श्री आनंदपुर साहिब में बिछने लगी सियासी बिसात, तैयार होने लगा पांच साल का लेखा-जोखा
ऐतिहासिक गुरुनगरी श्री आनंदपुर साहिब में सियासी बिसात बिछने लगी है। नेताओं ने कमर कस ली है।
जेएनएन, रूपनगर। ऐतिहासिक गुरुनगरी श्री आनंदपुर साहिब में सियासी बिसात बिछने लगी है। नेताओं ने कमर कस ली है। नेता विकास की पटरी पर संसदीय क्षेत्र में किए काम गिनवाने में लगे हैं और वोटरों ने उन्हें विकास की कसौटी पर तौलना भी शुरू कर दिया है। हालांकि अभी तक केवल एक ही पार्टी ने अपना प्रत्याशी घोषित किया है और कई दलों की ओर से प्रत्याशी तलाशने की कवायद जारी है।
संसदीय क्षेत्र में पिछले पांच साल के समय का लेखा जोखा भी तैयार होने लगा है। मौजूदा सांसद दावा कर रहे हैं कि वह विकास की कसौटी पर खरे उतरे तो विरोधी उन्हें घेरने की तैयारी में हैं। अब यह तो वोटर ही बताएंगे लोकसभा में 2019 में उनका प्रतिनिधित्व कौन करेगा, परंतु दावों, वादों, विकास और अधूरे प्रोजेक्टस को लेकर पूरे लोकसभा क्षेत्र में चर्चाएं और बहसों का दौर शुरू हो चुका है।
दूसरी तरफ सांसद का यह भी कहना है कि उनके कामों की वजह से उन्हें दो बार सर्वश्रेष्ठ सांसद के खिताब से नवाजा गया, जबकि उनके विरोधी इस उपलब्धि को अंधा बांटे रेवड़ी फिर-फिर अपनों को दे की कहावत से जोड़ते हैं। उनका कहना है कि अब तो जनता ही बताएगी कि आखिर ग्राउंड में वे कितने अव्वल आए।
आनंदपुर साहिब लोकसभा क्षेत्र के लिए पिछले पांच साल मिश्रित परिणाम देने वाले रहे। अकाली दल के सांसद चंदूमाजरा श्री हरिमंदिर साहिब के लिए आनंदपुर साहिब और नवांशहर से ट्रेन चलाकर सिखों को आकर्षित करने में कामयाब रहे हैं। रूपनगर डाकघर में पासपोर्ट कार्यालय, मोरिंडा व कीरतपुर साहिब में तेज रफ्तार ट्रेनों का ठहराव, श्री हरिमंदिर साहिब के लिए नवांशहर से सीधी ट्रेन चलाना, नवांशहर बाईपास (लंगड़ोआ से महालो तक 10 किमी) का निर्माण (60 %काम पूरा होना) कुछ ऐसे काम हैं जिनका सांसद श्रेय लेते हैं।
कई मोर्चों पर बेहतर काम हुआ तो कई मोर्चों पर विकास के नाम एक ईंट भी नहीं लग पाई। इनमें रोजगार, जंगली जानवरों द्वारा कंडी एरिया में फसलों की बर्बादी, सड़क यातायात, रेल मार्ग, लक्कड़ मंडी के मुद्दे अहम हैं। लोगों में भी इस बात को लेकर चर्चा आम है कि इन मोर्चों पर सांसद कुछ खास नहीं कर पाए।
क्षेत्र में इंडस्ट्री की बड़ी डिमांड को पूरा करवा पाने में पिछले साढे़ चार साल में काम नहीं हो पाया। वहीं बीबीएमबी में पंजाब कोटे के पद नहीं भरवाए जा सके। नतीजा यह निकला कि क्षेत्र के युवाओं को रोजगार के लिए हिमाचल के नालागढ़ एवं बद्दी इंडस्ट्रियल एरिया का रुख करना पड़ा। लोग उन वादों को याद कर रहे हैं जो लोकसभा चुनाव से पहले प्रो. चंदूमाजरा ने जनता से किए थे। इनमें प्रमुख रूप से कंडी एरिया में जंगली जानवरों से बचाने के लिए कांटेदार तार का प्रोजेक्ट और रूपनगर में लकड़ी की मंडी स्थापित करने की मांग अधूरी है।
कई बार मुद्दा जोर-शोर से उठा भी, लेकिन वह भी नहीं लग पाई। गढ़शंकर से नवांशहर की तरफ आने वाले भारी वाहनों की समस्या का समाधान भी नहीं हो पाया। होला मोहल्ला के दौरान होशियारपुर, लुधियाना, जालंधर समेत अमृतसर की तरफ आने वाली संगत इस बार भी खस्ताहाल सड़क से होकर ही निकलेगी। पिछले दस सालों में इसकी रिपेयर तक नहीं हुई। इसी सड़क से होकर हजारों श्रद्धालु हिमाचल में सिद्धपीठ श्री नयना देवी मंदिर जाते हैं। अब चुनाव से ठीक पहले बंगा-श्री नयना देवी फोरलेन प्रोजेक्ट का नींव पत्थर रखा गया है जिसके पूरा होने में लंबा वक्त लगेगा।
इनका इंतजार
- स्वां नदी चैनलाइज नहीं हो सकी। हर साल की तरह इस साल भी बाढ़ प्रभावित करेगी।
- एनएफएल की क्षमता बढ़ोतरी का 5500 करोड़ का प्रोजेक्ट भी पूरा नहीं हुआ।
- खरोटा फाटक बंद होने के बाद लंबे समय तक सियासत चली। मसले को हल करने का वादा किया गया, अभी अधूरा है। हालांकि 7 मार्च को अंडरपास का शिलान्यास विस स्पीकर राणा केपी सिंह ने किया।
- नंगल में बीबीएमबी का लीज मसला हल नहीं हुआ। बीबीएमबी में पंजाब कोटे के 800 पद नहीं भरे जा सके।
- सांसद ने रयात बाहरा की उच्च स्तरीय टीम को यहां विजीट भी करवाया, लेकिन उसके बाद कुछ नहीं हुआ।
- नवांशहर को रेल मार्ग से खन्ना और समराला से जोड़ने की मांग पर भी गौर नहीं किया जा सका।
गठबंधन धर्म में भाजपा की नाराजगी
इलाके में चंदूमाजरा की नाममात्र मौजूदगी सियासी गलियारों में पहले ही चर्चा का विषय है। भाजपा तो एक तरफ अकाली नेता भी निराश बताए जाते हैं।
ऐतिहासिक गुरुनगरी के योद्धा कौन होंगे अभी असमंजस
हलके से भिड़ने वाले योद्धाओं की स्थिति साफ नहीं हुई है। सिर्फ आप व पंजाब डेमोक्रेटिक एलायंस ने प्रत्याशी घोषित किए हैं, जबकि आप के साझे मोर्चे से टकसाली भी यहीं से टिकट मांग रहा है। दूसरी तरफ आप के नरिंदर शेरगिल भी अड़े हैं कि वो ही चुनाव लड़ेंगे। अकाली दल से चंदूमाजरा को ही दोबारा मैदान में उतारने की संभावना है। कांग्रेस में दावेदारों की लिस्ट लंबी है। सीएम के निकटवर्ती कैप्टन संदीप संधू समेत कई युवा चेहरे भी हैं। चंडीगढ़ में टिकट के तीन दावेदारों पवन बंसल, नवजोत कौर सिद्धू व मनीष तिवारी में से भी किसी को एडजस्ट किया जा सकता है।
कड़ी टक्कर: एक हलका भी बदल सकता है पासा
इस हलके में परंपरागत पार्टियों शिअद व कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलता है। 2014 चुनाव में चंदूमाजरा बहुत कम अंतर 23697 वोट से जीते थे। पहली बार मैदान में उतरे आम आदमी पार्टी के एडवोकेट हिम्मत सिंह शेरगिल ने 306008 करिश्माई वोट हासिल किए थे। 2009 में भी कांग्रेस और अकाली दल में मुख्य मुकाबला था। बसपा के केवल कृष्ण 1 लाख का आंकड़ा पार करने में सफल हुए थे।
बता दें कि 2009 में परिसीमन के बाद यह हलका अस्तित्व में आया था। पहली बार इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बेअंत सिंह के पौत्र रवनीत सिंह बिट्टू ने अकाली दल के डॉ. दलजीत सिंह चीमा को हराया था। तब बिट्टू ने चुनाव 67204 वोट से जीता था। आनंदपुर साहिब सीट के नौ विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के पाले में पांच, आप के तीन और अकाली दल के पाले में एक सीट है।
पहले टॉप 25 में आया, फिर टॉप 5 में
मौजूदा सांसद व शिअद के दिग्गज नेता प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा का कहना है कि इलाके के लिए लोकसभा सहित कई अन्य फ्रंट पर जितना जूझा हूं, कोई नहीं जूझा होगा। दो बार बेस्ट लोकसभा सदस्य का खिताब मिला। पहले टॉप 25, फिर टॉप 5 में शामिल हुआ। कांग्रेस ने मेरे प्रोजेक्ट सिरे नहीं चढ़ने दिए। मोहाली एयरपोर्ट को एनओसी लाने और नांदेड़ तक फ्लाइट शुरू करवाने का भी क्रेडिट भी मुझे जाता है।
...तो जनता देती अवार्ड : राणा केपी सिंह
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता व आनंदपुर साहिब के विधायक राणा केपी सिंह का कहना है कि केंद्र में सत्ता अकाली दल की भाईवाल पार्टी भाजपा की है। वहां से सर्वोत्तम सांसद होने का खिताब लेना कोई मुश्किल नहीं है। मजा तो तब आता जब प्रो.प्रेम सिंह चंदूमाजरा इलाके के लिए कुछ ऐसा करते जिसके लिए जनता उन्हें अवार्ड देती। इलाके में विकास कार्यों को लेकर चंदूमाजरा की व्यक्तिगत कारगुजारी किसी से छुपी नहीं है।
खुद सोचें क्या काम किया : शेरगिल
आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी नरिंदर शेरगिल का कहना है कि केवल नेशनल हाईवे के प्रोजेक्ट पास करवाकर अगर सांसद खुद को जनता के बीच वोट मांगने उतरता है तो ये उनकी अपनी समझ है। सभी हाईवे तो प्राइवेट कंपनियों ने बनाए हैं और वो टोल वसूल रही है। इलाके के लिए संजीदगी से लोकसभा सदस्य ने क्या किया है, वह खुद ही सोचें। गांव ग्रांटों के लिए तरस रहे हैं।
पांच साल में 20 के बजाय सिर्फ 10 बैठक ही कर पाए
पांचों साल चंदूमाजरा जिला विकास तालमेल और मॉनीर्टंरग कमेटी की बैठक एक साल में चार के बजाय दो-दो बार ही कर पाए। अंतिम बैठक 22 नवंबर 2018 को हुई। पहली बैठक 2014 में 28 नवंबर को हुई। उसके बाद 2015 में 17 अप्रैल और फिर 16 सितंबर को। 2016 में 20 अप्रैल और 13 अगस्त को। 2017 में 15 मई व 16 दिसंबर। साल 2018 में 6 जुलाई और 22 नवंबर को बैठक हुई।