विविधिताओं से भरा है दिल्ली का यह लोकसभा क्षेत्र, अब तक यहां पर सिर्फ दो बार ही हुए हैं चुनाव
पश्चिमी दिल्ली संसदीय क्षेत्र विविधताओं से भरा हुआ है। एक ओर जहां पचास गांव आते हैं वहीं जनकपुरी राजौरी गार्डन द्वारका विकासपुरी जैसे पॉश इलाके भी आते हैं।
नई दिल्ली। [भगवान झा]। पश्चिमी दिल्ली संसदीय क्षेत्र वर्ष 2008 में अस्तित्व में आया। पहले यह क्षेत्र बाहरी दिल्ली व दक्षिणी दिल्ली संसदीय क्षेत्रों में बंटा था। दक्षिणी दिल्ली संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत जनकपुरी, तिलक नगर, हरिनगर, राजौरी गार्डन आते थे, बाकी हिस्सा बाहरी दिल्ली संसदीय क्षेत्र में था। दक्षिणी दिल्ली सीट पर किस्मत आजमाने वालों में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, सुषमा स्वराज, प्रो. विजय कुमार मल्होत्र, मदनलाल खुराना जैसे दिग्गज नेता शामिल रहे हैं।
डॉ. मनमोहन सिंह को इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार प्रो. विजय कुमार मल्होत्र से शिकस्त मिली थी। इसी तरह दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे मदन लाल खुराना भी इस सीट से दो बार जीते। सुषमा स्वराज इस सीट से दो बार सांसद बनीं। बाहरी दिल्ली संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के नेता सज्जन कुमार और भाजपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा भी अपनी किस्मत आजमा चुके हैं।
बाहरी दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली का क्षेत्र बड़ा होने के कारण वर्ष 2008 में हुए परिसीमन के बाद पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र का उदय हुआ और उसके बाद से दो लोकसभा चुनाव यह क्षेत्र देख चुका है। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में पहले सांसद होने का गौरव कांग्रेस के महाबल मिश्र को मिला था। उस दौरान महाबल मिश्र ने भाजपा के कद्दावर नेता जगदीश मुखी को एक लाख से ज्यादा वोट से हराया था। वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रवेश वर्मा ने यहां से शानदार जीत दर्ज की थी।
विविधताओं से भरा क्षेत्र
यह लोकसभा क्षेत्र विविधताओं से भरा हुआ है। एक ओर जहां पचास गांव आते हैं वहीं जनकपुरी, राजौरी गार्डन, द्वारका, विकासपुरी जैसे पॉश इलाके भी आते हैं। साथ ही अनियमित कॉलोनियों की संख्या भी करीब सौ है। ऐसे में हर क्षेत्र की अपनी-अपनी जरूरते हैं और इस हिसाब से लोग अपनी बात भी प्रत्याशियों के सामने रखते हैं।
पंजाबी व पूर्वाचली मतदाताओं का बाहुल्य
यहां पर उत्तम नगर, द्वारका, मटियाला, विकासपुरी विधानसभा क्षेत्र में पूर्वांचलियों की संख्या ज्यादा है वहीं राजौरी गार्डन, हरि नगर, जनकपुरी, तिलक नगर का इलाका पंजाबी बाहुल्य है। इसके अलावा नजफगढ़ व मटियाला में जाट मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। सीट अस्तित्व में आने के बाद यहां के मतदाताओं ने पहली बार पूर्वांचली नेता को जीत दिलाई।
दूसरे लोकसभा चुनाव में जाट उम्मीदवार पर अपना भरोसा दिखाया। वर्ष 2009 में यहां पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच ही था। वहीं वर्ष 2014 के आम चुनाव में आम आदमी पार्टी ने यहां के मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार जरनैल सिंह दूसरे नंबर पर रहे थे।
मुख्य मुद्दे
- खेती करने वालों को नहीं दिया गया है किसान का दर्जा
- साफ-सफाई को लेकर नहीं है बेहतर व्यवस्था
- अभी भी कई इलाकों में टैंकर से पानी की आपूर्ति हो रही है
- सार्वजनिक परिवहन की भारी किल्लत है इलाके में
- वेस्ट कैंपस की परियोजना नहीं चढ़ी सिरे
- नए कॉलेज बनाने को लेकर नहीं उठाए गए कदम
- अस्पतालों के विस्तार में भी हो रहा विलंब
- पर्यटन के विस्तार की योजना पर नहीं दिया जा रहा ध्यान
- क्षेत्र में कई कालोनियों की सड़कें हैं जर्जर
(आंकड़ा 5 अप्रैल 2019 तक का है)