Loksabha Election 2019 : संकट मोचन संगीत समारोह में हाजिरी लगाएंगे पीएम
संकट मोचन संगीत समारोह में इस बार पीएम नरेंद्र मोदी हाजिरी लगाएंगे इस बार छह दिवसीय समारोह के लिए उन्हें मंदिर प्रशासन की ओर से न्योता भेजा गया है।
वाराणसी, जेएनएन। दुनिया के अनूठे सांगीतिक अनुष्ठान संकट मोचन संगीत समारोह में इस बार पीएम नरेंद्र मोदी हाजिरी लगाएंगे। इस बार 23 अप्रैल से शुरू हो रहे छह दिवसीय समारोह के लिए उन्हें मंदिर प्रशासन की ओर से बनारस के सांसद के तौर पर न्योता भेजा गया है। हालांकि यह निमंत्रण तो उन्हें हर साल भेजा जाता रहा लेकिन इस बार अवसर विशेष पर पीएम नरेंद्र मोदी शहर में ही होंगे। उन्हें बनारस संसदीय सीट से उम्मीदवारी के लिए 26 अप्रैल को नामांकन करना है। इसके लिए वे 25 अप्रैल को बनारस आ रहे हैं और रात्रि विश्राम भी करेंगे। संगीत समारोह भी शाम 7.30 बजे से लेकर सुबह सूरज की किरणों के संकट मोचन महाराज के आंगन में उतर आने तक चलता है।
ऐसे में माना जा रहा है कि देश-दुनिया की भागीदारी वाले अंतरराष्ट्रीय आयोजन में शीश जरूर नवाएंगे। पिछले लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने पहली जनसभा से पहले बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ के साथ ही संकट मोचन महाराज का आशीर्वाद लिया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद वे बाबा दरबार, कालभैरव मंदिर और दुर्गाकुंड कूष्मांडा की दर पर जरूर गए लेकिन संकट मोचन मंदिर जाने का संयोग नहीं बन सका। इस बार भरपूर समय होने के कारण इसका योग बनता दिख रहा है। इस चर्चा को इससे भी बल मिल रहा है कि निर्वाचन आयोग की ओर से प्रचार पर 72 घंटे की बंदिशों के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ भी चार दिन पहले संकट मोचन मंदिर आए थे। उन्होंने 30 मिनट के प्रवास में दर्शन-पूजन और महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र से बंद कमरे में मुलाकात भी की। महंत प्रो. मिश्र के अनुसार पीएम मोदी को संकट मोचन संगीत समारोह में आने के लिए न्योता भेजा गया है।
ये भी पढ़ें - संकट मोचन संगीत समारोह में छह दिन, 47 प्रस्तुतियां, 15 पद्म अवार्डी फनकारों की जुटान
95 साल बेमिसाल : संकट मोचन संगीत समारोह इस साल 96वें पायदान पर पहुंच गया है। ख्यात पखावज वादक पंडित अमरनाथ मिश्र (तत्कालीन महंत) की 1923 में की गई पहल आज छह दिनी संगीत समारोह का रूप ले चुकी है, जिसमें देश-विदेश से शास्त्रीय कलाकार प्रस्तुति देने को लालायित रहते हैं। वास्तव में यह स्थान मित्र चौकड़ी पं. अमरनाथ मिश्र, पं. ज्योतिन भट्टाचार्य (लब्ध सरोद वादक), पं. किशन महाराज (महान तबला वादक) व पं. आशुतोष भट्टाचार्य (दिग्गज तबला साधक) की साधना स्थली रही है। वैसे तो यह बैठकी पूरे साल चला करती लेकिन समारोह नजदीक आते-आते इसकी अवधि दीर्घ से दीर्घतम हो जाया करती। बाद के दौर में इसे महंत प्रो. वीरभद्र मिश्र और फिर वर्तमान महंत विश्वम्भरनाथ मिश्र ने ऊंचाई दी।
इसका परिणाम रहा कि संगीत कला के क्षेत्र में देश-दुनिया का हर बड़ा नाम जिसे अपनी कला पर चाहे जितना गुमान रहा हो मगर इस दिव्य स्थान पर हाजिरी लगाने के लिए याचक की भूमिका में ही रहा। हालांकि इस प्रयोगधर्मी संगीत मंच ने जाति-धर्म की दीवारें तो कब की तोड़ दीं, शिव की नगरी में शक्ति आराधन के महात्म्य को देखते हुए नई धारा जोड़ दी अदब के साथ पश्चिम का साज दरवाजे पर खड़ा हुआ तो उसे भी जगह दी।