इस बार भाजपा के टिकट से चुनावी मैदान में नहीं होंगे ये दिग्गज
मौजूदा लोकसभा चुनाव में लालकृष्ण आडवाणी शत्रुघ्न सिन्हा शाहनवाज हुसैन सुषमा स्वराज परेश रावल शांता कुमार जैसे दिग्गज नेता भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में नहीं होंगे।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा के कई दिग्गज नेता पार्टी के टिकट से चुनाव मैदान में नहीं दिखाई देंगे। इनमें से कुछ का टिकट कट गया है जबकि कुछ ने पहले ही चुनावी मैदान में नहीं उतरने का फैसला कर लिया था। भाजपा ने इस बार वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को टिकट नहीं देकर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को मौका दिया है तो दूसरी ओर बिहार के पटना साहिब से शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट भी काट दिया है।
इनको नहीं मिला टिकट
1. लालकृष्ण आडवाणी: भाजपा ने पार्टी संस्थापकों में शामिल आडवाणी को गांधीनगर लोकसभा सीट से टिकट नहीं देकर अमित शाह पर विश्वास जताया है। गौर करने वाली बात यह है कि पिछले 30 वर्षों के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है जब भाजपा अपने इस कद्दावर नेता के बिना ही चुनाव मैदान में उतरेगी। राम मंदिर आंदोलन का बिगुल फूंककर भाजपा को आज सत्ता के शीर्ष तक पहुंचाने में आडवाणी का बड़ा हाथ रहा है। आडवाणी साल 1999, 2004, 2009 और 2014 का चुनाव गांधीनगर लोकसभा सीट से ही जीतते रहे हैं।
2. शत्रुघ्न सिन्हा: भाजपा ने पटना साहिब से शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट भी काट दिया है। माना जा रहा है कि पार्टी ने यह कदम सिन्हा के बागी तेवरों को देखते हुए उठाया है। इस बार पटना साहिब से सिन्हा की जगह केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को चुनाव मैदान में उतारा गया है। सिन्हा पटना साहिब से सांसद हैं। साल 2009 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने इसी लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी। राज्य सभा से भी वह दो बार सांसद रह चुके हैं। पूर्व की एनडीए सरकार में वह केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री भी थे।
3. शाहनवाज हुसैन: भाजपा ने फिलहाल शाहनवाज हुसैन को भी टिकट नहीं दिया है। पिछले चुनाव में वह भागलपुर लोकसभा सीट से हार गए थे। हुसैन भाजपा के दिग्गज नेताओं में शुमार हैं। उन्होंने ही कांग्रेस और राजद का गढ़ रहे सीमांचल में पहली बार भाजपा को जीत दिलाई थी। वर्ष 1999 में किशनगंज से जीते शाहनवाज को पूर्व की एनडीए सरकार ने राज्य मंत्री बनाया था। गौरतलब है कि इस बार भागलपुर सीट जदयू के खाते में गई है।
4. शांता कुमार और वीरेंद्र कश्यप: भाजपा ने हिमाचल प्रदेश के दो दिग्गज सांसदों शांता कुमार और वीरेंद्र कश्यप को टिकट नहीं दिया है। वीरेंद्र कश्यप शिमला से मौजूदा सांसद हैं जिनकी जगह पार्टी ने सुरेश कश्यप पर भरोसा जताया है। पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार को इस बार टिकट नहीं दिया है। कांगड़ा से सांसद शांता कुमार की जगह किशन कपूर को टिकट दिया गया है।
5. हुकुमदेव नारायण : भाजपा के वरिष्ठ नेता हुकुमदेव नारायण (79) मधुबनी लोकसभा सीट से सांसद हैं। इस बार वह मधुबनी से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। उनकी जगह उनके बेटे अशोक कुमार यादव मधुबनी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। हुकुमदेव भाजपा के दिग्गज नेता हैं और संसद में वह हल्के अंदाज में बड़े और गंभीर मुद्दे उठाने के लिए जाने जाते हैं।
इन्होंने लड़ने से कर दिया है इनकार
1. सुषमा स्वराज: केंद्रीय विदेश मंत्री और भाजपा की कद्दावर नेता सुषमा स्वराज भी लोकसभा यह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रही हैं। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। वह 2009 में संसद में विपक्ष की नेता और 1998 में दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। सुषमा मध्य प्रदेश के विदिशा लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सीट होने की वजह से विदिशा भाजपा के लिए विशेष महत्व की सीट है।
2. उमा भारती: राम मंदिर आंदोलन से सुखिर्यों में आई उमा भारती भी एलान कर चुकी हैं कि वह मौजूदा लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। केंद्रीय मंत्री उमा ने 16 मार्च 2019 को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिखकर अपने फैसले से अवगत करा दिया था। हालांकि जब भाजपा के आला नेता पहली सूची के उम्मीदवारों के नामों पर दिल्ली में मंथन कर रहे थे तब उन्होंने कहा था कि अच्छा होगा कि पार्टी आधिकारिक तौर पर मेरे फैसले के बारे में लोगों को बता दे।
3. परेश रावल: भाजपा नेता परेश रावल भी पहले ही एलान कर चुके हैं कि वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। बता दें कि उन्होंने साल 2014 का आम चुनाव अहमदाबाद पूर्व लोकसभा क्षेत्र से लड़ा था और 3.25 लाख से अधिक मतों से जीत हासिल की थी। हालांकि, उन्होंने आगे भी पार्टी के लिए काम करते रहने की बात कही है।
4. कलराज मिश्र: भाजपा के 77 वर्षीय वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र घोषणा कर चुके हैं कि वह मौजूदा लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। देवरिया सांसद कलराज मिश्रा मोदी कैबिनेट में लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्योग मंत्री थे लेकिन वर्ष 2017 में उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि कलराज मिश्र ने भरोसा दिया है कि वह पार्टी के लिए भविष्य में काम करते रहेंगे।