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Election: एक प्रत्याशी एक साथ कितने सीटों पर लड़ सकता है चुनाव? अटलजी ने भी तीन जगह से किया था नामांकन; जानें क्या हैं नियम

Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव 2024 सात चरणों में आयोजित किए जा रहे हैं। इस बीच जैसे ही 3 मई को राहुल गांधी ने रायबरेली से नामांकन दर्ज कराया वैसे ही नेताओं के एक से ज्‍यादा सीटों से चुनाव लड़ने पर बहस छिड़ गई। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब कोई नेता एक से ज्यादा सीट पर एक साथ चुनाव लड़ा रहा हो।

By Jagran News Edited By: Deepti Mishra Published: Fri, 10 May 2024 07:29 PM (IST)Updated: Fri, 10 May 2024 07:29 PM (IST)
Lok Sabha Chunav 2024: कौन-कौन से बड़े नेता एक साथ दो-दो लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ चुके हैं।

 चुनाव डेस्‍क, नई दिल्‍ली। Lok Sabha Chunav 2024 and Candidates Nomination Rules: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में केरल के वायनाड के बाद 3 मई को रायबरेली सीट से भी नामांकन किया है। इसके बाद से सोशल मीडिया और गली-चौबारों में बड़े नेताओं के एक साथ दो सीटों पर चुनाव लड़ने के मसले पर बहस हो रही है। पड़ोस वाले एक चाचा बोले- हार के डर से दो जगह से राहुल चुनाव लड़ रहे है तो तपाक से ताऊ कहते हैं कि हार का डर नहीं हो, तब भी बड़े-बड़े सब नेता लड़ते हैं, ये कोई नई बात थोड़े ही है।

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ये चर्चा सुनने में भले ही मजाकिया लगे, लेकिन ये बात सही है कि यह पहली बार नहीं है, जब कोई नेता एक से ज्यादा सीट पर एक साथ चुनाव लड़ा रहा हो। इससे पहले, साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार रहे नरेंद्र मोदी ने वाराणसी और गुजरात की वडोदरा सीट से चुनाव लड़ा था।  

जानिए कौन-कौन से बड़े नेता एक साथ दो-दो लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ चुके हैं, इसे लेकर क्या है चुनाव आयोग...

साल 2014 में नरेंद्र मोदी दो सीटों से लड़ा था चुनाव

साल 2014 की बात है। नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव में भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे। उस वक्त उन्होंने वाराणसी और वडोदरा, दो संसदीय सीटों से चुनाव लड़ा था और दोनों सीटों से जीत हासिल की थी। बाद में नरेंद्र मोदी ने वडोदरा सीट छोड़ दी थी और बनारस सीट अपने पास रखी थी।

अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन सीटों से लड़ा चुनाव

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) ने 1957 के आम चुनाव में तीन सीटों से चुनाव लड़ा था। वह जनसंघ के टिकट पर लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर सीट से चुनाव लड़े। लखनऊ, मथुरा में चुनाव हार गए थे, लेकिन बलरामपुर सीट से चुनाव जीतने में सफल रहे।

इंदिरा ने नहीं लिया जोखिम

आपातकाल के बाद 1977 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी रायबरेली से चुनाव हार गई थीं। 1980 के चुनावों में उन्होंने जोखिम लेना ठीक नहीं समझा। इंदिरा ने रायबरेली के अलावा मेडक (अब तेलंगाना में) से चुनाव लड़ा। कांग्रेस ने इंदिरा की दो सीटों पर दावेदारी को उत्तर के साथ दक्षिण को भी साधने की रणनीति के तौर पर पेश किया था। इंदिरा दोनों जगह से जीतीं। हालांकि, बाद में उन्‍होंने मेडक सीट छोड़ दी।

सोनिया गांधी भी एकसाथ दो सीटों पर मैदान में उतरीं

साल 1999 के लोकसभा चुनाव में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कर्नाटक के बेल्लारी और उत्तर प्रदेश के अमेठी से चुनाव लड़ा था।

मुलायम भी मैनपुरी और आजमगढ़ से लड़े चुनाव

पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव ने 2014 का लोकसभा चुनाव मैनपुरी और आजमगढ़ से लड़ा था। मुलायम सिंह ने दोनों सीटों से जीत हासिल की थी। बाद में उन्होंने मैनपुरी सीट छोड़ दी थी। यहां से उनके भतीजे तेज प्रताप यादव ने उपचुनाव लड़ा था। 1999 में भी मुलायम सिंह ने कन्नौज और संभल दोनों लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी।

तीन सीटों से लड़े एनटी रामाराव

तेलुगू देशम पार्टी के संस्थापक एनटी रामाराव 1985 के विधानसभा चुनाव में गुडीवडा, हिंदुपुर और नलगोंडा सीट से लड़े और तीनों पर जीते। हिंदुपुर सीट उन्होंने बरकरार रखी। रामाराव कई सीटों पर चुनाव लड़कर संदेश देने का प्रयास किया था कि वे पूरे राज्य में लोकप्रिय हैं।

क्या है इसे लेकर कानून?

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम,1951 (Representation of People Act 1951) के सेक्शन 33 में यह व्यवस्था दी गई थी कि व्यक्ति एक से अधिक जगह से चुनाव लड़ सकता है, जबकि इसी अधिनियम के सेक्शन 70 में कहा गया है कि वह एक बार में केवल एक ही सीट का प्रतिनिधित्व कर सकता है।

ऐसे में साफ है कि एक से ज्यादा जगहों से चुनाव लड़ने के बावजूद प्रत्याशी जीत के बाद एक ही सीट से प्रतिनिधित्व कर सकता है। हालांकि, चुनाव आयोग की राय है कि मौजूदा व्यवस्था को बदल कर एक प्रत्याशी को एक ही सीट से चुनाव लड़ने की अनुमति होनी चाहिए।

1996 से पहले कितनी ही सीटों पर लड़ सकते थे चुनाव?

1996 के पहले तक अधिकतम सीटों की संख्या तय नहीं थी। बस केवल यही नियम था कि जनप्रतिनिधि केवल एक ही सीट का प्रतिनिधित्व कर सकता है। 1996 में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम,1951 में संशोधन किया गया और यह तय किया गया कि उम्मीदवार अधिकतम दो सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं।

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चुनाव आयोग ने क्‍या प्रस्‍ताव दिया? 

साल 2004 में चुनाव आयोग ने कोशिश की थी कि एक व्यक्ति एक ही सीट से चुनाव लड़े। चुनाव आयोग ने यह भी प्रस्ताव रखा है कि अगर वर्तमान व्यवस्था को ही बनाए रखना है तो उपचुनाव की स्थिति में प्रत्याशी भी चुनाव का खर्च उठाए। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की गई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी थी।

दिनेश गोस्वामी कमेटी की 1990 में पेश की गई रिपोर्ट और विधि आयोग की चुनाव सुधारों पर 1999 में जमा की गई 170 वीं रिपोर्ट में भी एक व्यक्ति को एक ही जगह से चुनाव लड़ने की अनुमति देने की सिफारिश की गई थी।

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