Lok Sabha Election 2019 : ओडिशा में डाला वोट, अब झारखंड में करेंगे मतदान
Lok Sabha Election 2019. इनके नाम झारखंड और ओडिशा यानी दोनों जगह मतदाता सूची में दर्ज है। इनके पास दो मतदाता पहचान पत्र भी मौजूद हैं।
चाईबासा,मो. तकी/मनीष कुमार दास। Lok Sabha Election 2019 झारखंड के पश्चिम सिंहभूम के कुमारडुंगी प्रखंड के रालीबेड़ा गांव के रुगुड़साई टोला में दो दर्जन लोग ऐसे भी हैं जो 29 अप्रैल को ओडिशा में वोट डाल चुके हैं, और अब 12 मई को झारखंड में मतदान करने की तैयारी कर रहे हैं। इनके नाम झारखंड और ओडिशा यानी दोनों जगह मतदाता सूची में दर्ज है। इनके पास दो मतदाता पहचान पत्र भी मौजूद हैं। चुनाव आयोग की आंख में धूल झोंककर हर बार ये लोग दोनों राज्यों में पहले भी मतदान करते रहे हैं।
ओडिशा सीमा पर बसे इन मतदाताओं के घर झारखंड में हैं। चंद कदम चलकर यह ओडिशा में प्रवेश कर जाते हैं। कुमारडुंगी मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर जंगलों से यह गांव घिरा है। यहां पर पहुंचने के लिए चार किलोमीटर पहाड़ पर पैदल भी चलना पड़ता है। दैनिक जागरण की टीम यहां पर पहुंची तो पता चला कि सीमावर्ती क्षेत्रों में बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने दोनों राज्यों की मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करा रखा है। इसके आधार वे दोनों जगह मतदान में भाग लेते हैं। निर्वाचन विभाग अगर इसकी जांच करे तो इस फर्जीवाड़े के पीछे की कहानी सामने आ सकती है।
नेता भी साधे रहते चुप्पी
टीम को पता चला कि कई नेता इसका फायदा चुनाव के दौरान उठाते हैं। यही वजह है कि नेता भी इस पर चुप्पी साध रखे हैं। दैनिक जागरण ने छानबीन की तो पता चला जगमोहन सिंकु, लालमोहन सिंकु की पत्नी दमयंती सिंकू, जनार्धन सिंकु की पत्नी मेजारी सिंकु, यादव सिंकु, सुक्रमनी कुई, सोनाराम पुरती की पत्नी रुकमनी पुरती, हरिश पुरती, जेमा आल्डा, समीर आल्डा की पत्नी पार्वती आल्डा, मनोहर आल्डा की पत्नी मुक्ता आल्डा, सुमित्र आल्डा, जानो आल्डा के पास दो वोटरकार्ड मौजूद हैं।
विकास से वंचित है यह गांव
आदिवासी बहुल यह गांव बदहाल है। दोनों राज्यों का वोटरकार्ड होने के बाद भी इन्हें विकास योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। अब भी ये कच्चे मकानों में रहते हैं। ओडिशा और झारखंड सरकार से इन्हें आवास योजना का लाभ नहीं मिला है। ये लोग खेती व मजदूरी कर जीवन यापन कर रहे हैं। झारखंड के राशन डीलर इनके नाम का कार्ड बनाकर ओडिशा का निवासी बता कर राशन नहीं देते हैं।
दो राज्यों में है घर
दो मतदाता पहचान पत्र रखने वाले लालमोहन सिंकू कहते हैं कि पहले हम सभी झारखंड में रहते थे। ओडिशा सीमा उनके खेत से गुजरती है। जमीन ओडिशा में भी है। बहुत वर्ष पहले की बात है, ओडिशा में खेती के बाद धान झारखंड लाने पर वहां की पुलिस पकड़ लेती थी। इसके बाद पिताजी ने ओडिशा में भी घर बना लिया। खेती करने के बाद धान ओडिशा में ही रखने लगे। गांव के लोगों को पेयजल सुविधा तक नसीब नहीं है।
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