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चुनावी मौसम में हेलीकॉप्टरों का संकट! क्या बिगड़ेगा सियासी दलों का खेल? जानिए देश में कितनी है इनकी संख्या

लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। सभी दल चुनाव प्रचार में उतर चुके हैं। मगर सियासी दलों के सामने अब हेलीकॉप्टरों का संकट खड़ा हो गया है। जितनी मांग है उतनी उपलब्धता नहीं है। अब नेताजी मुंहमांगी कीमत देने को भी तैयार हैं लेकिन सभी को हेलीकॉप्टर नहीं मिल पा रहे हैं। उधर हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराने वालीं कंपनियों का कहना है कि ये कमाई करने का मौसम है।

By Jagran News NetworkEdited By: Jagran News NetworkPublished: Thu, 21 Mar 2024 06:28 PM (IST)Updated: Thu, 21 Mar 2024 06:30 PM (IST)
लोकसभा चुनाव 2024: चुनावी मौसम में गहराया हेलीकॉप्टर संकट। (फाइल फोटो)

गौतम कुमार मिश्रा, नई दिल्ली। चुनाव प्रचार के दौरान जम्मू-कश्मीर से तमिलनाडु और मेघालय से गुजरात की दूरी तय करने के लिए नेता उड़नखटोले का इस्तेमाल करेंगे। लोकसभा चुनाव को देखते हुए इन दिनों आलम यह है कि हर छोटी-बड़ी राजनीतिक पार्टियां चार्टर्ड हेलीकॉप्टर या विमानों की सेवा लेने के लिए इन्हें उपलब्ध कराने वाले ऑपरेटरों से संपर्क साध रही हैं।

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सबसे अधिक मांग हेलीकॉप्टरों की है, लेकिन समस्या यह है कि देश में नॉन शेडयूल ऑपरेटरों के पास सीमित संख्या में ही हेलीकॉप्टर हैं। ऐसे में मांग और आपूर्ति में संतुलन बनाना इस क्षेत्र से जुड़े प्रोफेशनलों के लिए एक बड़ी चुनौती है।

निजी ऑपरेटरों के पास सिर्फ इतने हेलीकॉप्टर

चार्टर्ड हेलीकॉप्टर व विमान उपलब्ध कराने से जुड़ी कंपनी फ्लाइंग बर्ड्स एविएशन के सीईओ आशीष कुमार बताते हैं कि समस्या यह है कि देश में हेलीकॉप्टर बड़ी सीमित संख्या में हैं। सरकारी व अर्ध सरकारी विभागों की बात छोड़ दें तो निजी क्षेत्र के पास करीब 160 हेलीकॉप्टर ही हैं। इस संख्या का अधिकांश भाग बड़े कॉरपोरेट घरानों के पास है। ऐसे में बाजार में हेलीकॉप्टरों की संख्या बेहद सीमित है।

देखा जाए तो करीब 40 हेलीकॉप्टर ही निजी ऑपरेटरों के पास बाजार के लिए बचते हैं। नेता यदि अपने निजी संबंधों के बल पर कॉरपोरेट घरानों से हेलीकॉप्टर उपलब्ध करा लें तो बात दूसरी है लेकिन यदि निजी ऑपरेटरों के पास जाएंगे तो आपके पास बेहद सीमित विकल्प रहता है।

कमाने का मौसम

हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराने वाली कंपनियों से जुड़े लोगों का कहना है कि यह कमाने का मौसम है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि मांग और आपूर्ति में काफी असंतुलन की चुनावी मौसम में स्थिति रहती है। सामान्य मौसम के मुकाबले इस मौसम में हेलीकॉप्टर का भाड़ा कम से कम दो गुना तो बढ़ ही जाता है। मांग करने वालों को इस मौसम में यह कीमत भी कम नजर आती है। भाड़े के तौर पर मुंहमांगी कीमत देने को लोग तैयार रहते हैं।

आमतौर पर हेलीकॉप्टर का भाड़ा घंटे के हिसाब से तय होता है। चुनाव के मौसम में यह रकम करीब पांच लाख तक पहुंच जाती है। ज्यादातर मांग डबल इंजन वाले हेलीकॉप्टर की होती है। ऐसे में भाड़े की रकम डेढ़ से दो गुना अधिक भी वसूल की जा सकती है।

हेलीकॉप्टर की मांग क्यों होती है अधिक

हवाई जहाज के उतरने या उड़ान भरने के लिए एयरपोर्ट जरूरी है। चुनाव प्रचार के दौरान नेताओं को अनेक ऐसे दूरदराज के इलाके में जाना पड़ता है, जहां एयरपोर्ट तो दूर सड़क की भी सुविधा सही तरीके से नहीं होती। ऐसी जगहों के लिए हेलीकॉप्टर काफी उपयोगी साबित होते हैं। इसकी लैंडिंग कहीं भी की जा सकती है। आमतौर पर नेता यदि दिल्ली से किसी दूरदराज के क्षेत्र की यात्रा पर निकलते हैं तो उनकी कोशिश होती है कि संबंधित राज्य की राजधानी वे हवाई जहाज से जाएं और वहां से हेलीकॉप्टर से प्रचार स्थल के लिए रवाना हों।

हेलीकॉप्टर के साथ क्रू का खर्चा व पार्किंग शुल्क भी वहन करते हैं नेताजी

चुनाव प्रचार में इस्तेमाल हेलीकॉप्टर के किराये में क्रू के सदस्यों का खर्चा शामिल नहीं होता है। इन खर्चों में क्रू के खानपान, होटल में ठहरने, पार्किंग का खर्च शामिल है। पार्किंग का खर्च अलग-अलग एयरपोर्ट की व्यस्तता के हिसाब से अलग-अलग होता है।

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