लोसभा चुनाव 2019 : कुशीनगर में बदले राजनीतिक समीकरण पर चुनावी विसात
सपा-बसपा गठबंधन ने वैसे तो पूरे प्रदेश का राजनीतिक समीकरण बदला है लेकिन कुशीनगर की स्थिति कुछ अलग ही है।
By Edited By: Published: Thu, 21 Mar 2019 09:18 AM (IST)Updated: Sun, 24 Mar 2019 08:36 AM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। सपा-बसपा गठबंधन ने वैसे तो पूरे प्रदेश का राजनीतिक समीकरण बदला है, लेकिन कुशीनगर लोकसभा में यह समीकरण कुछ अधिक ही बदला दिख रहा है। कांग्रेस ने अपने पुराने सारथी राज परिवार के सदस्य पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री आरपीएन ¨सह को मैदान में उतारा है तो गठबंधन ने पूर्व सांसद बालेश्वर यादव पर दांव लगाया है।
भाजपा में अभी उम्मीदवार को लेकर इंतजार है। पिछले लोकसभा के मुकाबिल बदले राजनीतिक समीकरण को नए तरीके से साधने में सभी दल लगे हैं। तब बसपा और सपा ने अलग-अलग खम ठोंका था तो अब हाथ मिलाकर मैदान में हैं। अपनी सियासी जुगलबंदी से गठबंधन जीत की ओर बढ़ने की कोशिश करेगा तो राजदरबार को जीत की दरकार होगी और भाजपा के सामने अपनी सीट बचाए रखने की चुनौती। मतलब राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदला होगा।
ऐसे में पुराने सियासी दांव से इतर नए पैंतरे चलने की जुगत में सभी दल होंगे। आजादी के बाद सोशलिस्ट पार्टी, कांग्रेस, जनदा दल, भाजपा यहां तक की निर्दल प्रत्याशी ने भी जीत दर्ज की है, लेकिन कभी बसपा या सपा ने जीत का स्वाद नहीं चखा। लोकसभा चुनाव में पहली बार उनका गठबंधन मैदान में होगा तो भाजपा व कांग्रेस अपनी परंपरागत सीट पर काबिज होने के लिए कोई कोर कोसर नहीं छोड़ेंगे। बदले सियासी समीकरण से बदले सियासी मिजाज को समझने में सभी दल लगे हैं तो इसको भांपने में मतदाता भी पीछे नहीं हैं।
वर्ष 2014 के चुनाव में किसको कितना मिला वोट
भाजपा 370051 (38.92 फीसद)। कांग्रेस 284511 (29.92 फीसद)। बसपा 132881 (13.98 फीसद)। सपा 111256 (11.70 फीसद)। 2009 के तुलना में किसको कितना फायदा और नुकसान फीसद भाजपा + 16.73 फीसद। कांग्रेस - 0.71 फीसद। बसपा - 13.77 फीसद। सपा + 4.15 फीसद।
भाजपा में अभी उम्मीदवार को लेकर इंतजार है। पिछले लोकसभा के मुकाबिल बदले राजनीतिक समीकरण को नए तरीके से साधने में सभी दल लगे हैं। तब बसपा और सपा ने अलग-अलग खम ठोंका था तो अब हाथ मिलाकर मैदान में हैं। अपनी सियासी जुगलबंदी से गठबंधन जीत की ओर बढ़ने की कोशिश करेगा तो राजदरबार को जीत की दरकार होगी और भाजपा के सामने अपनी सीट बचाए रखने की चुनौती। मतलब राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदला होगा।
ऐसे में पुराने सियासी दांव से इतर नए पैंतरे चलने की जुगत में सभी दल होंगे। आजादी के बाद सोशलिस्ट पार्टी, कांग्रेस, जनदा दल, भाजपा यहां तक की निर्दल प्रत्याशी ने भी जीत दर्ज की है, लेकिन कभी बसपा या सपा ने जीत का स्वाद नहीं चखा। लोकसभा चुनाव में पहली बार उनका गठबंधन मैदान में होगा तो भाजपा व कांग्रेस अपनी परंपरागत सीट पर काबिज होने के लिए कोई कोर कोसर नहीं छोड़ेंगे। बदले सियासी समीकरण से बदले सियासी मिजाज को समझने में सभी दल लगे हैं तो इसको भांपने में मतदाता भी पीछे नहीं हैं।
वर्ष 2014 के चुनाव में किसको कितना मिला वोट
भाजपा 370051 (38.92 फीसद)। कांग्रेस 284511 (29.92 फीसद)। बसपा 132881 (13.98 फीसद)। सपा 111256 (11.70 फीसद)। 2009 के तुलना में किसको कितना फायदा और नुकसान फीसद भाजपा + 16.73 फीसद। कांग्रेस - 0.71 फीसद। बसपा - 13.77 फीसद। सपा + 4.15 फीसद।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें