Move to Jagran APP

कार से उतरकर बैलगाड़ी पर खड़े हो गए थे नेहरू, जानिए क्यों

पुराने समय के चुनाव प्रचार को जानकर वाकई आज लोग हैरान रह जाते हैं। उस समय न तो प्रचार के इतने साधन थे और न ही नेताओं के बीच दुश्मनी।

By Narendra KumarEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 01:15 PM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 05:40 PM (IST)
कार से उतरकर बैलगाड़ी पर खड़े हो गए थे नेहरू,  जानिए क्यों
कार से उतरकर बैलगाड़ी पर खड़े हो गए थे नेहरू, जानिए क्यों

मोहसिन पाशा, मुरादाबाद (जेएनएन): पुराने समय के चुनाव प्रचार को जानकर वाकई आज लोग हैरान रह जाते हैं। उस समय न तो प्रचार के इतने साधन थे और न ही नेताओं के बीच दुश्मनी। आम आदमी की तरह नेता मतदाताओं के बीच पहुंचते थे और अपने व पार्टी प्रत्याशियों के लिए वोट मांगते थे। अब हम बात करते हैं 1952 के एक विधानसभा चुनाव की। इसमें पंडित जवाहर लाल नेहरू मुरादाबाद के ताहरपुर गांव में प्रचार के लिए आए और कार से उतरकर बैलगाड़ी पर खड़े हो गए। इसके बाद जनसभा को संबोधित किया।  

loksabha election banner

पूर्व नियोजित नहीं होती थी कोई सभा 

पहले के जमाने में ऐसा ही होता था। चुनाव प्रचार के लिए कोई सभा पूर्व नियोजित नहीं होती थी। सार्वजनिक स्थान पर जहां भीड़ देखी, वहीं प्रचार करने वाले ने संबोधन शुरू कर दिया। यह कहना है जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर के गांव फतेहपुर खास निवासी 106 साल के शौकत हुसैन का। 

बताते हैं 1952 में पंडित जवाहर लाल नेहरू की तकरीर सुनी थी। वे कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में सम्भल रोड स्थित ताहरपुर गांव में मंगलवार को लगने वाले ऐतिहासिक बाजार में जनसभा करने आए थे। उन्होंने बैलगाड़ी पर खड़े होकर लोगों से कांग्रेस प्रत्याशी के लिए वोट मांगे थे। बताते हैं कि वे अपने बड़े भाई सराफत हुसैन मरहूम हाजी अबरार हुसैन और हाजी खलील अहमद के क्रेशर पर नौकरी करते थे। पहले तो वोट कोई किसी को दे देता था। 

आजादी के बाद पहला विधानसभा चुनाव था 

1952 में उनकी उम्र 39 साल थी। देश की आजादी के बाद पहला विधानसभा चुनाव हो रहा था। ताहरपुर में मंगलवार को लगने वाला बाजार ही ग्रामीण इलाके के लोगों के लिए जरूरी सामान खरीदने का जरिया था। दूधिया मंगलवार को ही दूध का पैसा देते थे। इसलिए हर गांव का व्यक्ति जरूरी सामान खरीदने बाजार पहुंचता था। हम भी बाजार गए थे। नेता घर-घर जाने के बजाय बाजार में लोगों के सामने अपनी बात रख देते थे। उन्हें जैसे ही बाजार में नेहरू जी के आने के बारे में जानकारी मिली, उत्सुकता बढ़ गई। नेहरू जी आते ही अपनी कार से बाहर निकले और एक बैलगाड़ी पर खड़े हो गए। उन्होंने बैलगाड़ी पर खड़े होकर ही कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में मतदान करने की अपील की। 

पहले नेता गावं के कुछ खास लोगों के पास आते थे 

शौकत हुसैन कहते हैं कि उस समय चुनाव लड़ने वाले नेता गांव के कुछ खास लोगों के पास आते थे। उन जिम्मेदारों की बात बहुत लोग मानते थे। शिक्षा की भी कमी थी। वह जिसके पक्ष में होते थे वहीं वोट पड़ जाते थे। नेताओं से किसी को कोई लोभ लालच भी नहीं होता था। जिस तरह इन दिनों जो लोग नेताओं के खास बनकर बड़े लोग हो जाते हैं, ऐसा पहले नहीं होता था। नेताओं के करीबी बदनामी के डर से ठेकेदारी करने जैसे कामों से दूर रहते थे। अब तो सब कुछ बदल गया। एक ही घर में लोग अलग-अलग नेताओं को मतदान कर रहे हैं। सियासत ने परिवारों को भी तोड़ दिया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.