार भाजपा ने सदर विधायक संगम लाल गुप्ता पर दांव लगाया। उनको 436491 वोट मिले।
पांच साल में भाजपा का वोट 60 हजार से अधिक बढ़ा
इस तरह से पांच साल के अंतराल में भाजपा का वोट 60 हजार से अधिक बढ़ा है। यह वोट मोदी फैक्टर का असर माना जा रहा है। अगर हम दूसरे स्थान पर सपा-बसपा गठबंधन की बात करें तो अशोक त्रिपाठी को 316823 वोट मिले। जबकि दोनों दलों के वोट बैंक इसमें शामिल हैं। दोनों पार्टियों के अध्यक्ष अखिलेश यादव व मायावती ने भी लोगों में जोश भरा था। 2014 को देखें तो सपा व बसपा ने यहां अलग-अलग चुनाव लड़ा था। इसमें बसपा के आसिफ सिद्दीकी को 207567 वोट मिले थे। सपा के प्रमोद पटेल को 120107 मत प्राप्त हुए थे। इस बार दोनों दल मिलकर लड़े तो महज 10, 851 ही अतिरिक्त वोट मिले। यानी दोनों दलों को मिलने वाले परंपरागत वोटों में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ।
दूसरी बार पिछड़ी जाति का सांसद
आजादी के बाद बेल्हा में लोकसभा के चुनाव में संगम लाल गुप्ता दूसरी बार पिछड़ी जाति से सांसद बने हैं। रजवाड़ों के इस जिले में पहली बार 1977 में हुए उप चुनाव में प्रयागराज निवासी रूपनाथ यादव पिछड़ी जाति से सांसद बने थे। 42 वर्ष बाद 2019 के चुनाव में दूसरी बार संगम चुने गए।
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