JHARKHAND: सियासी बिसात पर हर दल बिनोद बिहारी महतो पर जता रहा हक
भाजपा को ही लें तो वह दो टूक दावा करती है कि बिनोद बिहारी महतो के नाम पर विश्वविद्यालय की स्थापना की है। पार्टी का मकसद कोयलांचल विश्वविद्यालय का उनका अधूरा सपना पूरा करना था।
धनबाद, बलवंत कुमार। झारखंड और यहां के राजनैतिक दलों की चर्चा होते ही बिनोद बिहारी महतो का नाम जुड़ ही जाता है। झारखंड आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले बिनोद बाबू आज हमारे बीच नहीं हैं बावजूद हर दल उनसे अपना जुड़ाव जताने में नहीं चूकता। मकसद एक ही है कि सियासी बिसात पर बिनोद बाबू के दम पर मजबूती हासिल की जाए। सभी दल उनकी नीतियों और आदर्श पर चलने का दावा करते हैं। लोकसभा चुनावों का एलान हो चुका है, ऐसे में एक बार फिर हर सभा में बिनोद बिहारी महतो के नाम की चर्चा होना लाजिमी है।
राज्य की प्रमुख पार्टी भाजपा को ही लें तो वह दो टूक दावा करती है कि धनबाद में बिनोद बिहारी महतो के नाम पर विश्वविद्यालय की स्थापना की है। क्योंकि पार्टी का मकसद कोयलांचल विश्वविद्यालय का उनका अधूरा सपना पूरा करना था। झारखंड मुक्ति मोर्चा की बात करें तो इस पार्टी के संस्थापक के रूप में बिनोद बिहारी महतो की पहचान रही है। ऐसे में यह पार्टी भी पूरी शिद्दत से बिनोद बाबू के आदर्शों पर चलने की बात करती है। आल झारखंड स्टूडेंट यूनियन यानी आजसू भी बिनोद बाबू के सिद्धांतों पर चलने की बात करती है। बिनोद बिहारी के पुत्र राजकिशोर महतो आजसू से ही टुंडी के विधायक हैं। वर्तमान में उनकी राजनीतिक विरासत को संभाल रहे हैं।
बिनोद बाबू को दिया सर्वोच्च आदर : भाजपा जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि बिनोद बाबू किसी दल के नेता नहीं हैं। उनकी नीतियों से राज्य व केंद्र सरकार प्रभावित हैं। बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का अभियान भी बिनोद बाबू के शिक्षा नीतियों का एक हिस्सा है। भाजपा ने कोयलांचल विश्वविद्यालय का नामकरण बिनोद बाबू के नाम पर करके उन्हें सर्वोच्च आदर दिया है।
झामुमो के संस्थापक और पूजनीय : झामुमो जिलाध्यक्ष रमेश टुडू ने कहा कि बिनोद बिहारी महतो झामुमो के संस्थापक हैं। उनके कारण आज हमारी पार्टी का अस्तित्व है। बिनोद बाबू ने शिबू सोरेन, निर्मल महतो सरीख युवाओं को साथ लेकर संगठन को मजबूत बनाने का काम किया। राज्य में जब हेमंत सोरेन की सरकार आयी तो यहां के सुदूर क्षेत्रों में भी स्कूल खोलने का काम किया गया, जिसे वर्तमान सरकार ने बंद कर दिया। झामुमो के लिए बिनोद बिहारी महतो सदैव पूजनीय हैं और रहेंगे।
बाबूजी के विचारों से दूर हो रहा झारखंड : बिनोद बिहारी महतो के पुत्र और टुंडी विधायक राजकिशोर (आजसू पार्टी) मानते हैं कि झारखंड का कोई भी राजनीतिक दल बाबूजी (बिनोद बिहारी महतो) का नाम लिए बगैर नहीं चल सकता। बावजूद उनके द्वारा दिया गया नारा आज प्रभावी नहीं है। जिस सामंतवाद और साहूकारी प्रथा के खिलाफ उन्होंने संघर्ष किया वह खत्म नहीं हो सकी है। शिक्षा के मामले में भी सरकारें कुछ खास नहीं कर सकीं। उनकी सोच वैश्विक थी, लेकिन काम स्थानीय स्तर पर करते थे। वर्तमान सरकार की सोच ऐसी कहीं नहीं दिखती। कई पार्टियां उनका नाम तो लेती हैं, लेकिन उनकी नीतियों को नहीं जानती।
गिरिडीह से सांसद रहे बिनोद बाबू ने की थी 35 स्कूलों की स्थापना :
बिनोद बिहारी महतो वामपंथी विचारधारा के साथ छात्र जीवन से राजनीति करने वाले शख्स थे। उन्होंने 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की। 1991 में वे गिरिडीह से सांसद बने थे। 1980, 1985 और 1990 में विधायक रहे। झारखंड, बिहार और बंगाल में करीब 35 स्कूल और कॉलेज की स्थापना की। धनबाद के लॉ कॉलेज की स्थापना का श्रेय भी उनको ही जाता है। बोकारो स्टील प्लांट, पंचेत, बीसीसीएल, सीसीएल के विस्थापितों के लिए उन्होंने संघर्ष किया। पढ़ो और लड़ो का नारा बिनोद बिहारी महतो नही दिया था।