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Lok Sabha Elections 2019: पांच सीटों के परिणाम तय करेंगे राजस्थान की राजनीति

Lok Sabha Elections 2019. यूं तो सभी 25 सीटें राजस्थान की राजनीति को प्रभावित करेंगी लेकिन पांच ऐसी सीटें भी हैं जो राजनीति पर असर डालेंगी।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 01:27 PM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 01:27 PM (IST)
Lok Sabha Elections 2019: पांच सीटों के परिणाम तय करेंगे राजस्थान की राजनीति
Lok Sabha Elections 2019: पांच सीटों के परिणाम तय करेंगे राजस्थान की राजनीति

जयपुर, मनीष गोधा। राजस्थान में मतदाता जल्द ही अपने नए सांसदों का चुनाव करेंगे। यूं तो सभी 25 सीटें राजस्थान की राजनीति को प्रभावित करेंगी, लेकिन पांच ऐसी सीटें भी हैं, जो अलग-अलग तरह से राजस्थान की राजनीति पर असर डालेंगी। इन सीटों से राजस्थान की राजनीति के दिग्गजों की प्रतिष्ठा जुड़ी है। ऐसे में इन सीटों के परिणाम राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा की भविष्य की तस्वीर तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे। राजस्थान में लोकसभा चुनाव दो चरणों में होंगे। इन दोनों चरणों में पांच सीटों के मुकाबलों पर सबकी नजर है। ये सीटें जोधपुर, झालावाड़, बाड़मेर, दौसा और नागौर हैं।

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इन सीटों से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पूर्व रक्षा मंत्री जसंवत सिंह के पुत्र मानवेंद्र सिंह, राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल जैसे दिग्गज सीधे या परोक्ष रूप से जुड़े हैं।

सीटों का समीकरण

जोधपुर-इस सीट से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत भाजपा के मौजूदा सांसद और केंद्र में मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के सामने हैं। इस सीट से कांग्रेस की जीत जहां गहलोत का राजनीतिक कद बढ़ाएगी, वहीं यदि यहां पार्टी हार जाती है, तो मुख्यमंत्री पर पार्टी में उनका विरोधी गुट बहुत आक्रामक ढंग से हमलावर हो सकता है। वहीं यदि गजेंद्र सिंह की बात करें तो वे यहां पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनने वाले थे, लेकिन वसुंधरा राजे के विरोध के कारण यह संभव नहीं हो पाया। अब यदि वे यहां से जीतते हैं तो उनका राजनीतिक कद बढ़ जाएगा और वे राजस्थान में पार्टी का भविष्य का चेहरा भी बन सकते हैं।

झालावाड़-बारां- इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह चुनाव मैदान में हैं। वैसे तो वे यहां से चौथी बार चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन यह पहली बार है कि जब राजे राजस्थान में भाजपा की राजनीति में पहले जितनी असरदार नहीं दिख रही हैं। पिछले तीनों चुनाव में से दो बार राजे राजस्थान की मुख्यमंत्री थीं और एक बार नेता प्रतिपक्ष थीं, लेकिन इस बार उन्हें राजस्थान की राजनीति से दूर किए जाने के प्रयास होते दिख रहे हैं। ऐसे में दुष्यंत सिंह की इस सीट से जीत वसुंधरा के लिए बेहद जरूरी है। इस सीट से दुष्यंत सिंह की हार इसलिए भी बहुत बुरी होगी कि कांग्रेस ने नए चेहरे को यहां से टिकट दिया है।

बाड़मेर- इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर पूर्व रक्षा मंत्री जसवंत सिंह के पुत्र मानवेंद्र सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। मानवेंद्र सिंह इसी सीट से दो बार सांसद रह चुके हैं, लेकिन तब वे भाजपा में थे। विधानसभा चुनाव से पहले स्वाभिमान की लड़ाई के नाम पर वो कांग्रेस में आए थे। यहां से मानवेंद्र की जीत न सिर्फ उनके परिवार का वर्चस्व इस सीट पर कायम करेगी, बल्कि मानवेंद्र सिंह को कांग्रेस में किसी बड़े मुकाम पर स्थापित भी कर सकती है।

दौसा- इस सीट पर भाजपा को अपना प्रत्याशी तय करने में सबसे ज्यादा मशक्कत करना पड़ी थी और सबसे आखिर में यहां जसकौर मीणा को प्रत्याशी बनाया गया, जिन्हें दो नेताओं किरोड़ीलाल मीणा और ओमप्रकाश हुडला के बीच की लड़ाई के कारण यह टिकट मिला। किरोड़ीलाल मीणा का इस सीट पर वर्चस्व रहा है और इस बार भी वे अपने परिवार में किसी को टिकट दिलाना चाहते थे, लेकिन उनकी इच्छा पूरी नहीं हुई। इस पर उन्होंने खुलकर नाराजगी भी जाहिर की। अब इस सीट पर पार्टी का परिणाम पार्टी और मीणा समुदाय में किरोड़ीलाल मीणा का कद तय करेगा।

नागौर- इस सीट पर भाजपा ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से गठबंधन किया है और इस पार्टी के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। विधानसभा चुनाव तक बेनीवाल भाजपा के धुर विरोधी थे। अब वे भाजपा के साथ हैं। उनके सामने कांग्रेस की ज्योति मिर्धा हैं, जो नागौर के दिग्गज रहे नाथूराम मिर्धा की पोती हैं। इस सीट से बेनीवाल की जीत दोनों दलों के बीच गठबंधन को बनाए रखने और बेनीवाल के लिए राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश के लिए बेहद जरूरी है। भाजपा के लिए उनका साथ बने रहना इसलिए भी जरूरी है कि पार्टी के पास इस समय किसी बड़े जाट नेता का अभाव है और जाट राजस्थान के सबसे बड़े जाति समुदायों में हैं।


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