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LokSabha Election 2019: भाजपा प्रत्याशी सुनील बोले, शिबू नहीं अटल मेरे राजनीतिक गुरु

सुनील सोरेन ने कहा कि झामुमो सुप्रीमों शिबू सोरेन मेरे कभी गुरु रहे ही नहीं। जो ऐसा कहते हैं वह बिल्कुल गलत है।

By Edited By: Published: Sun, 24 Mar 2019 04:21 PM (IST)Updated: Sun, 24 Mar 2019 04:25 PM (IST)
LokSabha Election 2019: भाजपा प्रत्याशी सुनील बोले, शिबू नहीं अटल मेरे राजनीतिक गुरु
LokSabha Election 2019: भाजपा प्रत्याशी सुनील बोले, शिबू नहीं अटल मेरे राजनीतिक गुरु
दुमका, जेएनएन। कभी झामुमो से राजनीति का पाठ पढ़ने वाले भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन के लिए उनके राजनीतिक गुरु स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी हैं न कि झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन। दुमका लोकसभा सीट से लगातार तीसरी बार भाजपा के टिकट से लड़ने वाले प्रत्याशी सुनील सोरेन ने रविवार को यह बात कही।
झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन जिन्हें यहां गुरुजी के नाम से जाना जाता है, दुमका से आठ बार सांसद चुने जा चुके हैं। शिबू से विगत दो आम चुनाव हार चुके सुनील सोरेन ने कहा कि झामुमो सुप्रीमों शिबू सोरेन मेरे कभी गुरु रहे ही नहीं। जो ऐसा कहते हैं वह बिल्कुल गलत है। झामुमो वंशवाद की पार्टी है। पिता-पुत्र की पार्टी है। इन दोनों की ही चलती है। पार्टी ने उनपर विश्वास जताया है। उसी विश्वास पर खरा उतरने का प्रयास होगा। पार्टी पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ेगी। पूर्व विधायक सुनील सोरेन ने कहा कि शिबू ने 40 साल तक यहां की जनता पर राज किया। यहां के विकास के लिए कोई काम नहीं किया। केवल आदिवासियों को ठगा। झामुमो लाख कोशिश कर ले, महागठबंघन भी जोर लगा ले, लेकिन जनता पर किसी का कोई प्रभाव पड़ने वाला नहीं है। जनता ने बदलाव का मन बना लिया है। जो पिछले 40 साल में नहीं हुआ, वह अब होकर रहेगा। एक सवाल के जवाब में कहा कि दुमका कभी झामुमो का गढ़ था, लेकिन अब यह ध्वस्त हो चुका है। जो सांसद डेढ़-दो लाख वोट से जीता करते थे, अब उनकी जीत का अंतर 20-30 हजार के बीच सिमट कर रह गया है। किला तो कब का ध्वस्त हो चुका है। अब ध्वस्त करने का लायक बचा ही कहां है। इस बार बदलाव की हवा चल रही है।
सोरेन ने कहा कि भाजपा एक परिवार की तरह है। रणनीति के आधार पर ही चुनाव होगा। भाजपा पूरी तरह से एकजुट है। चुनाव में इस बात का अहसास भी जाएगा। एक सवाल के जवाब में कहा कि एसपीटी एक्ट में बदलाव और भूमि अधिग्रहण के मसले में आदिवासियों में किसी तरह की नाराजगी नहीं है। नाराजगी है ही नहीं तो मनाने जैसी कोई बात ही नहीं है। बस हर कोई बदलाव चाहता है।

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