गुड़गांव लोकसभा सीट :यहां मोदी के मंत्री को टक्कर दे रहे हैं लालू प्रसाद यादव के समधी
सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह भाजपा से दूसरी बार किस्मत आजमाने उतरे हैं जबकि कांग्रेस के पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
गुरुग्राम, जेएनएन। राजधानी दिल्ली से हरियाणा में प्रवेश करते ही शुरू हो जाता है गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र। मेरे ठीक सामने एबियंस माल है, जहां दूर-दराज से लोग मनोरंजन व खरीदारी के लिए आते हैं। चुनावी मिजाज भांपने की शुरूआत यहीं से हुई। सेक्टर 31 निवासी सतीश यादव ने बात शुरू करते ही कहते हैं कि अखबार वाले भाई कहीं जाने की जरूरत नहीं है। कहने लगा 23 को असली परिणाम पता चलेगा। कांग्रेस का वोटर चुप है। भाजपा का मुखर है। नूंह जिला में जरूर पंजे का जोर दिखा। सुबह शुरू हुआ मेरा सफर शाम को खेड़ा बार्डर (रेवाड़ी)पर समाप्त हुआ। बीच-बीच में कई विधानसभा क्षेत्रों से होकर मैं खेड़ा बार्डर तक पहुंचा हूं। यहां से राजस्थान की सीमा शुरू हो जाती है। रेवाड़ी के ओमप्रकाश की नजर में कांग्रेस के कप्तान अजय सिंह यादव मजबूत है, लेकिन बावल के प्रेम का कहना है कि भाजपा के इंद्रजीत सिंह छह विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त लेकर निकलेंगे। निष्कर्ष की बात करें तो गुड़गांव व बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र में जहां मोदी-मोदी का शोर कुछ ज्यादा ही दिख रहा है वहीं नूंह (मेवात)जिला की तीनों विधानसभा सीटों पर गणित कांग्रेस के पक्ष में दिख रहा है। सोहना मौन है। यहां का मतदाता बराबरी का मुकाबला बता रहा है। माना जा रहा है कि मेवात में कांग्रेस को मिलने वाली संभावित बढ़त को गुरुग्राम जिले की गुड़गांव व बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र काफी हद तक पूरा कर देंगे। कुछ कमी रही तो पटौदी विधानसभा क्षेत्र में शेष बढ़त पूरी हो जाएगी। गुड़गांव, बादशाहपुर व पटौदी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा नूंह जिले की तीनों सीटों की भरपाई करके भी कुछ बढ़त बनाकर आगे बढ़ेगी। ऐसी स्थिति में पूरा गणित रेवाड़ी और बावल पर टिका है। जो इन दोनों सीटों पर बढ़त लेगा वही सिकंदर बनेगा।
गुड़गांव से ये है प्रमुख उम्मीदवार
मौजूदा सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह भाजपा से दूसरी बार किस्मत आजमाने उतरे हैं, जबकि कांग्रेस के पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। जजपा-आप गठबंधन ने महमूद खान पर दांव लगाया है जबकि बसपा-एलसीपी ने बिल्डर रहीश अहमद को टिकट दिया है। पिछले चुनाव में नंबर दो पर रहने वाले इंडियन नेशनल लोकदल(इनेलो) ने इस बार उद्यमी बीरेंद्र राणा को मैदान में उतारा है। भाजपा व कांग्रेस से नाराज मतदाताओं को तीनों ही लपकने की कोशिश कर रहे हैं।
अहीरवाल के दिग्गज नेता माने जाने वाले राव इंद्रजीत सिंह की मजबूत कड़ी अहीर वोटों पर उनकी पकड़ है। वह गुड़गांव सीट ही नहीं अन्य सीटाें के दायरे में आने वाले अहीर मतदाताओं पर अपनी पकड़ रखते हैं। उनका सबसे मजबूत पक्ष यह है कि उनके पास कार्यकर्ताओं का अपना कैडर है। राव पहले कांग्रेस में थे तो समर्थक खुद को कांग्रेसी मानते थे। जब वह भाजपा में आए तो समर्थक भाजपा को अपनी पार्टी मानने लगे। सियासी हवा अपने अनुकूल करने में भी राव का महारत है। राव की बेटी आरती राव भी पिता के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। शहरी क्षेत्र में भाजपा का जनाधार उन्हें और मजबूती देता है, लेकिन राव इंद्रजीत की कमजोर कड़ी पार्टी में गुटबाजी है। वह भाजपा में तो हैं पर संगठन से जुड़े कई नेता उन्हें भाजपाई नहीं मानते हैं। चुनाव प्रचार में संगठन के कम राव समर्थक अधिक नजर आते हैं।
दूसरी ओर राव के मुकाबले उतरे कैप्टन
रेवाड़ी विधानसभा क्षेत्र से छह बार विधायक रह चुके हैं। कैप्टन टिकट मिलने से पहले से ही लोगों से संपर्क करने लगे थे। लालू के समधी होने का उन्हें फायदा मिल रहा है। उनके बेटे चिरंजीव व पुत्रवधू लालू की बेटी अनुष्का ने भी मोर्चा संभाल रखा है। कैप्टन को उम्मीद है कि नूंह जिले से उन्हें इतनी बढ़त मिलेगी कि उनके सामने कोई नहीं टिक पाएगा। उनका मानना है कि राव की राजसी अंदाज के चलते मतदाता नाराज हैं। लेकिन कैप्टन की सबसे कमजाेर कड़ी यह है कि वह पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें पार्टी की गुटबाजी का भी सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की जनसभा में मेवात के ही लोग अधिक दिखाई दिए थे। मंच पर नेता तो थे मगर उनके समर्थक कम दिखे थे।
1967 व 1971 के चुनाव में गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र था। उसके बाद 1977 में गुरूग्राम लोकसभा क्षेत्र का नाम महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र कर दिया गया। 2009 में परिसीमन के बाद फिर से गुड़गांव को लोकसभा क्षेत्र का नाम दिया गया। 2009 के चुनाव में भी 24 उम्मीदवारों ने ही ताल ठोकी थी। इस चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर राव इंद्रजीत, बसपा के टिकट पर जाकिर हुसैन, बीजेपी की टिकट पर सुधा यादव व हजका की टिकट पर राव नरबीर सिंह चुनावी मैदान में थे। उस चुनाव में राव इंद्रजीत, डॉ सुधा यादव व नरबीर सिंह जहां एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे थे। इस चुनाव में कांग्रेस के राव इंद्रजीत को 2,78516, बसपा के जाकिर हुसैन को 1,93652, बीजेपी की डॉ सुधा यादव को 1,25837 व हजकां के राव नरबीर सिंह को 1,17260 मत मिले थे। वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा के राव इंद्रजीत सिंह ने इनेलो के जाकिर हुसैन को 2 लाख 74 हजार से अधिक मतों से हराया था।
2014 में गुड़गांव लोकसभा सीट के परिणाम चुनाव के समय कुल मतदाताओं की संख्या 18 लाख 44 हजार 906 थी। भाजपा से लड़े राव इंद्रजीत सिंह ने धांसू अंदाज में 6 लाख 44 हजार 780 वोटों की सहायता से बड़ी जीत हासिल की थी। इनेलो के उम्मीदवार जाकिर हुसैन 3 लाख 70 हजार 58 पाकर इस चुनाव में दूसरे पायदान पर रहे। वहीं कांग्रेस से चुनाव लड़े पूर्व मंत्री राव धर्मपाल सिंह 1 लाख 33 हजार 713 वोट के साथ तीसरे तथा आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार योगेंद्र यादव को 79 हजार 456 वोट के साथ चौथे और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेता धर्मपाल को 65 हजार 9 वोटों के साथ पांचवे स्थान से संतुष्ट रहना पड़ा था।
गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र एक नजर में
गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र में गुरुग्राम जिला की गुड़गांव, बादशाहपुर, सोहना, पटौदी विधानसभा सीट शामिल हैं। वहीं नूंह जिला की नूंह, पुन्हाना, फिरोजपुर झिरका तथा रेवाड़ी जिला की रेवाड़ी व बावल विधानसभा सीट शामिल है।
लोकसभा क्षेत्र तीन हिस्सों में बंटा है। नूंह की तीनों सीटें मेव (मुस्लिम)बाहुल्य क्षेत्र हैं, जहां पाल और गोत्र पर मतदाता अक्सर बंट जाते हैं जबकि गुड़गांव और बादशाहपुर में बाहरी मतदाताओं की संख्या अधिक है। वहीं पटौदी, रेवाड़ी और बावल विधानसभा में अहीर मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। इसके अलावा सोहना एक ऐसा इलाका है, जहां गुर्जर, मेव, राजपूत और अहीर मतदाता हैं।
यह भी जानें
- गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र में पुरुष मतदाताओं की संख्या 21,39,788 जिसमें 11,35,004 पुरुष व 10,40,749 महिला मतदाता हैं
- वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 1844906 थी। जिसमें 984370 पुरुष व 860536 महिला मतदाता थीं
- गुड़गांव लोकसभा चुनाव के दौरान कुल 13,20,620 मत डाले गए थे। पोलिंग प्रतिशत 71.58 था।
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