Lok Sabha Election: दिल्ली की इस सीट पर कांग्रेस बाहरी पर लगाएगी दांव या स्थानीय को मिलेगा का मौका!
उत्तर पश्चिम संसदीय सीट पर आम आदमी पार्टी ने स्थानीय नेता को उम्मीदवार बनाया है उसके चलते कांग्रेस पर भी नैतिक दबाव स्थानीय नेता को ही उम्मीदवार बनाने का है।
नई दिल्ली[नवीन गौतम]। कांग्रेस इस बार भी बाहरी नेता पर ही दांव लगाएगी या फिर स्थानीय को उम्मीदवार बनाएगी, इस तरह की चर्चा उत्तर पश्चिम संसदीय क्षेत्र के न केवल कांग्रेस नेताओं में हैं बल्कि विरोधी दल के नेता भी इसको लेकर कयास लगा रहे हैं। दरअसल, जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने स्थानीय नेता को उम्मीदवार बनाया है उसके चलते कांग्रेस पर भी नैतिक दबाव स्थानीय नेता को ही उम्मीदवार बनाने का है।
कांग्रेस के नेता भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि अगर कांग्रेस को यहां वापसी करनी है तो स्थानीय उम्मीदवार ही देना होगा। बता दें कि वर्ष 2008 में अस्तित्व में आए उत्तर पश्चिम संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस ने वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में करोल बाग क्षेत्र में राजनीति करने वाली कृष्णा तीरथ को अपना उम्मीदवार बनाया था। पहली बार वह चुनाव जीतीं तो दूसरी बार वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर उन्हीं पर दांव लगाया। मगर इस चुनाव में वह महज पौने दो लाख वोट लेकर तीसरे स्थान पर खिसक गईं।
भाजपा के उदित राज यहां से चुनाव जीते। विधानसभा चुनाव के दौरान कृष्णा तीरथ भाजपा में शामिल हो गई और फिर करोल बाग क्षेत्र की राजनीति में लौटते हुए पटेल नगर से विधानसभा चुनाव लड़ी। मगर जनता ने उन्हें फिर नकार दिया। अब कांग्रेस के समक्ष प्रश्न उत्तर पश्चिम संसदीय क्षेत्र से मजबूत उम्मीदवार देने का है। कांग्रेस के पास स्थानीय नेताओं के रूप में दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री राजकुमार चौहान, पूर्व विधायक जय किशन, सुरेंद्र कुमार आदि ऐसा नेता हैं जिनका दावा मजबूत माना जा रहा है। मगर टिकट के लिए बाहरी नेताओं की भी लंबी कतार यहां है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव तरुण कुमार, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया भी यहां से दावेदारी कर रहे हैं। मगर जिस तरह से इस बार आम आदमी पार्टी ने बवाना के पूर्व विधायक गुग्गन सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। उससे कांग्रेस के ऊपर भी दवाब स्थानीय उम्मीदवार देने का है। कांग्रेस के स्थानीय नेता अपनी इस भावना से प्रदेश नेतृत्व सहित आलाकमान को भी अवगत करा चुके हैं कि अगर उत्तर पश्चिम संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस को वापसी करनी है तो किसी स्थानीय नेता को ही उम्मीदवार बनाया जाए।
यहां तक कि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस संसदीय क्षेत्र के तहत विधानसभा क्षेत्रों से विधायक रहे सामान्य या पिछड़ा वर्ग के नेता भी यहां से स्थानीय उम्मीदवार दिए जाने की ही वकालत कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि पार्टी आलाकमान कार्यकर्ताओं की भावनाओं का ध्यान रखती है या फिर पहले की भांति इस बार भी किसी बाहरी नेता को ही उम्मीदवार बनाएगी।