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LOk Sabha Polls 2019 : चार सांसद यदि देते ध्यान तो बदल जाती एमजीएम की सूरत

LOk Sabha Polls 2019. कोल्हान के इस अस्पताल पर जमशेदपुर सिंहभूम व खूंटी लोकसभा क्षेत्र के मरीज पूरी तरह से निर्भर हैं पर किसी सांसद ने इसकी व्यवस्था पर ध्‍यान नहीं दिया।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 10:22 AM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 10:22 AM (IST)
LOk Sabha Polls 2019 : चार सांसद यदि देते ध्यान तो बदल जाती एमजीएम की सूरत
LOk Sabha Polls 2019 : चार सांसद यदि देते ध्यान तो बदल जाती एमजीएम की सूरत

जमशेदपुर [अमित तिवारी]।  कोल्हान क्षेत्र के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में झारखंड के चार संसदीय क्षेत्र के मरीज इलाज कराने आते हैं। पर इसकी सुध लेनेवाला कोई नहीं है। यदि हर संसदीय क्षेत्र के सांसद थोड़ा भी ध्यान दिए होते तो इस अस्पताल की सूरत बदल सकती थी। आज आलम यह है कि यहां ड्रेसिंग तक की सुविधा नहीं है।

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इस अस्पताल पर जमशेदपुर, सिंहभूम व खूंटी लोकसभा क्षेत्र के मरीज पूरी तरह से निर्भर हैं, जबकि रांची लोकसभा क्षेत्र के कुछ हिस्से जैसे चांडिल, कपाली, चौका, ईचागढ़, मिलन चौक, नीमडीह, रघुनाथपुर से लोग यहां इलाज कराने पहुंचते हैं। इस तरह देखा जाए तो 38 लाख 86 हजार 153 वोटर सीधे इस अस्पताल से जुड़े हैं। यहां आलम यह है कि अगर कोई मरीज जख्म लेकर पहुंचता है तो मरहम-पïट्टी लगाने वाला भी जल्दी नहीं मिलता। कारण कि ड्रेसर नहीं है। इसी तरह, मरीजों को वार्ड में शिफ्ट करने के लिए भी कर्मचारी नहीं हैं। वार्ड ब्वाय, लिफ्टमैन, रसोई सेवक, असिस्टेंट डायटीशियन, इलेक्ट्रिकल हेल्पर, लैब अटेंडर की संख्या भी शून्य है। डॉक्टर व नर्स का घोर अभाव है। सामान्य सर्जरी के लिए भी मरीजों को एक-एक माह का इंतजार करना पड़ता है। 

58 वर्ष बाद भी सेहत में कोई सुधार नहीं

इस अस्पताल की स्थापना 1961 में हुई थी। 58 वर्षों से चल रहे इस अस्पताल में हर साल करीब साढ़े पांच लाख मरीज आते हैं। थोड़ा भी गंभीर मरीज को निजी अस्पताल या प्रदेश से बाहर रेफर कर दिया जाता है। हार्ट, किडनी, लीवर, न्यूरो, कैंसर सहित कई गंभीर रोगों का इलाज संभव नहीं है। जमशेदपुर से हर साल 20 से 22 फीसद मरीज इलाज कराने दूसरे प्रदेश चले जाते हैं। इसमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, ओडिशा सहित अन्य राज्य शामिल हैं। 

होने चाहिए 197, केवल 32 डॉक्टरों से चल रहा काम

इस अस्पताल में डॉक्टर व नर्सों की घोर किल्लत है। मेडिकल ऑफिसर, सीनियर रेजीडेंट के 197 पद स्वीकृत हैं, लेकिन ड्यूटी पर तैनात सिर्फ 32 ही हैं। यानी 167 पद रिक्त पड़े हैं। इसी तरह, 274 स्थायी नर्सों की पदस्थापना होनी चाहिए। सिर्फ 48 स्थायी नर्स ही कार्यरत हैं। यानी नर्सों के 216 पद खाली है। नर्सों की बहाली बीते कई वर्षों से नहीं हुई है।  

ऐसी है एमजीएम अस्पताल की स्थिति

  • हड्डी रोग विभाग में संपूर्ण इलाज नहीं होने से मरीजों को भेजा जाता निजी अस्पताल।
  • अस्पताल में बेड फुल होने के कारण फर्श पर लिटाकर चलता इलाज।
  • बेड नहीं बढऩे से एक-एक बेड पर रखे जाते दो से तीन मरीज।
  • इनडोर विभाग में पानी व शौचालय की अव्यवस्था।
  • बेहतर साफ-सफाई नहीं होने से संक्रमण फैलने की आशंका।
  • मरीजों को नहीं मिल पा रहा फिजियोथेरेपी सेंटर का लाभ, बाहर जाने को मजबूर।
  • 24 घंटे में सिर्फ एकबार ही राउंड लेते डॉक्टर। रात को कोई नहीं रहता तैनात।
  • ऑपरेशन के लिए मरीजों को एक से डेढ़ माह का इंतजार करना पड़ रहा है।
  • सेंट्रल रजिस्ट्रेशन काउंटर ठप। मरीजों का आंकड़ा नहीं हो रहा दर्ज।
  • करोड़ों रुपये की मशीन खा रही जंग। 

बहुत कुछ करने की थी जरूरत

  • हृदय रोग के इलाज की सुविधा नहीं।
  • न्यूरो से संबंधित बीमारियों के इलाज की सुविधा नहीं। 
  • किडनी रोग का इलाज नहीं।
  • किडनी व लीवर ट्रांसप्लांट की सुविधा नहीं।
  • टीबी एवं चेस्ट विभाग नहीं।
  • सभी तरह की जांच की सुविधाएं नहीं।
  • आउटडोर मरीजों के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं।
  • पानी की हमेशा से हमेशा होना पड़ता दो-चार।

एक्सपर्ट की राय

एमजीएम अस्पताल के व्यवस्था में सुधार के लिए गंभीरता से कभी सोचा ही नहीं गया। पहल जरूर हुई पर वह हवा-हवाई ही साबित हुई। सबसे पहले योजना बनाकर सभी जरूरतमंद पदों पर मैनपावर की बहाली करनी होगी। इसमें डॉक्टर से लेकर नर्स, कर्मचारी सभी शामिल है। कर्मचारियों की संख्या भरपूर होने से उनकी जिम्मेवारी भी तय हो सकेगी। इसमें किसी तरह का बहाना नहीं चलेगा। अगर कोई लापरवाही बरते है तो उनपर सख्ती के साथ कार्रवाई भी जरूरी है। इसके साथ ही अस्पताल की व्यवस्था को अपडेट करने के लिए एक निगरानी टीम भी होनी चाहिए। ताकि वह बिंदुओं पर नजर रख सकें और उसमें सुधार किया जा सकें। बेहतर साफ-सफाई होनी चाहिए। मशीनें खरीद लेने से नहीं बल्कि उसका उपयोग भी होना चाहिए। 

- डॉ. आरएल अग्रवाल, पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर, एमजीएम। 

 बड़ा मुद्दा

  •  चार संसदीय क्षेत्र से साढ़े पांच लाख लोग हर साल कराते हैं इस सरकारी अस्पताल में इलाज
  • कोल्हान के इस सबसे बड़े अस्पताल में हर साल बढ़ रही मरीजों की संख्या
  • इस अस्पताल पर निर्भर हैं 38 लाख वोटर, ड्रेसिंग तक की सुविधा नहीं
  •  15,81,665 मतदाता हैं जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र में।
  • 11,52,632 मतदाता है सिंहभूम संसदीय क्षेत्र में 
  • 11,11,856 मतदाता हैं खूंटी संसदीय क्षेत्र में।
  •  40000 वोटर रांची लोकसभा क्षेत्र के हैं, जो यहां कराने आते हैं इलाज।

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