Lok Sabha Elections 2019 : लोकतंत्र के पहले इम्तिहान में बमुश्किल हुए पास
गोरखपुर-बस्ती की नौ लोकसभा सीटों में सर्वाधिक मतदान बस्ती उत्तरी सीट पर हुआ था तो गोरखपुर दक्षिणी में सबसे कम लोग बूथ तक पहुंचे थे।
By Edited By: Published: Mon, 08 Apr 2019 09:00 AM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 04:15 PM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। लोकतंत्र के उत्सव में जनता की भागीदारी बढ़ाने के लिए चल रहे मतदाता जागरूकता प्रयासों के बीच इतिहास के पन्ने पलटना मौजू है। गुलामी की जंजीरों से मुक्त होने के बाद देश के पहले चुनाव में महज एक तिहाई लोग मताधिकार का इस्तेमाल कर सके थे। गोरखपुर-बस्ती की नौ लोकसभा सीटों में सर्वाधिक मतदान बस्ती उत्तरी सीट पर हुआ था तो गोरखपुर दक्षिणी में सबसे कम लोग बूथ तक पहुंचे थे।
आजाद भारत में पहला चुनाव 1951-52 में हुआ था। गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी और भुखमरी के संकट से जूझ रहे पूर्वाचल में मीडिया के सीमित संसाधनों के बीच लोगों को लोकतंत्र के महत्व की उपयोगिता समझाकर उन्हें मतदान के लिए प्रेरित करना बड़ा काम था। मतदाता जागरूकता अभियान के तहत तब गांव-गांव, घर-घर डुगडुगी बजाकर लोगों को मतदान के लिए आमंत्रित किया गया। बताया गया कि देश में अब जनता की सरकार होगी, जिसे वह चाहेंगे वही उनका नेता होगा।
इन जागरूकता कार्यक्रमों का नतीजा तो निकला, लेकिन जनमानस पर इसका बहुत प्रभावी असर नहीं पड़ा। बात गोरखपुर-बस्ती क्षेत्र की करें तो यहां की तत्कालीन नौ सीटों पर 35.06 फीसद औसत मतदान हुआ। गोरखपुर उत्तरी, गोरखपुर दक्षिणी और देवरिया पश्चिमी की सीटों पर तो 33 फीसद भी मतदान नहीं हो सका। दो सांसदों वाली इकलौती सीट (बस्ती मध्य और गोरखपुर पश्चिमी) पर मतदान का फीसद महज 34.11 रहा।
यह कहना गलत नहीं होगा कि लोकतंत्र के पहले इम्तिहान में पूर्वाचल बमुश्किल पास हो सका था।
यहां से यह थे पहले सांसद
लोकसभा क्षेत्र विजयी उम्मीदवार बस्ती पश्चिमी केशव देव मालवीय बस्ती उत्तरी उदय शंकर दुबे बस्ती मध्य- गोरखपुर पश्चिमी रामशंकर लाल, सोहन लाल धुसिया गोरखपुर उत्तरी हरिशंकर प्रसाद गोरखपुर मध्य दशरथ प्रसाद द्विवेदी गोरखपुर दक्षिणी सिंहासन सिंह देवरिया दक्षिणी सरयू देवरिया पश्चिमी विश्वनाथ सिंह देवरिया पूर्वी रामजी
आजाद भारत में पहला चुनाव 1951-52 में हुआ था। गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी और भुखमरी के संकट से जूझ रहे पूर्वाचल में मीडिया के सीमित संसाधनों के बीच लोगों को लोकतंत्र के महत्व की उपयोगिता समझाकर उन्हें मतदान के लिए प्रेरित करना बड़ा काम था। मतदाता जागरूकता अभियान के तहत तब गांव-गांव, घर-घर डुगडुगी बजाकर लोगों को मतदान के लिए आमंत्रित किया गया। बताया गया कि देश में अब जनता की सरकार होगी, जिसे वह चाहेंगे वही उनका नेता होगा।
इन जागरूकता कार्यक्रमों का नतीजा तो निकला, लेकिन जनमानस पर इसका बहुत प्रभावी असर नहीं पड़ा। बात गोरखपुर-बस्ती क्षेत्र की करें तो यहां की तत्कालीन नौ सीटों पर 35.06 फीसद औसत मतदान हुआ। गोरखपुर उत्तरी, गोरखपुर दक्षिणी और देवरिया पश्चिमी की सीटों पर तो 33 फीसद भी मतदान नहीं हो सका। दो सांसदों वाली इकलौती सीट (बस्ती मध्य और गोरखपुर पश्चिमी) पर मतदान का फीसद महज 34.11 रहा।
यह कहना गलत नहीं होगा कि लोकतंत्र के पहले इम्तिहान में पूर्वाचल बमुश्किल पास हो सका था।
यहां से यह थे पहले सांसद
लोकसभा क्षेत्र विजयी उम्मीदवार बस्ती पश्चिमी केशव देव मालवीय बस्ती उत्तरी उदय शंकर दुबे बस्ती मध्य- गोरखपुर पश्चिमी रामशंकर लाल, सोहन लाल धुसिया गोरखपुर उत्तरी हरिशंकर प्रसाद गोरखपुर मध्य दशरथ प्रसाद द्विवेदी गोरखपुर दक्षिणी सिंहासन सिंह देवरिया दक्षिणी सरयू देवरिया पश्चिमी विश्वनाथ सिंह देवरिया पूर्वी रामजी
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