Lok Sabha Election 2019: भितरघात से डरी पार्टिया, कहीं चुनावी समीकरण न बिगाड़ दे बागी नेता
Lok Sabha Election 2019 मंडी संसदीय क्षेत्र में भाजपा व कांग्रेस के बागी नेता अहम व पुराने हिसाब चुकता करने के चक्कर में पार्टियों के चुनावी समीकरण को बिगाड़ सकते हैं।
मंडी, हंसराज सैनी। भितरघात व अहम की लड़ाई से मंडी संसदीय क्षेत्र में दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा व कांग्रेस सहम गए हैं। कई विधानसभा हलकों में यहां बागी नेता पार्टियों के चुनावी समीकरण बिगाड़ सकते हैं। अहम व पुराने हिसाब चुकता करने के चक्कर में कई नेता अपने दलों की ही लुटिया डुबोने पर उतर गए हैं।
जोगेंद्रनगर, मंडी व कुल्लू सदर हलके पर सबकी निगाह रहेगी। जोगेंद्रनगर हलके में तो भाजपा नेताओं की गुटबाजी दिन-प्रतिदिन मुखर होती जा रही है। यहां भाजपा को समर्थन कर रहे निर्दलीय विधायक प्रकाश राणा व पूर्व विधायक गुलाब सिंह समर्थकों के बीच कई दिन से रस्साकशी चल रही है। सोशल मीडिया पर भी इसकी साफ झलक देखी जा सकती है।
2014 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रामस्वरूप शर्मा को यहां करीब 20,000 मतों की बढ़त मिली थी।विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस तीसरे नंबर पर अटक गई थी और कांग्रेस प्रत्याशी जीवन ठाकुर को मात्र 6700 वोटों से संतोष करना पड़ा था। भाजपा नेताओं की गुटबाजी के बीच कांग्रेस यहां अपना हाथ मजबूत होने की उम्मीद लगाए बैठी है। वहीं, मंडी सदर कांग्रेस प्रत्याशी आश्रय शर्मा का गृह हलका है। यहां पर पिछले चुनाव में रामस्वरूप शर्मा को 6500 व विधानसभा चुनाव में अनिल शर्मा को करीब 11000 वोटों की
बढ़त मिली थी। यहां के मतदाता पहले की तरह पंडित सुखराम परिवार के साथ चलेंगे या फिर विधानसभा चुनाव के जनादेश को दोहराएंगे यह बात भी देखने वाली होगी। भाजपा व कांग्रेस दोनों ही यहां एक-दूसरे के किले में सेंध लगाने का प्रयास कर रहे हैं। इसमें काफी हद तक भाजपा को कामयाबी भी मिल चुकी है।
कुल्लू सदर हलके पर सभी की निगाह
कुल्लू सदर पूर्व सांसद महेश्वर सिंह का गृह हलका है। विधानसभा चुनाव में महेश्वर सिंह यहां पार्टी की लाज नहीं बचा पाए थे। यहां पर उन्हें कांग्रेस के सुंदर सिंह के हाथ शिकस्त मिली थी। लोकसभा चुनाव में महेश्वर सिंह पार्टी प्रत्याशी को यहां से कितनी बढ़त दिलाएंगे इस पर सबकी नजर रहेगी।
कांग्रेस को गुटबाजी का सबसे ज्यादा डर
नेताओं की गुटबाजी के चलते भितरघात का सबसे ज्यादा डर कांग्रेस को सता रहा है। पार्टी इस समय जोगेंद्रनगर, सदर, नाचन, सरकाघाट, करसोग, सराज व मनाली में गुटबाजी से जूझ रही है। विधानसभा चुनाव में पार्टी के विरुद्ध काम करने वाले कई नेताओं की घर वापसी कर कांग्रेस ने संगठन को मजबूत करने की कोशिश भले ही की है लेकिन युवा तुर्क व वरिष्ठ नेता आपस में कोई तालमेल नहीं बना पा रहे हैं। इससे भी कार्यकर्ताओं के चेहरों पर मायूसी देखने को मिल रही है।