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Loksabha Election 2019: RSS प्रमुख की मैराथन बैठकें शुरू, जानें- इसके राजनीतिक मायने

RSS ने पूर्व पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले भी भाजपा को कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे, जिसकी अनदेखी पार्टी को भारी पड़ी थी। ऐसे में संघ प्रमुख के दौरे के कई मायने हैं।

By Amit SinghEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 11:27 AM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 01:03 AM (IST)
Loksabha Election 2019: RSS प्रमुख की मैराथन बैठकें शुरू, जानें- इसके राजनीतिक मायने
Loksabha Election 2019: RSS प्रमुख की मैराथन बैठकें शुरू, जानें- इसके राजनीतिक मायने

इंदौर [जागरण स्पेशल]। मध्य प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव में 15 साल बाद सत्ता से बाहर हुई भाजपा ने अब लोकसभा की तैयारियां तेज कर दी हैं। भाजपा का प्रयास है कि अपने इस गढ़ में वापसी के लिए ग्राउंड स्तर पर संगठन को मजबूत किया जाए। जाहिर है, ऐसे में आरएसएस की भूमिका अहम होगी। लिहाजा आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहनराव भागवत मध्य प्रदेश पहुंच चुके है।

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आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहनराव भागवत की मौजूदगी में शुरू हुई संघ की मैराथन बैठक कई मायनों में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। चार दिन तक संघ प्रमुख, कार्यकर्ताओं, स्वयंसेवकों और प्रबुद्ध लोगों संग चर्चा करेंगे। बैठक में संघ की प्रयोगशाला और भाजपा का अभेद्य गढ़ माने जाने वाले मालवा-निमाड़ में बीते विधानसभा चुनाव में मिली शिकस्त और क्षेत्र से खिसके जनाधार को हासिल करने जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होगी।

इस बात पर भी खासा जोर रहेगा कि स्थानीय मुद्दों में सिमटे विधानसभा चुनाव की पुनरावृत्ति लोकसभा चुनाव में न हो। अनुषांगिक संगठनों, उनसे जुड़े विभागों की समीक्षा के साथ ही इस पर भी चर्चा होगी कि आगामी लोकसभा चुनाव में मालवा-निमाड़ के साथ ही पूरे मध्य प्रदेश और देश में किस कार्ययोजना के साथ स्वयंसेवकों को काम करना है।

कभी धर्मांतरण का गढ़ रहे मालवा-निमाड़ क्षेत्र के आदिवासी इलाकों में अब इस तरह की गतिविधियों पर काफी हद तक रोक सी लग गई है। बावजूद सेवा क्षेत्र में संघ अपने कार्य का और तेजी से विस्तार करना चाहता है। संघ सूत्रों के अनुसार स्वयंसेवक राष्ट्रीय मुद्दे और चुनौतियों को लेकर जनता के बीच जाएंगे, ताकि केंद्र सरकार के खिलाफ एंटी इन्कमबेंसी और स्थानीय मुद्दे प्रभावहीन हो सकें।

बिखराव से सबक, योजना बनाकर करें कार्य
संघ सूत्र बताते हैं कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली हार की बड़ी वजह कहीं न कहीं संघ के सुझाव और निर्देशों को अनदेखा करना भी है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के कुछ माह पहले ही संघ ने मध्य प्रदेश में भाजपा की खिसकती जमीन के बारे में प्रदेश संगठन को अवगत करवाते हुए टिकटों में बड़े उलटफेर की सलाह दी थी। साथ ही स्थानीय स्तर पर विधायकों के खिलाफ असंतोष की रिपोर्ट भी संघ ने दे दी थी। बावजूद, पार्टी संगठन ने इससे सबक न लेते हुए पुराने तरीके से ही कार्य किया। इसी का परिणाम रहा कि भाजपा किनारे पर आकर हार गई।

संघ ने भाजपा को दिए महत्वपूर्ण सुझाव
संघ, भाजपा सहित अपने सभी अनुषांगिक संगठनों को लोकसभा चुनाव के पहले बैठकों के माध्यम से एक सूत्र में बांधकर कार्य करने के लिए कहेगा। इंदौर में बैठक संपन्न होने के बाद मध्य भारत और महाकोशल प्रांत की बैठक भी होगी। मार्च में ग्वालियर में होने वाली प्रतिनिधि सभा की बैठक में भी करीब दो हजार प्रतिनिधि-पदाधिकारियों की मौजूदगी में लोकसभा चुनाव को लेकर विस्तार से चर्चा होने की संभावना है। इसके साथ ही प्रतिनिधि सभा में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सहित अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों की संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों से मुलाकात भी होगी। इन बैठकों के आधार पर संघ, भाजपा को आगामी लोकसभा चुनावों के लिए महत्वपूर्ण सुझाव देगा।

मालवा-निमाड़ : आठ लोकसभा सीटों में से चार खतरे में
मालवा-निमाड़ क्षेत्र में इंदौर के अलावा, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम-झाबुआ, धार, खरगोन, खंडवा और देवास-शाजापुर सीटें है। भाजपा को धार, रतलाम-झाबुआ, खरगोन और देवास-शाजापुर सीटों पर उलटफेर की आशंका है। इसी नुकसान को थामने के लिए संघ और उसके अनुषांगिक संगठन मैदान संभाले हुए हैं। विधानसभा चुनाव में भी धार-झाबुआ और देवास-शाजापुर में भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा था।


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