दक्षिण का दंगल: तमिलनाडु में इस बार दिलचस्प है चुनावी मुकाबला, द्रमुक-कांग्रेस के सामने वर्चस्व कायम रखने की चुनौती
Lok Sabha Election 2024 तमिलनाडु में इस बार का लोकसभा चुनाव बेहद दिलचस्प है। त्रिकोणीय मुकाबले में द्रमुक-कांग्रेस के सामने अपने वर्चस्व को कायम रखने की चुनौती है। वहीं भाजपा अन्नामलाई के माध्यम से प्रदेश में आधार बढ़ाने की कोशिश में है। तमिलनाडु में पहले चरण में चुनाव है। राज्य की सभी 39 लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान होगा।
संजय मिश्र, चेन्नई। तमिलनाडु में लोकसभा चुनाव प्रचार की गूंज मंगलवार को थमने के साथ ही मैदान में उतरी तमाम पार्टियों की धड़कनें अब 19 अप्रैल को राज्य की सभी 39 सीटों पर होने वाले मतदान के मद्देनजर तेज हो गई हैं। राज्य की सत्ताधारी द्रमुक-कांग्रेस के गठबंधन के सामने तीन अन्य गठबंधनों के प्रभावी प्रचार अभियान ने अधिकांश सीटों पर चुनावी मुकाबले को बहु-कोणीय और रोचक बना दिया है।
स्टालिन को चुनौती
अंदरूनी झगड़े-बिखराव के बाद भी अन्नाद्रमुक अपने सहयोगियों के साथ द्रमुक प्रमुख मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की सियासी बादशाहत को चुनौती दे रही है। भाजपा अपने उभरते सियासी स्टार के अन्नामलाई के दम पर नौ पार्टियों के गठबंधन के साथ तमिलनाडु की राजनीति की मुख्यधारा की दौड़ में जगह बनाने की भरपूर कोशिश में है। स्थानीय पार्टी नामतमिलर काची (एनटीके) कुछ छोटे दलों से गठजोड़ कर तीनों गठबंधन के मुकाबले में चौथा कोण बना सबका खेल बिगाड़ने के लिए जोर लगा रही है।
इन मुद्दों को उठा रहे स्टालिन
चुनावी मैदान में कई सीटों पर चाहे मुकाबला बहुकोणीय हो, मगर तमिलनाडु में प्रचार अभियान लगभग दो ध्रुवीय ही दिखा है। इसमें एक ओर स्टालिन ने जहां केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ आक्रामक तेवर दिखाए हैं, उससे साफ है कि भाजपा विरोधी मतों में किसी तरह का बिखराव रोकने की उनकी पूरी कोशिश रही है।
केंद्र की ओर से कथित भेदभाव और वाजिब पैसा नहीं देने के मुद्दे को भी स्टालिन ने भावनात्मक तरीके से उठाया। उनके बेटे उदयनिधि स्टालिन पीएम मोदी पर बेहद हमलावर रहे हैं। स्टालिन अपनी सरकार के कामकाज विशेषकर बाढ़ से निपटने और कल्याणकारी योजनाओं की उपलब्धियां भी गिनाते दिखे।
भाजपा की आधार बढ़ाने की कोशिश
विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए जिन राज्यों में बेहतर चुनावी उम्मीद लगाए है उसमें तमिलनाडु प्रमुख है, क्योंकि पिछले दो लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के दौरान भी भाजपा यहां कोई करिश्मा नहीं कर सकी। मगर अन्नामलाई के सहारे भाजपा इस बार अपना आधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है। इसे देखते हुए स्टालिन-उदयनिधि के केंद्र की नीतियों के खिलाफ तेवर की सियासत भांपना मुश्किल नहीं है।
23 सीटों पर लड़ रही द्रमुक
अन्नाद्रमुक के कमजोर होने से द्रमुक की जमीन यहां पहले से ज्यादा मजबूत हुई। स्टालिन इस समय तमिलनाडु के सबसे बड़े सियासी चेहरे हैं और विरोधी पार्टियों के लिए यह एक चुनौती है। द्रमुक 23 सीटों पर लड़ रही, कांग्रेस नौ तो बाकी सात सीटों पर अन्य सहयोगी दलों के उम्मीदवार हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तमिलनाडु के अपने सीमित प्रचार अभियान के दौरान भी केंद्र-भाजपा के खिलाफ स्टालिन के तेवरों को और धार देने की कोशिश की।
स्टालिन के सामने ये चुनौती
2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य की 39 में से 38 सीटें द्रमुक-कांग्रेस की झोली में डालने में कामयाब रहे स्टालिन ने 2021 विधानसभा चुनाव में भी बड़ी जीत हासिल की थी। ऐसे में सियासी सफलता के इस मुकाम को बनाए रखना अब उनके लिए चुनौती है। टीआर बालू, ए राजा, दयानिधि मारन, टी थिरूवलन, कनीमोरी द्रमुक की ओर से तो कार्ति चिदंबरम, मणिक्कम टैगोर, ज्योति मणि सरीखे कांग्रेस के नेता एक बार फिर संसद पहुंचने के लिए जोर लगा रहे हैं।
यहां हैं भाजपा की निगाहें
द्रमुक-कांग्रेस को मुख्य चुनौती अब भी अन्नाद्रमुक की ओर से मिल रही है जिसके प्रमुख पूर्व सीएम पलानीस्वामी ताल ठोक रहे हैं कि जयललिता के बाद पार्टी के ध्वस्त होने का सपना देखने वालों की हसरत कभी पूरी नहीं होगी। चेन्नई से लेकर उत्तर, पश्चिम और सूबे के कोंगू क्षेत्र में लगभग सभी जगहों पर अन्नाद्रमुक उम्मीदवारों के प्रभावी प्रचार अभियान में यह साफ दिखा कि नेतृत्व के झगड़े के बावजूद पार्टी का जमीनी कैडर अभी टूटा नहीं है, पर बेचैन है। भाजपा की नजर अन्नाद्रमुक के इस बेचैन समर्थक वर्ग पर ही है।
यह भी पढ़ें: कौन हैं विक्रमादित्य सिंह, जिनका कंगना रनौत से मुकाबला, जानिए इनसे जुड़ी पांच बातें
नौ दलों क साथ भाजपा का गठबंधन
तमिलनाडु के इस चुनाव में एक नया रंग दिखा है कि लंबे अर्से बाद किसी राष्ट्रीय पार्टी का स्थानीय चेहरा चुनावी सरगर्मी का एक केंद्र बन गया है और यह है राज्य भाजपा के अध्यक्ष के अन्नामलाई। द्रविड़ राजनीति के इस मजबूत दुर्ग में 2024 में भाजपा की कामयाबी का पैमाना सीटों की कसौटी पर यदि न मापा जाए तो इसमें संदेह नहीं कि पहली बार नौ पार्टियों के गठबंधन का नेतृत्व कर रही भाजपा के आक्रामक अभियान ने द्रमुक व अन्नाद्रमुक दोनों को चौंका दिया है।
अन्नामलाई ने बनाया तीसरा कोण
अन्नामलाई ने अंबूमणि रामदास की पीएमके, तमिल मनीला कांग्रेस, अन्नाद्रमुक से अलग हुए पूर्व सीएम पनीरसेल्वम, शशिकला के भतीजे टीटीवी दिनाकरण की पार्टी एएमएमके जैसी छोटी द्रविड़ पार्टियों से गठजोड़ कर चुनाव में राजग गठबंधन का तीसरा कोण बना दिया है। इस गठबंधन के जरिए भाजपा यह संदेश देने की भी कोशिश कर रही है कि वह द्रविड़ की वैचारिक अस्मिता के खिलाफ नहीं है।
अन्नामलाई खुद कोयंबटूर में तो कन्याकुमारी, तिरूनलवेली, दक्षिण चेन्नई जैसी सीटों पर भाजपा उम्मीदवार सीधे द्रमुक-कांग्रेस को टक्कर दे रहे। वहीं रामनाथपुरम में पनीरसेल्वम और धर्मपुरी में अंबूमणिरामदास की पत्नी सौम्या जैसे भाजपा के कुछ सहयोगी मैदान में मुकाबले को रोचक बना रहे हैं।
तीनों गठबंधन सतर्क
तमिलनाडु के चुनाव में इन तीन गठबंधनों के अलावा पुडुचेरी समेत सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ रही नाम तमिलरकाची के नेता सेंथामिजान सीमान के चुनाव अभियान से तीनों गठबंधन सतर्क हैं, क्योंकि कुछ सीटों पर एनटीके उम्मीदवारों के खाते में जाने वाले वोटों से इनका चुनावी समीकरण बिगड़ सकता है।
यह भी पढ़ें: ये हैं पहले चरण के 'धन कुबेर', सबसे कम संपत्ति वालों को भी जानें, इन प्रत्याशियों के पास सिर्फ 500 रुपये तक की राशि