Lok Sabha Election 2019: झरिया विधायक की पत्नी ने भाजपा का थामा दामन, देवर के खिलाफ करेगी प्रचार
रागिनी का कहना था कि सिद्धार्थ की राजनीति अपनी है हमारी अलग। परिवार के विरोध के सवाल पर कहा- परिवारवाद से राष्ट्रवाद पहले है कलह जैसी कोई बात नहीं।
धनबाद, रोहित कर्ण। चार दशक से अधिक समय से धनबाद की राजनीति में धमक रखने वाले सिंह मैंशन में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। सोमवार को जिला परिषद मैदान में भाजपा प्रत्याशी पीएन सिंह की नामांकन सभा में मैंशन की बड़ी बहू रागिनी सिंह समर्थकों के साथ पहुंचीं और मुख्यमंत्री रघुवर दास के समक्ष पार्टी की सदस्यता ली। इसमें कुछ अचंभित करनेवाली बात नहीं थी। उनके पति संजीव सिंह झरिया से भाजपा के विधायक हैं। लेकिन, यह बात तब जरूर अचंभित करती है जब रागिनी के भाजपा में शामिल होने के तत्काल बाद उनके देवर का जुलूस उसी जिला परिषद मैदान के सामने से गुजरता है।
यह घटना मैंशन की नई कहानी बयां करती है। हालांकि रागिनी इससे इन्कार करती हैं। परिवार की प्रमुख कुंती देवी भी इन दोनों घटनाओं को सामान्य बताती हैं। समझने वाली बात है कि मैंशन की असल ताकत जनता मजदूर संघ है। इसी के बैनर तले मैंशन समर्थक एकजुट रहते आए हैं। इन्हीं की बदौलत झरिया विधानसभा सीट पर पिछले चार दशक से मैंशन का कब्जा है। नीरज सिंह और संजीव सिंह की अदावत जैसे ही हुई, जनता मजदूर संघ कुंती और बच्चा गुट में बंट गया। अब जमसं कुंती गुट में भी सत्ता के दो ध्रुव उभरे हैं। रागिनी की भाजपा में एंट्री सीधे सीएम के स्तर से हुई है। इससे इस चर्चा को भी बल मिला है कि वे झरिया सीट से संजीव सिंह की उत्तराधिकारी होंगी।
10वीं पास सिद्धार्थ के पास 1.76 करोड़ और बीएमडब्ल्यू कार : सोमवार को कुंती सिंह के पुत्र सिद्धार्थ गौतम ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल किया। खुली जीप में बहन किरण सिंह के साथ नामांकन कराने निकले। हलफनामा में सिद्धार्थ की कुल संपत्ति 1.76 करोड़ रुपये की है। इसमें उनकी पत्नी मिनी सिद्धार्थ गौतम की संपत्ति शामिल है। सिद्धार्थ के नाम से धनबाद में 10 और पत्नी के नाम पर पांच बैंक खाते हैं। दोनों के पास लाखों के जेवर हैं। सिद्धार्थ ने सीबीएसई बोर्ड से 10वीं की परीक्षा पास की है। संपत्ति में एक बीएमडब्ल्यू कार भी है जिसकी कीमत 32.36 लाख रुपये है। सिद्धार्थ पर मारपीट और हत्या के मामले चल रहे हैं।
परिवार में कोई कलह नहीं : कुंती देवी ने दूरभाष पर बातचीत में कहा- वसुंधरा राजे भाजपा में थीं और राजस्थान की मुख्यमंत्री थीं जबकि उनका भतीजा कांग्रेस में हैं। उनकी मां भी भाजपा में थीं और भाई कांग्रेस में थे। कोई कलह नहीं था। यहां भी बहू भाजपा में गई है। सिद्धार्थ निर्दलीय लड़ रहे हैं। लोकतंत्र है, सबकी अपनी पसंद है। हां, दोनों को आशीर्वाद है कि वे सफल हों।
परिवारवाद पर राष्ट्रवाद को दी तरजीह : वहीं रागिनी का कहना था कि उनकी (सिद्धार्थ) राजनीति अपनी है हमारी अलग। परिवार के विरोध के सवाल पर कुछ सकुचाते हुए रटे-रटाए अंदाज में कहा- परिवारवाद से राष्ट्रवाद पहले है, कलह जैसी कोई बात नहीं है। पति की जिम्मेदारी उठाना उनका कर्तव्य है और वही कर रही हैं।