चुनाव में AI ने बढ़ाई नेताओं की टेंशन; देश-विदेश में कई दिग्गज हो चुके हैं डीपफेक वीडियो-ऑडियो के शिकार
Lok Sabha Election 2024 देश में इस साल लोकसभा चुनाव होने हैं। सभी राजनीतिक दल जनता की बीच अपनी जमीन मजबूत करने के लिए दिन-रात एक कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले ही राजनीतिक दलों और नेताओं के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मुसीबत बन गई है। देश-विदेश में कई दिग्गज हो चुके हैं डीपफेक वीडियो-ऑडियो के शिकार हो चुके हैं जिससे उनका खामियाजा भी भुगतना पड़ा है।
राजीव कुमार, नई दिल्ली। पिछले साल सितंबर में स्लोवाकिया के आम चुनाव में प्रोग्रेसिव स्लोवाकिया पार्टी के नेता सिमेका इसलिए हार गए, क्योंकि चुनाव से ठीक दो दिन पहले उनका एक वीडियो वायरल हो गया। उस वीडियो में वह कह रहे थे कि चुनाव जीतने पर बीयर की कीमत दोगुनी कर देंगे। वास्तव में सिमेका ने ऐसी कोई घोषणा नहीं की थी, बल्कि किसी ने डीपफेक का प्रयोग कर फर्जी वीडियो वायरल कर दिया।
वीडियो का सच लोगों तक पहुंचता, उसके पहले नुकसान हो चुका था। यह घटना भले ही दूर देश की है, लेकिन डीपफेक का खतरा यहां भी राजनीतिक दलों और नेताओं के इर्द गिर्द तेजी से मंडराने लगा है। ऐसे कई मामले यहां भी सामने आ चुके हैं। ऐसे में जानकारों की सलाह यही है कि डीपफेक से बचके रहना... यह चुनाव में कहीं भारी न पड़ जाए।
दरअसल, तकनीक के इस दौर में इंटरनेट, मोबाइल और इंटरनेट मीडिया ने नेताओं को चुनावी दौड़-धूप से कुछ हद तक बचाते हुए प्रचार-प्रसार के माध्यम को गति दी है तो पीछे-पीछे इसके नुकसान भी चल पड़े हैं। अब तक तो फोटो या वीडियो से छेड़छाड़ के ऐसे मामले ही सामने आते रहे, जिनका फर्जीवाड़ा पैनी निगाह से पकड़ लिया जाता था, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने इस फर्जीवाड़े को भी इतना महीन रूप दे दिया है कि यह बिल्कुल वास्तविक जैसा ही लगता है।
पूर्व सीएम राव भी हो चुके हैं डीपफेक के शिकार
स्लोवाकिया की घटना यदि विदेश की बानगी है तो कुछ समय पहले का ही मामला तेलंगाना का भी है। पिछले साल ही नवंबर में तेलंगाना में हुए चुनाव में बीआरएस पार्टी के मुखिया व राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव का डीपफेक वीडियो बन गया, जिसमें राव कांग्रेस के पक्ष में वोट करने के लिए कह रहे थे। बीआरएस की तरफ से चुनाव के दौरान उनके खिलाफ डीपफेक के इस्तेमाल को लेकर पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई गई थी।
इसके अलावा गत नवंबर में राजस्थान में चुनाव के दौरान मतदाताओं को रिझाने के लिए एआई का इस्तेमाल कर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की आवाज में वाट्सएप से मतदाताओं को उनके नाम से कॉल किया गया। हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की नकली आवाज में वहां के चुनाव को लेकर एक वीडियो जारी किया गया।
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मतदाताओं को भ्रमित करने को हो रहा डीपफेक का इस्तेमाल
इन घटनाओं का इशारा यह है कि देश से लेकर विदेश तक चुनाव में अपने विरोधियों को नुकसान पहुंचाने या खुद के पक्ष में वोटरों को रिझाने की मंशा से डीपफेक का इस्तेमाल तेजी से शुरू हो गया है। पिछले दो साल से दुनिया के विभिन्न देशों में होने वाले चुनावों में एआई आधारित डीपफेक के इस्तेमाल की घटनाएं सामने आ रही हैं।
ऐसे में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र यानी भारत के चुनाव को डीपफेक से अछूता रखना संभव नहीं दिख रहा है। असल में चुनाव एक धारणा पर और उम्मीदवार की छवि पर लड़ा जाता है और डीपफेक इन दोनों ही चीजों को तहस-नहस करने की क्षमता रखता है। भारत जैसे देश में जहां 90 करोड़ से अधिक मतदाता हैं और लगभग सभी मतदाता इंटरनेट से लैस मोबाइल फोन रखते हैं।
ऐसे में किसी उम्मीदवार की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला डीपफेक वीडियो चुनाव के दिन या मतदान शुरू होने से कुछ घंटे पहले वायरल कर दिया जाए तो निश्चित रूप से उस उम्मीदवार को क्षति हो सकती है। बाद में वह उम्मीदवार लाख सफाई दे, लेकिन मतदाता के दिमाग में उम्मीदवार की छवि को लेकर शक जरूर पैदा हो जाएगा।
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