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Lok Sabha Election 2019: देश में यहां EVM नहीं मतपत्र से होगा मतदान, ये है बड़ी वजह

पहले भी इसी वजह से चुनाव आयोग को कुछ जगहों पर मतपत्रों का इस्तेमाल करना पड़ा है। वाराणसी लोकसभा सीट पर भी चुनाव आयोग को मतपत्र का इस्तेमाल करना पड़ सकता है।

By Amit SinghEdited By: Published: Fri, 29 Mar 2019 01:26 PM (IST)Updated: Fri, 29 Mar 2019 02:46 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: देश में यहां EVM नहीं मतपत्र से होगा मतदान, ये है बड़ी वजह
Lok Sabha Election 2019: देश में यहां EVM नहीं मतपत्र से होगा मतदान, ये है बड़ी वजह

हैदराबाद, पीटीआइ। हर बार चुनाव के दौरान इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (EVM) का मामला खूब जोर-शोर से उठता है। चुनाव हारने के बाद राजनीतिक पार्टियों द्वारा ईवीएम पर ठीकरा फोड़ना आम बात हो चुकी है। इसे लेकर वक्त-वक्त पर राजनीतिक पार्टियां ईवीएम की जगह फिर से मतपत्र से मतदान कराने की मांग करती रहती हैं। ऐसे में चुनाव आयोग ने देश की एक लोकसभा सीट पर मतपत्र से चुनाव कराने का निर्णय लिया है। हालांकि, इसकी वजह राजनीतिक पार्टियों की आपत्ति या मांग नहीं, बल्कि कुछ और है, जिसने चुनाव आयोग को मतपत्रों का प्रयोग करने के लिए मजबूर कर दिया है।

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इस वजह से मतपत्र का होगा प्रयोग
मतपत्र से चुनाव करने का निर्णय, चुनाव आयोग ने तेलंगाना राज्य के हैदराबाद की निजामाबाद लोकसभा सीट पर लिया है। इसकी वजह ये है कि यहां पर लोकसभा के उम्मीदवारों की सूची इतनी लंबी हो गई है कि ईवीएम के जरिए चुनाव करा पाना संभव नहीं है। काफी संख्या में नामांकन होने की वजह से चुनाव आयोग को यहां प्रत्येक बूथ पर काफी संख्या ईवीएम की जरूरत पड़ेगी, जो काफी मुश्किल है। इसलिए चुनाव आयोग ने इस लोकसभा सीट पर ईवीएम की जगह मतपत्र से मतदान कराने का निर्णय लिया है।

185 उम्मीदवार हैं निजामाबाद सीट पर
निजामाबाद लोकसभा सीट पर कुल 185 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है, इसमें 170 से अधिक किसान शामिल हैं। उम्मीदवारों की ये संख्या ईवीएम की क्षमता से बहुत ज्यादा है। इसलिए चुनाव आयोग को यहां पर मतपत्र से चुनाव कराने का निर्णय लेना पड़ा है।

इसलिए हुए हैं ज्यादा नामांकन
मालूम हो कि निजामाबाद लोकसभा सीट से तेलंगाना मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं। इसीलिए किसानों ने राज्य की सत्ताधारी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति की नाकाम नीतियों का विरोध करने के लिए यहां से नामांकन दाखिल किया है। किसानों की मांग है कि उन्हें उनके उत्पादन हल्दी और लाल ज्वार का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाए। राज्य सरकार उनकी इस मांग को पूरा करने में नाकाम रही है। साथ ही किसान मांग कर रहे हैं कि सरकार एक हल्दी बोर्ड का गठन करे।

कुल 443 उम्मीदवार हैं तेलंगाना में
राज्य निर्वाचन आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूज एजेंसी पीटीआइ को बताया है कि गुरुवार को नामांकन वापसी की समय सीमा समाप्त हो चुकी है। इसके बाद राज्य की 17 लोकसभा सीटों के लिए कुल 443 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 185 उम्मीदवार निजामाबाद लोकसभा सीट से ही हैं। मालूम हो कि तेलंगाना की सभी 17 लोकसभा सीटों के लिए पहले चरण में 11 अप्रैल को मतदान होगा। 23 मई को सभी सीटों के लिए मतों की गिनती होगी।

मतपत्र के लिए चुनाव आयोग से मांगी मंजूरी
तेलंगाना के मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) रजत कुमार ने बताया कि निजामाबाद में 185 उम्मीदवारों के चुनाव मैदान में उतरने की वजह से यहां पर बैलेट पेपर (मतपत्र) से चुनाव कराना पड़ेगा। इसके लिए भारतीय चुनाव आयोग (ECI) को सूचना भेज दी गई है। साथ ही उनसे जानकारी मांगी गई है कि मतदान के लिए किस तरह के मतपत्रों का इस्तेमाल किया जा सकता है। उम्मीदारों को चुनाव चिन्ह जारी कर दिए गए हैं। चुनाव आयोग से मतपत्र के डिजाइन संबंधी दिशा-निर्देश मिलते ही मतपत्रों की छपाई का काम शुरू कर दिया जाएगा। चुनाव आयोग इस संबंध में जागरूकता अभियान भी चलाएगा।

मतपत्र में ऐसे होगी उम्मीदवारों की सूची
राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी ने कहा कि मतपत्र में मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय पार्टियों के उम्मीदवार को ऊपर रखा जाएगा। इसके बाद राज्य की पार्टियों को, फिर गैरमान्यता प्राप्त दलों के उम्मदीवारों को और फिर निर्दलीय उम्मीदवारों को रखा जाएगा। चुनाव अधिकारी रजत कुमार के अनुसार अगर किसी सीट पर उम्मीदवारों की संख्या 64 से ज्यादा होती है तो चुनाव आयोग को वहां पर मतपत्र के जरिए मतदान कराना पड़ सकता है। चुनाव आयोग के अनुसार मतदान के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। निजामाबाद लोकसभा सीट के लिए मतपत्र की छपाई और मतदान पेटी को दुरुस्त करने का काम भी शुरू कर दिया गया है।

पहले भी तेलंगाना में हुआ है मतपत्र का इस्तेमाल
मालूम हो कि इससे पहले 1996 में भी चुनाव आयोग को तेलंगाना के ही नालगोंडा लोकसभा सीट पर मतपत्र से मतदान कराना पड़ा था। उस वक्त नालगोंडा सीट से 480 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे। इसी तरह अगस्त 2010 में कुछ सीटों पर विधानसभा उपचुनाव के दौरान भी उम्मीदवारों की संख्या ज्यादा होने की वजह से मतपत्र का इस्तेमाल करना पड़ा था। उस वक्त राज्य में कुछ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए कुल 648 नामांकन दाखिल हुए थे। जांच के दौरान आयोग ने 145 नामांकन खारिज कर दिए थे। इसके बाद भी 503 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे।

वाराणसी में भी मतपत्र से हो सकता है चुनाव
वाराणसी लोकसभा सीट पर भी तमिलनाडु के 111 किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा की है। मालूम हो कि इन किसानों ने अपनी तमाम मांगों को लेकर पिछले दिनों दिल्ली में काफी धरना-प्रदर्शन किया था। तमिलनाडु के किसान नेता पी अय्याकन्नू ने शनिवार को कहा कि राज्य के 111 किसान वाराणसी से मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। अगर ऐसा होता है तो यहां भी चुनाव आयोग को ईवीएम की जगह मतपत्रों का इस्तेमाल करना पड़ सकता है। वाराणसी में 19 मई को लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। 


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