लोकसभा चुनाव 2019: अहमद पटेल से मिले AAP नेता संजय सिंह, क्या गठबंधन पर बनेगी बात?
विपक्षी पार्टियों द्वारा ऐसे गठबंधन बनाने की कोशिशें हो रही हैं जो लोकसभा चुनाव 2019 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए को चुनौती पेश कर सके।
नई दिल्ली, जेएनएन। Lok Sabha Election 2019: लोकसभा 2019 के लिए चुनाव आयोग ने तारीखों का एलान कर दिया है। इस बीच राजनीतिक माहौल भी तेजी से बदलने लगा है। विपक्षी पार्टियों द्वारा ऐसा गठबंधन बनाने की कोशिश हो रही है, जो नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही एनडीए सरकार को चुनौती पेश कर सके। इसी कड़ी में दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के गठबंधन की कोशिशें फिर से तेज होती दिखाई दे रही हैं।
जानकारी सामने आ रही है कि AAP के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने सोमवार को कांग्रेस के कद्दावर नेता अहमद पटेल से मुलाकात की है। इस मुलाकात को AAP-कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर एक और कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। संजय सिंह को आम आदमी पार्टी मुखिया अरविंद केजरीवाल का बेहद करीबी माना जाता है।
यहां पर बता दें कि दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित ने शनिवार (9 मार्च) को पार्टी की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) से गठबंधन की चर्चा फिर जोर पकड़ने लगी है। यह अलग बात है कि मुलाकात के बाद शीला ने इस बात को खारिज कर दिया कि AAP के साथ गठबंधन के मुद्दे पर किसी तरह की चर्चा हुई।
वहीं, कहा जा रहा है कि सोनिया-शीला मुलाकात के दौरान दिल्ली में AAP के साथ गठबंधन के मुद्दे पर बैठक के दौरान चर्चा हुई थी। उधर, दिल्ली कांग्रेस की नेता ने दोनों नेताओं के बीच मुलाकात के दौरान गठबंधन पर किसी तरह की बातचीत को खारिज किया था। दिल्ली कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष देवेंद्र यादव के मुताबिक, शीला जी सोमवार को प्रस्तावित हमारे बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन के लिये सोनिया गांधी को निमंत्रण देने गई थीं और यह एक अफवाह है कि गठबंधन पर चर्चा हुई जिसे पहले ही खारिज किया जा चुका है।
यहां पर बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच 5 मार्च को हुई बैठक में आम आदमी पार्टी (AAP) से आगामी लोकसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर सहमति नहीं बन पाई है। इसके बावजूद इस गठबंधन के दरवाजे पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं।
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि दोनों पार्टियां आगामी लोकसभा चुनाव के लिए एक साथ आना चाहती थीं, लेकिन स्थानीय कार्यकर्ताओं के दबाव के चलते वरिष्ठ नेताओं को यह फैसला लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में डर है कि वे स्थानीय कारणों को प्रमुखता देकर नरेंद्र मोदी की सत्ता में वापसी से रोकने के उनके प्राथमिक उद्देश्य को नुकसान हो सकता है।