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अतीत के आईने सेः दिल्ली की इस सीट पर नए चेहरे को आशीर्वाद देते रहे हैं मतदाता, ये है इतिहास

पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में लोकसभा चुनाव में मतदाता ज्यादातर नए चेहरों पर ही भरोसा जताते रहे हैं।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 03 Apr 2019 04:50 PM (IST)Updated: Wed, 03 Apr 2019 04:50 PM (IST)
अतीत के आईने सेः दिल्ली की इस सीट पर नए चेहरे को आशीर्वाद देते रहे हैं मतदाता, ये है इतिहास
अतीत के आईने सेः दिल्ली की इस सीट पर नए चेहरे को आशीर्वाद देते रहे हैं मतदाता, ये है इतिहास

नई दिल्ली [भगवान झा]। वर्ष 2008 में हुए परिसीमन के बाद पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र का उदय हुआ। यह क्षेत्र बाहरी दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली इलाके को काटकर बनाया गया। इसके पीछे की मंशा थी कि इलाके का विकास कार्य तेज गति से हो। वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से इलाके के वरिष्ठ नेता महाबल मिश्र को उतारा गया था।

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वहीं भाजपा ने भी कद्दावर नेता प्रोफेसर जगदीश मुखी को मैदान में उतारा था। कांग्रेस की रणनीति यह थी कि पूर्वांचली इस इलाके में ज्यादा हैं, ऐसे में महाबल मिश्र सबसे सशक्त उम्मीदवार हो सकते हैं। इसके अलावा भाजपा ने इस उम्मीद से प्रोफेसर जगदीश मुखी को मैदान में उतारा था कि यह लोकसभा क्षेत्र पंजाबी बहुल है।

ऐसे में यह सीट भाजपा के पक्ष में आ सकती है, लेकिन वर्ष 2009 में महाबल मिश्र ने प्रोफेसर जगदीश मुखी को एक लाख से ज्यादा मतों के अंतर से हराया था। महाबल मिश्र पहली बार लोकसभा चुनाव में मैदान में उतरे थे और जनता ने उन्हें जीत दिलाकर संसद भेजा था। इसके बाद वर्ष 2014 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने जहां महाबल मिश्र पर ही अपना भरोसा जताया। वहीं भाजपा ने प्रवेश वर्मा को टिकट देकर मैदान में उतारा था।

इसमें तीसरी पार्टी के तौर पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार जरनैल सिंह कांग्रेस और भाजपा के समीकरण को बिगाड़ रहे थे। इस मुकाबले में भाजपा के प्रवेश वर्मा ने आसानी से जीत हासिल की थी। प्रवेश वर्मा भी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे और जनता ने इनपर विश्वास जताया। ऐसे में इस क्षेत्र के इतिहास पर नजर डालें तो अभी तक नए चेहरे पर ही मतदाताओं ने अपना भरोसा जताया है।

इस लोकसभा चुनाव में अभी तक सिर्फ आम आदमी पार्टी की ओर से ही प्रत्याशी की घोषणा की गई है। अन्य पार्टी की ओर से प्रत्याशी की घोषणा अभी तक नहीं हुई है। ऐसे में इस बार जनता किसे आशीर्वाद देती है यह तो आनेवाला समय ही बताएगा।


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