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Loksabha Election 2019: महासमर में दांव पर लगी है प्रतिष्ठा और निष्ठा भी

भाजपा के कुछ दिग्गज ऐसे हैं जिनकी निष्ठा का भी इस बार एसिड टेस्ट होगा। इस फेहरिस्त में एक या दो नहीं। बल्कि 10 बड़े नेता शामिल हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 09:53 AM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 09:53 AM (IST)
Loksabha Election 2019: महासमर में दांव पर लगी है प्रतिष्ठा और निष्ठा भी
Loksabha Election 2019: महासमर में दांव पर लगी है प्रतिष्ठा और निष्ठा भी

देहरादून, विकास धूलिया। अब मौका आम चुनाव का है तो विभिन्न पार्टियों और उनके नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगना लाजिमी ही है लेकिन इनमें से भाजपा के कुछ दिग्गज ऐसे हैं, जिनकी निष्ठा का भी इस बार एसिड टेस्ट होगा। इस फेहरिस्त में एक-दो नहीं, बल्कि 10 बड़े नेता शामिल हैं, जिनके लिए लोकसभा चुनाव दोहरी चुनौती लेकर आए हैं। ये वे नेता हैं, जो पिछले पांच साल के दौरान कांग्रेस का दामन झटक भाजपा में शामिल हुए हैं। दिलचस्प बात यह कि इनमें प्रदेश सरकार के पांच मंत्री भी शामिल हैं। यानी प्रदेश की आधी सरकार की निष्ठा कसौटी पर है।

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पिछले पांच साल में बदल गया परिदृश्य

उत्तराखंड में पिछले पांच सालों के दौरान सियासी परिदृश्य काफी बदल गया है। कभी जो दिग्गज कांग्रेस के मजबूत स्तंभ हुआ करते थे, आज वे भाजपा में अहम पद संभाल रहे हैं। कांग्रेस में बिखराव की शुरुआत हुई पिछले लोकसभा चुनाव के वक्त, यानी 2014 में, जब पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल महाराज कांग्रेस से खफा होकर भाजपा में शामिल हो गए। दरअसल, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस आलाकमान ने उत्तराखंड की अपनी सरकार में नेतृत्व परिवर्तन करते हुए विजय बहुगुणा के स्थान पर तत्कालीन केंद्रीय मंत्री हरीश रावत को मुख्यमंत्री बना दिया। यह फैसला महाराज को रास नहीं आया।

मार्च 2016 में हुई कांग्रेस में बड़ी टूट

इसके ठीक दो साल बाद मार्च 2016 में कांग्रेस में बड़ी टूट हुई। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के नेतृत्व में कुल नौ विधायक कांग्रेस से विद्रोह कर भाजपा में शामिल हो गए। लगभग डेढ़ महीने बाद एक अन्य विधायक रेखा आर्य भी कांग्रेस से भाजपा में चली गईं। यह सिलसिला यहीं नहीं थमा। वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कैबिनेट मंत्री और दो बार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रह चुके यशपाल आर्य ने भी कांग्रेस को अलविदा कहकर बड़ा झटका दे दिया। आर्य भी भाजपा में शामिल हुए।

भाजपा ने पूरा किया अपना कमिटमेंट

भाजपा ने भी कांग्रेस से बगावत कर पार्टी में आए सभी विधायकों को पूरा सम्मान दिया। सतपाल महाराज ने अपनी पत्नी व पूर्व मंत्री अमृता रावत के स्थान पर विधानसभा चुनाव लड़ा, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने अपने पुत्र सौरभ बहुगुणा को टिकट दिलाया। अन्य पूर्व कांग्रेस विधायकों को भी भाजपा ने विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया। इनमें से दो को जीत नहीं मिली जबकि 10 विधायक बनने में कामयाब रहे। इनमें यशपाल आर्य, डॉ. हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, रेखा आर्य, उमेश शर्मा काऊ, प्रदीप बत्रा और कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन शामिल हैं। यशपाल आर्य के पुत्र संजीव आर्य को भी भाजपा ने टिकट दिया और वह भी विधायक बने। 

मंत्रिमंडल में 10 में से दिए पांच पद

यही नहीं, जब त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में सरकार बनी तो 10 सदस्यीय मंत्रिमंडल में इनमें से पांच विधायकों को जगह मिली। सतपाल महाराज, यशपाल आर्य, डॉ. हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल को कैबिनेट मंत्री तथा रेखा आर्य को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया। साफ है कि सभी पूर्व कांग्रेसी नेताओं से किए गए कमिटमेंट को भाजपा ने पूरा भी किया। अब लोकसभा चुनाव के वक्त इन सभी 10 विधायकों के सामने दोहरी चुनौती है। उन्हें न केवल अपने विधानसभा क्षेत्रों में अपनी और भाजपा की प्रतिष्ठा बचाए रखनी है, बल्कि यह भी साबित करना है कि उनकी और उनके समर्थकों की निष्ठा पूरी तरह भाजपा के साथ जुड़ चुकी है।

मंत्री पद मिलने से ज्यादा बढ़ गई जिम्मेदारी

इनमें से पांच प्रदेश सरकार में मंत्री भी हैं तो लाजिमी तौर पर उनकी जिम्मेदारी और भी ज्यादा बढ़ जाती है। इनमें सबसे ज्यादा तीन मंत्रियों का विधानसभा क्षेत्र अकेले पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट के अंतर्गत है। ये हैं सुबोध उनियाल (नरेंद्र नगर), डॉ. हरक सिंह रावत (कोटद्वार) व सतपाल महाराज (चौबट्टाखाल)। इनके अलावा यशपाल आर्य (बाजपुर) नैनीताल लोकसभा और रेखा आर्य (सोमेश्वर) अल्मोड़ा लोकसभा सीट के अंतर्गत हैं। विधायकों में उमेश शर्मा काऊ (रायपुर) टिहरी लोकसभा, प्रदीप बत्रा (रुड़की) व कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन (खानपुर) हरिद्वार लोकसभा, सौरभ बहुगुणा (सितार गंज) व संजीव आर्य (नैनीताल) के विधानसभा क्षेत्र नैनीताल लोकसभा सीट में आते हैं। यानी पांचों लोकसभा सीटों के अंतर्गत कांग्रेस से आए किसी न किसी विधायक का विधानसभा क्षेत्र आता है।

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