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पूर्व AAP नेता के बयान से आहत हुईं दिल्ली की पूर्व CM शीला, जानिए क्या है पूरा मामला

पूर्व आम आदमी पार्टी (AAM AADMI PARTY) नेता एस एस फुल्का के बयान पर हैरानी और दुख जताया है जिसमें उन्होंने कहा था- 1984 सिख दंगों के दौरान पीएमओ से आदेश आया था मार डालो।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 09 May 2019 02:30 PM (IST)Updated: Thu, 09 May 2019 02:44 PM (IST)
पूर्व AAP नेता के बयान से आहत हुईं दिल्ली की पूर्व CM शीला, जानिए क्या है पूरा मामला

नई दिल्ली, एएनआइ। Lok Sabha Election 2019: आम चुनाव-2019 के तहत दिल्ली में 12 मई को मतदान होना है। चुनाव प्रचार के बीच दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और उत्तर पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस उम्मीदवार शीला दीक्षित ने वरिष्ठ वकील और पूर्व आम आदमी पार्टी (AAM AADMI PARTY) नेता एस एस फुल्का (HS Phoolka) के बयान पर हैरानी और दुख जताया है, जिसमें उन्होंने कहा था- '1984 सिख दंगों के दौरान पीएमओ से आदेश आया था 'मार डालो'।

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इस पर प्रतिक्रिया में शीला दीक्षित ने समाचार एजेंसी एएनआइ से बातीच में कहा- 'राजीव गांधी ऐसा क्यों करेंगे? उनकी मां (इंदिरा गांधी) की हत्या हुई थी और वे बेहद दुखी थे।' उन्होंने कहा कि भाजपा इस तरह का बर्ताव करती है, मैं इस बयान से बेहद आहत हूं।'

गौरतलब है कि एचएस फुल्का ने इसी साल जनवरी महीने मे आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। एचएस फुल्का ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को अपना इस्तीफा सौंपा था। 

एचएस फुल्का मार्च 2017 में पंजाब में नेता विपक्ष बने थे, लेकिन कुछ ही समय बाद उन्होंने नेता विपक्ष पद से यह कहकर इस्तीफा दे दिया था कि वह 1984 के केस पर फोकस करना चाहते हैं। 

कुछ महीने पहले ही 1984 सिख विरोधी हिंसा मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा दिलवाकर फुल्का का नाम अब और बड़ा हो गया था। 

एचएस फुल्का ने कई बार यह जिक्र किया था कि दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने 1984 के हिंसा पीड़ितों के लिए उम्मीद के मुताबिक काम नहीं किया है और ना पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिलवाया ना नौकरी दी।

21 दिसंबर को दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से भारत रत्न सम्मान वापस लिए जाने की मांग वाला प्रस्ताव पास कर दिया था। दलील यह दी गई थी कि राजीव गांधी ने 1984 में सिखों के कत्लेआम को जायज ठहराया था, लेकिन बाद में आम आदमी पार्टी इस बात से पलट गई थी। 

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